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    दबी हुई हसरतों को पूरा करने की चाहत है शटलकॉक ब्वायज

    By Belal Jafri
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    नयी दिल्ली। अपनी चाहतों का गला घोंट कर नौ से पांच की नौकरी करने वाले युवाओं की कहानी पर आधारित नयी फिल्म शटलकॉक ब्वायज के निर्देशक हेमंत गाबा का कहना है कि यह फिल्म उन दबी हुई हसरतों की कहानी है जिन्हें हम रोजगार पाने की मजबूरी में पूरा नहीं कर पाते।

    shuttlecock boys

    हेमंत ने भाषा से कहा कि तीन अगस्त को प्रदर्शित होने वाली इस फिल्म में उन्होंने राजमर्रा की जिंदगी से मिले अनुभवों को पर्दे पर उतारने की कोशिश की है। फिल्म की पटकथा लिखने वाले हेमंत ने कहा, हम चार मित्र साथ में बैडमिंटन खेलते वक्त ये बातें किया करते थे कि कैसे हमने रोजगार पाने की खातिर अपनी ख्वाहिशों का गला घोंट दिया। लेकिन अभी भी हममें अपनी उन दबी चाहतों को पूरा करने की उम्मीद बाकी है।

    हेमंत ने कहा कि पिछले कुछ साल में भारतीय सिनेमा का दायरा काफी विस्तृत हुआ है जिससे नये लोगों को भी अपनी सोच को पर्दे पर उतारने की प्रेरणा मिली है और ये सिनेमा के लिए काफी सकारात्मक संकेत है।

    इस फिल्म में चार मुख्य किरदार हैं जो अपनी आम जिंदगी से कुछ हट कर करना चाहते हैं। यह फिल्म पीवीआर सिनेमा के साथ मिल कर देश के कई शहरों में प्रदर्शित की जाने वाली है।

    English summary
    Director Heman Gaba, whose debut film "Shuttlecock Boys" is finally set to hit the theatres after a year-long wait, says independent Indian filmmakers find little support in a market dominated by big budget movies. "Shuttlecock Boys" revolves around the lives, successes and failures of four friends, who play badminton every night.
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