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Happy Birthday: रेखा की अदाओं ने डाल दी थी संगीत में जान - खय्याम
संगीत
एक
ऐसी
चीज़
है
जिसके
बिना
फिल्मों
में
जान
डालना
असंभव
है।
यही
कारण
है
कि
फिल्म
इंडस्ट्री
में
एक
संगीतकार
बहुत
ही
अहम
जगह
रखता
है।
संगीतकारों
का
नाम
आए
और
खय्याम
साहब
का
नाम
ना
आए
ऐसा
तो
हो
नहीं
सकता।
मोहम्मद
ज़हूर
खय्याम
हाशमी
ने
चार
दशकों
तक
अपने
संगीत
से
म्यूज़िक
इंडस्ट्री
पर
राज
किया।
पद्मभूषण से सम्मानित खय्याम साहब 18 फरवरी को अपना 88वां जन्मदिन मना रहे हैं और उन्होंने इस मौके पर बीबीबसी हिन्दी को दिए एक इंटरव्यू में खय्याम साहब ने सुनहरे संगीत के दिनों की यादें ताज़ा की।
अपने
करियर
का
बेस्ट
काम
खय्याम
साहब
उमराव
जान
को
मानते
हैं।
उन्होंने
यादें
ताज़ा
करते
हुए
बताया
कि
इस
फिल्म
का
संगीत
बनाने
से
पहले
वो
काफी
डरे
हुए
थे।
उन्हें
डर
था
कि
इस
फिल्म
की
तुलना
पाकीज़ा
से
ज़रूर
की
जाएगी
और
मीना
कुमारी
का
तो
कोई
सानी
था
ही
नहीं।
पर
उनके
संगीत
और
सुरों
को
रेखा
बनीं
उमराव
जान
ने
ऐसा
निखारा
कि
इस
फिल्म
के
लिए
खय्याम
साहब
को
राष्ट्रीय
पुरस्कार
तक
मिला।
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डी
बर्मन
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इन
गीतों
को
सुनकर
तरोताज़ा
हो
जाइए
वहीं आशा भोंसले की आवाज़ ने भी क्या कमाल किया। हालांकि खय्याम साहब ने लता मंगेशकर के साथ ज़्यादा काम किया है पर उनकी मानें तो दोनों में कोई तुलना ही नहीं। लता सुरों की महारानी हैं तो आशा पटरानी।
उमराव जान के पहले नूरी, त्रिशूल, कभी कभी, शोला और शबनम के गीतों ने भी खूब कमाल मचाया। वहीं मजरूह सुल्तानपुरी, कैफी आज़मी के बोल पर खय्याम के संगीत का अपना ही जादू था।