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    अश्लील मजाक है 'हैलो डार्लिंग'

    By अंकुर शर्मा
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    मनोज तिवारी की फिल्म 'हैलो डार्लिंग" ने फूहड़ता की सारे हदें पार कर दी हैं। अपने दोअर्थी संवादों और अश्लीलता के चलते यौन उत्पीड़न जैसे संवेदन शील मु्ददे को मजाक बना कर रख दिया है 'हैलो डार्लिंग" ने। फिल्म ऑफिस कॉमेडी '9 टू 5" की कॉपी है। शुरू से अंत तक समझ में नहीं आता है कि फिल्म में दिखाया क्या गया है। केवल अश्लील ढंग से सेक्स को परोसना फिल्म मेकिंग नहीं हैं।

    देखें : हैलो डार्लिंग की तस्वीरें

    यौन उत्पीड़न करने वाले बॉस बने जावेद जाफरी को पहले भी अभिनय नहीं आता था और आज भी नहीं आता। अगर अश्लील संवाद बोलने को वो एक्टिंग समझते हैं तो ये उनकी गलती है, क्योंकि इस बार तो चंद दर्शक उनकी फिल्म तक पहुंच गए हैं, अगली बार कोई उनका नाम भी नहीं सुनेगा। रही बात सेलीना जेटली, ईशा कोप्पीकर और गुल पनाग की तो इन तीनों के बॉलीवुड में दिन पूरे हो चुके हैं। एक्टिंग के नाम पर कपड़े उतारना ही अभिनय और सफलता नहीं हैं। अगर कामयाब होना है तो आपको अदाकारी आनी चाहिए जो कि इन तीनों में दूर तक नहीं है।

    न तो संगीत और न ही संवाद ऐसे हैं जिन्हें याद किया जाये। रीमिक्स के चलते गुजरे जमाने का मशहूर गीत भी बेकार लगता है, उस पर सेलीना का डांस महान नृत्यांगना हेलेन के डांस की तौहीन करता है। कुल मिला कर कहा जा सकता है कि औसत से भी ज्यादा बेकार फिल्म है 'हैलो डार्लिंग'। जिसके लिए सिर्फ ये कहा जा सकता है कि ऐसी फिल्में बनतीं क्यों है?

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