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    द बिग बुल रिव्यू: स्टॉक मार्केट की तरह चढ़ती- उतरती है अभिषेक बच्चन की फिल्म

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    Rating:
    2.5/5

    निर्देशक- कूकी गुलाटी

    स्टारकास्ट- अभिषेक बच्चन, सोहम शाह, इलियाना डिक्रूज, निकिता दत्ता, राम कपूर, सौरभ शुक्ला, सुप्रिया पाठक

    प्लेटफॉर्म- डिज़्नी प्लस हॉटस्टार

    "मैंने मिडिल क्लास इंडिया को सपने देखना सिखाया है", हेमंत शाह (अभिषेक बच्चन) घमंड और गर्व के साथ पत्रकार (इलियाना डिक्रूज) से कहता है। मुंबई के एक चॉल में रहने वाला मध्यमवर्गीय नौकरीशुदा, स्टॉक मार्केट के एक टिप से कैसे भारत का सबसे बड़ा टैक्सपेयर बन जाता है, इस थोड़ी सच्ची- थोड़ी काल्पनिक कहानी को दिखाया है निर्देशक कूकी गुलाटी ने। 'द बिग बुल' हर्षद मेहता द्वारा किये गए 1992 के शेयर बाजार घोटाले के आधार पर बनी फिल्म है। लेकिन यहां काफी क्रिएटिव आजादी भी ली गई है। देखा जाए तो यही क्रिएटिव आजादी इसे हंसल मेहता निर्देशित चर्चित वेब सीरिज 'स्कैम 1992' से अलग बनाती है।

    The Big Bull

    कहानी 2020 से शुरु होती है, जहां पत्रकार मीरा राव (इलियाना डिक्रूज) हेमंत शाह पर लिखी अपनी किताब का अनावरण करती है और उसकी कहानी को दुनिया के सामने रखती है। हेमंत शाह, जिसने 80 और 90 के दशक में शेयर मार्केट में तूफान ला दिया था। मध्यमवर्गीय भारतीय के सुपरहीरो हेमंत शाह की सच्चाई क्या एक कपटी और क्रिमिनल की थी?

    कहानी

    कहानी

    हेमंत शाह अपने भाई और मां के साथ मुंबई के एक चॉल में रहता है, लेकिन उसके ख्वाब आसमान छू लेने जैसे हैं। जिस लड़की से वह प्यार करता है, उसके पिता की शर्त होती है कि लड़के के पास घर, गाड़ी और अच्छी खासी संपत्ति होनी चाहिए। सपने और प्यार को पाने की उसकी चाह को हवा तब मिलती है जब एक दिन अचानक ही उसे शेयर मार्केट की एक बड़ी टिप हाथ लगती है। उस टिप की मदद से उसे बड़ा मुनाफा होता है। इस घटना से हेमंत की हिम्मत और नीयत भी बढ़ जाती है और वह सीधे स्टॉक मार्केट का रुख करता है और लंबी से लंबी कुलांचे लगाते आगे बढ़ता जाता है।

    कहानी

    कहानी

    अपने भाई वीरेन शाह (सोहम शाह) के साथ मिलकर वह एक तरह से शेयर मार्केट की डोर अपने हाथ में कर लेता है। एक समय आता है कि जब उसे शेयर मार्केट का 'अमिताभ बच्चन' और 'बिग बुल' कहा जाने लगता है। फिर वह शेयर मार्केट से आगे बढ़कर मनी मार्केट यानि की निजी- सरकारी बैंकों से लेन- देन के खेल में शामिल हो जाता है, दूसरी तरफ उसकी राजनीतिक पहुंच भी पक्की होती जाती है। वह कहता है- 'रिस्क लेना है तो बड़ा लो..'। जल्दी ही वह लाखों से करोड़ों में मुनाफा कमाने लगता है। अब उसके पैसों की चमक पर सवाल उठने लगते हैं। फायनेंशियल पत्रकार मीरा देव (इलियाना डिक्रूज) हेमंत शाह द्वारा बैंकों के साथ किये गए हेर- फेर का सनसनीखेज़ खुलासा करती है। यह घोटाला 5 हजार करोड़ तक का होता है। लेकिन हेमंत शाह कहता है- "देश में 80 प्रतिशत बैंकिंग सिस्टम गैरकानूनी है, मुझे बलि का बकरा बना रहे हैं ये लोग".. 'ये लोग' कौन हैं और यह कहानी किस तरह आर्थिक से राजनीतिक बन जाती है, इसी के इर्द गिर्द घूमती है फिल्म।

