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    ढूंढ़ते रह जाओगे: एक खराब नकल

    By Staff
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    नवोदित निर्देशक उमेश शुक्‍ला की फिल्‍म 'ढूंढ़ते रह जाओगे' हालीवुड की क्‍लासिक फिल्‍म 'द प्रोड्यूसर्स' पर बनी थी।

    1968 में मेल ब्रुक्‍स द्धारा निर्देशित इस फिल्‍म को श्रेष्‍ठ पटकथा के लिए अकादमी पुरस्‍कार मिला था। वहीं उमेश इस अद्वितीय क्लासिक फिल्‍म के भारतीय संस्‍करण के साथ जरा भी न्‍याय नही कर पाए।

    फिल्‍म की कहानी एक फिल्‍म निर्माता और लेखाकार के इर्द गिर्द घूमती है जो अपने कर्जे से तंग आकर एक ऐसी फिल्‍म बनाने की कोशिश करते है जो कि सुपर फ्लाप हो जाए। फिल्‍म के सुपरफ्लाप होने से बीमा कम्‍पनी से मिलने वाले पैसे से दोनो अपने कर्जो का भुगतान कर दें। लेकिन फिल्‍म सुपरहिट हो जाती है।

    कुछ ऐसी ही कहानी द प्रोड्यूसर्स की थी, बस फर्क इतना था कि इसकी पूरी कहानी एक ब्राडवे प्रोड्यूसर और उसके एक नए नाटक के इर्द-गिर्द घूमती है। दिलचस्प बात यह है कि जब यह फिल्म रिलीज हुई उसी दौरान पालाडोर पिक्चर्स ने इस क्लासिक फिल्म की सीडी भी रिलीज की है। उल्लेखनीय है कि पालाडोर पिक्चर्स विश्व की कई चुनिंदा क्लासिक और आधुनिक फिल्मों की सीडी रिलीज की है।

    उमेश शुक्‍ला की फिल्‍म तो इतनी खराब बनी थी कि वह कब आई और कब चली गई पता ही नही चला, हालांकि उन्‍होंने फिल्‍म निर्माता की भूमिका में इंडस्‍ट्री के दिग्‍गज कलाकार परेश रावल को लिया था लेकिन फिल्‍म लोगों को अपील करने में नाकामयाब रही। वही 'द प्रोड्यूसर' ने सफलता कई प्रतिमान स्‍थापित किए।

    कुल मिलाकर यही कहा जा सकता है कि नकल में भी अकल की जरूरत पड़ती है।

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