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    अपने हॉट इमेज पर मुझे गर्व है

    By Super
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    'मुसाफिर" से हॉट इमेज पाने वाली समीरा रेड्डी आज बंगाली सिनेमा का न सिर्फ जाना पहचाना चेहरा है बल्कि वे बुद्धदेव दासगुप्ता की मनपसंद नायिका भी बन चुकी है इसका सबूत है हाल ही में उनके साथ साइन की गई उनकी तीसरी फिल्म. फिलहाल समीरा अपने अभिनय को मांजने के लिए कॉमेडी में अपनी किस्मत आज़माने जा रही हैं. अश्विनी धीर की पहली फिल्म 'वन टू थ्री" समीरा के लिए भी पहली कॉमेडी फिल्म है. हालांकि इससे पहले भी समीरा अहमद खान की कॉमेडी फिल्म 'फूल एंड फाइनल" में नज़र आ चुकी है मगर उसके बारे में बात न की जाए तो बेहतर है. 'वन टू थ्री" में समीरा, कच्छा बनियान (महिलाओं के अंत:वस्त्र) बेचने वाले परेश रावल के साथ इश्क लडाती नज़र आने वाली हैं.

    आपकी दो फिल्में 'रेस" और 'वन टू थ्री" एक साथ रिलीज़ हो रही है कितनी उत्साहित हैं ?

    मुझसे कई लोग यह सवाल कर चुके है. पता नहीं मैं कितनी उत्साहित हूं मगर हां मैं डरी हुई ज़रूर हूं या फिर दोनों.

    तो फिर दोनों यानी कि 'रेस" और 'वन टू थ्री" के बारे में क्या कहना चाहेंगी ?

    उम्मीद है कि 'वन टू थ्री" के सारे किरदारों के बारे में आप जानती ही होंगी. इस फिल्म में मेरा कॉमेडी ट्रैक परेश जी के साथ है. इस फिल्म में मैं लैला नामक एक कॉर्पोरेट महिला का किरदार निभा रही हूं जो अपने महिला होने का फायदा उठाते हुए परेश जी को गाडी बेचने में लगी हुई है. इस फिल्म की खासियत यही है कि इसमें परेश जी मुझे कच्छा बनियान बेचने के चक्कर में हैं और मैं उन्हें गाडी बेचना चाहती हूं. इस फिल्म में हमारा एक खूबसूरत गीत 'गुपचुप गुपचुप" भी है, जिसमें मैं परेश जी को रोमांस करने के लिए उनके पीछे भाग रही हूं. सारे गाने में यही हो रहा है. फिल्म 'रेस" में मैं लवलीन नामक लडकी का किरदार निभा रही हूं, जो करमचंद के 'किटी" से काफी मिलता जुलता है. मैं अनिल कपूर, जो करमचंद की तरह जासूस की भूमिका निभा रहे हैं, उनके साथ हूं. वह इतने बेवकूफी से भरे सवाल पूछती है कि मुझे खुद को लग रहा था कि क्या वाकई कोई इतना बेवकूफ हो सकता है.

    'वन टू थ्री" साइन करने की खास वजह ?

    इस फिल्म को साइन करने की खास वजह अश्विनी धीर हैं. मेरे माता पिता 'ऑफिस ऑफिस" के बहुत बडे फैन हैं. यह उनका बहुत बेहतरीन शो है. मैं खुद 'ऑफिस ऑफिस" की ज़बर्दस्त फैन हूं. और सच कहूं तो इस फिल्म में मैं पंकज कपूर को बहुत मिस कर रही हूं. अगर वे होते तो और भी मज़ा आता. मगर मुझे नहीं लगता है कि इस फिल्म में उनके लिए कोई किरदार था. अश्विनी धीर ने इतने बेहतर हंग से यह कहानी लिखी है कि कहीं कोई ऐसी जगह नहीं है जहां हंसी न आए. यह फिल्म करने के बाद मैं आशा करती हूं कि अश्विनी जी मुझे अपनी अगली फिल्म में भी लेंगे.

    यह तो अश्विनी धीर की बात हुई, अब्बास मस्तान के बारे में क्या कहना चाहेंगी ?

    मुझे लगता है वह दो जिस्म एक दिमाग हैं. दोनों एक ही तरह से सोचते हैं. कभी ऐसा नहीं हुआ कि एक कुछ बोल रहा है तो दूसरा कुछ और बोल रहा हो. जिस तरह से घडी की दो सुइयां काम करती है उसी तरह उनका काम करने का तरीका है. इतनी बडी स्टार कास्ट होने के बावजूद कभी उन्होंने किसी को कमतर नहीं आंका और न कभी महसूस होने दिया.

