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जगजीत सिंह ने कहा था 'मैं मुन्नी बदनाम जैसा गाना कभी नहीं गाऊंगा'
मिड डे की संवाददाता ने कार्यक्रम से थोडे देर पहले ही जगजीत सिंह से बात की थी। तब शायद जगजीत सिंह को भी इस बात का अंदाजा नहीं था कि यह इंटरव्यू उनके जीवन का अंतिम इंटरव्यू होगा। तो पेश है मिड डे को दिये गये जगजीत सिंह के अंतिम इंटरव्यू के कुछ मुख्य अंश:
सवाल-आपने गालिब, निदा फाजली और गुलजार को लगातार गाया है। आपका फेवरेट शायर कौन है?
जगजीत- मेरा कोई पसंदीदा शायर नहीं है। जो भी अच्छी गजलें लिखता है, वही मेरा फेवरेट हो जाता है। निजी तौर पर कोई मेरा फेवरेट नहीं।
सवाल- आज के कार्यक्रम के लिए आपने खास क्या तय किया है?
जगजीत- हमने कार्यक्रम के लिए कुछ विशेष योजना नहीं बनाई है। पहले भी हम स्वत: स्फूर्त परफारमेंस करते रहे हैं। जैसा महसूस करते हैं, वैसा गाने लगते हैं। सब कुछ इस पर निर्भर करता है कि उस वक्त दिमाग क्या सोच रहा है, गला किस स्वाद के लिए मचल रहा है और मौजूद श्रोता किस तरह की चीजें पसंद करने वाले हैं।
सवाल- गजलों के अलावा आपके पंजाबी गाने भी बहुत लोकप्रिय हैं। क्या कार्यक्रम में हमें वे भी सुनने को मिलेंगे?
जगजीत- लोग सुनना चाहेंगे तो पंजाबी गाने भी जरूर सुनाए जाएंगे।
सवाल- इधर फिल्मों में गीत व संगीत दोनों की क्वालिटी लगातार गिरती जा रही है। आजकल के लोकप्रिय गानों के बारे में आप क्या सोचते हें?
जगजीत- हम इस बात की परवाह क्यों करें कि आजकल कैसा गीत-संगीत बनाया जा रहा है। दूसरा क्या कर रहा है, हमें इससे क्या मतलब। हमारी परवरिश अच्छी शायरी की गोद में हुई है, इसलिए हम लोगों को वही लौटा रहे हैं। हमने वर्षो तक अनुशासित होकर रियाज और साधना की है। जाहिर है कि इसीलिए हम मुन्नी बदनाम हुई जैसे गाने कभी नहीं गाएंगे। लोग हमसे अलग तरह के संगीत की उम्मीद करते हैं और उनकी कसौटी पर खरा उतरना हमारी जिम्मेदारी है।
सवाल- आप और गुलाम अली जी साथ गाने वाले हैं। साथ-साथ गाने का कोई अनुभव?
जगजीत- जब हम साथ-साथ गाते हैं तो दोनों की ये जिम्मेदारी होती है कि कार्यक्रम के दौरान एक-दूसरे का ख्याल रखें।