    निर्देशन

    निर्देशन

    हेमंत शाह की कहानी ऐसी है कि यदि आपको दलाल स्ट्रीट की समझ ना हो, तो भी यह दिलचस्पी बनाए रखेगी। यह कहानी है एक मध्यमवर्गीय इंसान के ऊंचे सपनों की, उन सपनों को किसी भी हाल में पूरा करने की जिद की। निर्देशक कूकी गुलाटी ने एक लंबी चौड़ी कहानी को ढ़ाई घंटे में समटने की कोशिश की है। लेकिन अफसोस है कि यह कोशिश दिख जाती है। जब तक हेमंत की शुरुआती जिंदगी से हम जुड़ रहे होते हैं, वह चुटकी बजाते ही लाखों करोड़ों में खेलने लगता है। दमदार कलाकारों द्वारा निभाए गए कई किरदार फिल्म में कब आते हैं और कब चले जाते हैं, पता भी नहीं चलता। कोई भी किरदार दिमाग पर छाप छोड़ने में सफल नहीं रहा है। कई महत्वपूर्ण सीन हल्के में पास हो जाते हैं, जबकि आर्थिक- राजनीतिक घोटाले के बीच रोमांटिक गाना बिल्कुल ही बेस्वादी लगता है। हंसल मेहता की 'स्कैम 1992' से इसकी तुलना को नजरअंदाज भी किया जाए, तो भी यह फिल्म कई पक्षों में कच्ची दिखती है। चाहे वह पटकथा हो या अभिनय।

    अभिनय

    अभिनय

    फिल्म में एक से बढ़कर एक कलाकार शामिल हैं, लेकिन निर्देशक सभी किरदारों के साथ न्याय करने में सफल नहीं रहे हैं। हेमंत शाह के किरदार में अभिषेक बच्चन कुछ दृश्यों में जंचे हैं खासकर सेकेंड हॉफ में, लेकिन कुछ में निराश करते हैं। कहानी इतनी तेजी से आगे बढ़ती है और इतने मोड़ लाती है, लेकिन अभिषेक के हाव भाव उस तेजी से बदलते नहीं दिखते। वीरेन शाह के किरदार में सोहम शाह, हेमंत शाह के मां के किरदार में सुप्रिया पाठक जंचे हैं, लेकिन उनके किरदारों में स्कोप ही नहीं है। हेमंत शाह की गर्लफ्रैंड/ पत्नी बनीं निकिता दत्ता अच्छी लगी हैं। पत्रकार की भूमिका में इलियाना डिक्रूज ने अपने किरदार के साथ न्याय किया है। वहीं, राम कपूर, सौरभ शुक्ला, समीर सोनी जैसे कलाकार चंद सीन्स में दिखते हैं।

    तकनीकि पक्ष

    तकनीकि पक्ष

    फिल्म के संवाद रितेश शाह ने लिखे हैं, जो कि प्रभावी हैं। एक दृश्य में हेमंत शाह कहता है- "अंग्रेज हमसे कोहिनूर ही नहीं, हमसे हमारी सोच, सेल्फ कॉफिडेंस सब लूट कर ले गए हैं.."। अभिषेक और इलियाना के हिस्से में कई दमदार संवाद आए हैं। दोनों के बीच संवादों का खेल देखने दिलचस्प लगा है। वहीं, धर्मेंद्र शर्मा की एडिटिंग फिल्म को थोड़ी और बांध सकती थी। विष्णु राव की सिनेमेटोग्राफी प्रभावी है। मुंबई के चॉल से लेकर दलाल स्ट्रीट और मुंबई की सड़कों को उन्होंने कहानी में बढ़िया पिरोया है।

    संगीत

    संगीत

    फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर एक महत्वपूर्ण पहलू होता है जो कहानी को एक मजबूती भी देता है। द बिग बुल में स्कोर दिया संदीप शिरोडकर ने दिया है, जो कि औसत है। सही मायने में देखा जाए फिल्म में जो इक्के- दुक्के गाने हैं, वो सिर्फ कहानी से आपका ध्यान भंग करते हैं।

    क्या अच्छा क्या बुरा

    क्या अच्छा क्या बुरा

    फिल्म एक बॉयोपिक नहीं है, बल्कि हर्षद मेहता की कहानी से प्रेरित है। लिहाजा, यहां काफी रचनात्मक छूट ली गई है- रैप डाले गए हैं, रोमांस है, ओवर ड्रामा है। सबसे खास बात यह है कि जहां हंसल मेहता की सीरिज में हर्षद मेहता को ना गलत, ना सही दिखाया गया है, 'द बिग बुल' में हेमंत शाह सौफ तौर पर एक हीरो हैं।

    अभिषेक बच्चन ने फिल्म में अपने किरदार को पकड़े रहने की पूरी कोशिश की है, लेकिन कई दृश्यों में वह 'गुरु' की याद दिलाते हैं, जिसे आप चाहकर भी नजरअंदाज़ नहीं कर सकते हैं।

    देंखे या ना देंखे

    देंखे या ना देंखे

    यदि हर्षद मेहता की कहानी को एक सीधे सिंपल अंदाज़ में समझना चाहते हैं, या यदि आप अभिषेक बच्चन के फैन हैं, तो 'द बिग बुल' एक बार जरूर देखी जा सकती है। फिल्म हिस्सों में दिलचस्पी जगाती है, हिस्सों में बोर करती है। फिल्मीबीट की ओर से 'द बिग बुल' को 2.5 स्टार।

    English summary
    The Big Bull Review: This Disney+Hotstar VIP film starring Abhishek Bachchan fails to impress in telling the story of biggest scam of Indian stock market.
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