    गंभीर सिनेमा से कॉमेडी सिनेमा करने की कोई खास वजह ?

    दरअसल पिछले कुछ सालों से मैंने काफी गंभीर फिल्में की जिनमें बुद्धदेव दासगुप्ता की 'कालपुरुष" और 'अमि यसीन अर अमार मधुबाला" भी शामिल है. मैं अभिनय के हर क्षेत्र को इंजॉय करना चाहती हूं. मुझे लगता है एक एक्टर होने के नाते यह मेरा कर्तव्य बनता है कि मैं हर क्षेत्र में अपनी छाप छोडूं. साथ ही कॉमेडी करने की असली वजह फिल्म 'मुन्नाभाई एम बी बी एस" है. उस फिल्म को देखने के बाद मुझे ऐसा लगा कि मैं कॉमेडी क्यों नहीं करती. खुशी की बात है मुझे अश्विनी जी ने यह फिल्म ऑफर की और मैंने उसे अपना लिया.

    इतनी गंभीर फिल्में करने के बाद भी लोग आपको आज भी हॉट प्रॉपर्टी की तरह देखते हैं ?

    हां तो ठीक है ना मुझे कोई फर्क नहीं पडता. मैंने काफी लोगों को देखा है वह मुझे पहले हॉट कहते हैं फिर माफी मांग लेते हैं. ऐसे लगता है जैसे कोई मर गया. अरे यार ठीक है ना. मुझे अपने इस इमेज पर बहुत नाज़ है. मेरी पहली फिल्म 'मैने दिल तुझको दिया" टेलीविजन का सबसे पसंदीदा फिल्म बन चुका है. मुझे खुशी है कि दर्शकों को वह फिल्म इतनी पसंद है कि वह हर दो हफ्ते में उसे देखना चाहते हैं. उस फिल्म को बने चार साल हो चुके हैं मगर दूरदराज़ जगहों में मुझे आज भी उसी से पहचाना जाता है. 'मुसाफिर" फिल्म का ज़िक्र भी यहां ज़रूरी है जिसके कारण मुझे हॉट प्रॉपर्टी की उपाधि मिली. इस फिल्म से सारे बॉलीवुड में मुझे पहचाना जाने लगा और मुझे बंगाली सिनेमा में बुद्धदेव दासगुप्ता के साथ काम करने का मौका मिला.

    'रेस" और 'वन टू थ्री" दोनों फिल्में एक साथ रिलीज़ होना आपके अनुसार फायदेमंद है या मुकसान देह ?

    अभी तक तो ऐसा मेरे साथ हुआ नहीं है. आपके इस सवाल का जवाब मैं दोनों फिल्म रिलीज़ होने के बाद दूंगी. फिलहाल मैं कुछ भी सोच नहीं रही हूं. दोनों फिल्में अलग तरह की हैं, दोनों की स्टार कास्ट अलग है सो यही चाहूंगी कि दोनों फिल्में ज़बर्दस्त चलें. 'रेस" में बहुत बडी स्टार कास्ट है और यही वजह है कि इससे लोगों की उम्मीदें काफी बढी हुई हैं. 'वन टू थ्री" लिमिटेड बजट की है इससे लोगों की अपेक्षाएं सीमित हैं.

    'रेस" और 'वन टू थ्री" दोनों में आपके साथ तीन और नायिकएं थी सो किसी तरह की कोई नोंक झोंक या परेशानी पेश आई ?

    मुझे पसंद है नोंक झोंक मगर अफसोस ऐसा कुछ हुआ ही नहीं. 'रेस" में भी मुझे लोग पूछ रहे थे कि बिपाशा के साथ क्या हुआ, कैटरीना के साथ क्या हुआ. अरे यार मैं क्या बताऊं दरअसल हम अपने कपडों और मेक अप को लेकर इतने व्यस्त रहते थे कि लडने झगडने का मौका ही नहीं मिलता था. और यही हाल फिल्म 'वन टू थ्री" के सेट पर हुआ था.

    मगर हमनें तो यह सुना है कि एक बार गलती से आपका पैर तनिषा के पैर पर पड गया था और उन्होंने पूरे सेट पर हंगामा खडा कर दिया था ?

