twitter
    For Quick Alerts
    ALLOW NOTIFICATIONS  
    For Daily Alerts

    नमक-मिर्च का स्वाद है इश्किया

    By नेहा नौटियाल
    |

    Arshad Warsi, Vidhya Balan
    जब तीखी, मसालेदार कोई चीज जो मुंह का जायका बदल कर रख दे और जैसे ही हलक से नीचे उतरने लगे तो कानों से भी धुआं छुड़वा दे । बस समझ लीजिए कुछ इसी मिजा़ज की फिल्म है इश्किया। इसमें पूर्वी उत्तर प्रदेश के एक शहर गोरखपुर की कहानी है जो खालूजान, बब्बन और कृष्णा के किरदारों के इर्द- गिर्द लिपटी है।

    बब्बन और उनके खालू छोटे चोर और उठाईगीर हैं। दोनों मध्यप्रदेश के भगोड़े हैं। वो अपनी जान बचाने के लिए गोरखपुर के पास एक गांव में विधवा कृष्णा के घर में जाकर छिपते हैं और फिर शुरुआत होती है इश्किया की। तीनों किरदारों को इस तरह से एक दूसरे में गूंथा गया है कि कोई भी किरदार किसी से उन्नीस नहीं पड़ता। यह फिल्म ठेठ देहाती भाषा का स्वाद पैदा करती है जो कि बिना गालियों के अधूरा होता है। इसलिए इसमें भी ढेर के ढेर गालियां हैं जिनका विशुद्ध जायका आप विशाल की ओमाकारा में ले चुके हैं।

    लेकिन इश्किया उस पर भी बीस है इसलिए अमित चौबे के निर्देशन में अपने गुरू विशाल की छाप चप्पे-चप्पे पर देखने को मिलती है। खालूजान के किरदार में नसीरूद्दीन शाह ने एक ढलती उम्र के इशिकया की यादगार भूमिका निभाई है जिसका दिल बच्चा है जी । जो कि एक रोमांटिक किस्म का छोटा-मोटा उठाईगिर है। बब्बन के किरदार में अरशद वारसी ने खुद कुछ यूं फिट बैठाया है कि लगता ही नहीं आप सिनेमा के पर्दे पर उसे देख रहे हैं। ऐसा लगता है जैसे अपने गली मोहल्ले के किसी बाशिंदे से बार- बार सामना हो रहा हो । विधवा कृष्णा की भूमिका में विद्या ने कुछ ऐसा असर छोड़ा है जैसे खट्टे नींबू के साथ मिर्ची वाला नमक हो।

    विद्या अपने वक्त की सबसे संवेदनशील अभिनेत्रियों में एक हैं। वह मध्यमवर्ग के ज्यादा करीब लगती हैं और इसलिए उनका किरदार गवंई ठसक पैदा करने में असर छोड़ता है। कहानी और किरदार इतने बेहतरीन तरह से बुने गए हैं कि ये अंदाजा लगाना मुशकिल होता है कि आगे क्या होगा? जो कि किसी भी फिल्म की सबसे बड़ी खासियत होती है कि वो कैसे दर्शकों को बांधे रखती है। संवादों में ठेठ विशाल का अंदाज नजर आता है। जो कि संवाद की चमक फीकी नहीं पड़ने देते और इसलिए गालियों का भरपूर इस्तेमाल करते हैं। लेकिन कई बार वो दिमाग के ऊपर से उड़न छू हो जाते हैं।

    फिल्म का स्क्रीन प्ले विशाल भारद्वाज, सबरीना धवन और अभिषेक चौबे ने मिलकर लिखा है। विशाल का संगीत इब्नबतूता और दिल बच्चा चार्ट बास्टरों और लोगों की जुबान पर पहले ही चढ चुका है। नए किस्म का सिनेमा गढ़ने वाले सिनेमाकारों में अभिषेक चौबे एक नई कड़ी साबित होते हैं। इश्किया के बाद उनसे आगे भी उम्मीदें की जाएंगी। मोहन कृष्णा की सिनेमैटोग्राफी बेहतरीन है। धारा के विपरीत जाने वाले निर्देशक और इश्किया के प्रोड्यूसर विशाल भारद्वाज अपनी फिल्मों और अभिषेक चौबे जैसे शिष्यों के जरिए एक नए किस्म का सिनेमा गढ़ रहे हैं। जिसका खुले दिल से स्वागत करना चाहिए।

    इश्किया देखने जरूर जाएं यकीन मानिए यह फिल्म आपको जरूर पसंद आएगी।

    तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
    Enable
    x
    Notification Settings X
    Time Settings
    Done
    Clear Notification X
    Do you want to clear all the notifications from your inbox?
    Settings X
    X