    (सोचते हुए) देखिए शूटिंग के सेट पर यह सब बातें आम हैं. तनिषा के बारे में मैं यही कहना चाहूंगी कि वह बहुत अच्छी लडकी है. दरअसल हमारे एक साथ बहुत कम सीन थे सो इस तरह की बातों के लिए गुंजाइश बहुत कम रह जाती है. वैसे भी शूटिंग के दौरान कई बार हम बहुत स्ट्रेस में काम करते हैं सो हो सकता है ऐसा कुछ हो. मगर हमारे बीच इतना बडा भी कुछ नहीं हुआ था जिसका मीडिया ने इतना बडा इश्यू बना दिया.

    बिपाशा और तनिषा के अलावा नीतू चंद्रा और कैटरीना के बारे में क्या कहना चाहेंगी ?

    मुझे यह समझ में नहीं आता है कि ऐसा क्यों सोचा जाता है कि लडकियां जब एक साथ होती हैं तो लडाई करती हैं. मैं आपको एक बात बताना चाहूंगी कि लडके लडकियों से भी बेकार होते हैं मगर उनके बारे में कोई कुछ नहीं कहता. वह आपस में इतना चाल चलते रहते हैं कि क्या बताऊं. खैर यह सब आपको बाद में सुनने को मिल ही जाएगा. जहां तक 'वन टू थ्री" की बात है उसके सेट पर भी हमनें खूब धमाल मचाया. उसमें सबसे ज़्यादा मज़ा सुनील शेट्टी के साथ आया. उन्होंने उपेन पटेल के साथ इतना रैगिंग किया कि पूछिए मत.

    इन फिल्मों के अलावा आपकी और कौन सी फिल्में है ?

    इन फिल्मों के अलावा एक एनिमेशन फिल्म 'महायोद्धा राम" है इस फिल्म में कुणाल कपूर राम और मैं सीता का किरदार निभा रही हूं. हमारे साथ लिलेट दूबे और गुलशन ग्रोवर है. यह पिक्सन की फिल्म है. इसके अलावा सुनील शेट्टी के साथ मैं एक दिलचस्प फिल्म कर रही हूं जो नक्सलवादियों पर आधारित है. इस फिल्म में मेरे साथ आएशा धारकर हैं. इसमें हम दोनों नक्सलवादी बने हैं. दरअसल बंगाली सिनेमा के अलावा मैं हिंदी सिनेमा में भी कुछ गंभीर फिल्में करना चाहती थी. मुझे खुशी है ऐसे समय में सुनील मेरे लिए इतनी दिलचस्प फिल्म लेकर आए. इस फिल्म के निर्देशक अनंत महादेवन है. बहुत जल्द इसकी शूटिंग शुरू होने वाली है. इन फिल्मों के अलावा मैंने कुमार मंगत के साथ दो फिल्में और बुद्धदेव दासगुप्ता के साथ एक और फिल्म साइन की है. इसके अलावा गौतम मेनन की तमिल फिल्म 'वारनम अयरम" भी कर रही हूं. इसमें मेरे साथ तमिल के सुपरस्टार सूर्या हैं. मेरे अनुसार साऊथ की फिल्में सबसे बेहतरीन होती हैं और हमें बॉलीवुड की बजाय इन फिल्मों पर अपना ध्यान केन्द्रित करना चाहिए.

    इसके अलावा सुजॉय घोष की फिल्म 'अल्लादिन एंड द मिस्ट्री ऑफ लैंप" का क्या हुआ ?

    वह फिल्म अब मैं नहीं कर रही हूं.

    कैसा लगता है बंगाली सिनेमा का जाना पहचाना चेहरा आज भी हिंदी सिनेमा में संघर्ष कर रहा है ?

    मैं सिर्फ बंगाली ही नहीं बल्कि हिंदी, तेलुगू और तमिल में भी जाना पहचाना चेहरा हूं. मुझे लगता है कोई भी कलाकार चाहे कितना भी बडा क्यों न हो उसका संघर्ष हमेशा जारी रहता है. आज शाहरुख खान अगर बडे कलाकार हैं तो वहां जमे रहने के लिए भी उनका संघर्ष ही जारी है. सब फिल्मों के हिट या फ्लॉप होने पर निर्भर करता है. अभिषेक बच्चन को देखिए पन्द्रह फिल्म फ्लॉप होने के बावजूद लोग उनकी वाह वाह कर रहे हैं. शिल्पा शेट्टी के बारे में लोगों का कहना था कि उनका करियर खत्म हो चुका है मगर देखिए आज कहां है वह. करीना कपूर के बारे में भी लोगों ने यही कहा था मगर एक फिल्म की सफलता ने उन्हें कहां से कहां पहुंचा दिया.

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