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Dharma Censor Board: टीवी, ओटीटी और फ़िल्मों से जुड़े धार्मिक कंटेट की रिव्यू के लिए धर्म सेंसर बोर्ड का गठन
Dharma Censor Board: टीवी, ओटीटी और फ़िल्मों में धर्म व प्रतीकों के चित्रण को लेकर लोगों की भावनाएं आहत होने की ख़बरें सुर्ख़ियों में छाई रहती हैं और इसे लेकर ख़ूब हंगामा भी होता है। कई फिल्में विवादों में फंसकर नुकसान भी झेलती हैं। लिहाजा, आगे से लोगों की भावनाओं का सम्मान करने और हिंदु प्रतीकों की छेड़छाड़ से पैदा होनेवाले विवादों से बचने लिए हिंदुओं के सर्वोच्च गुरू जगतगुरू शंकराचार्य ने धर्म सेंसर बोर्ड के गठन का ऐलान कर दिया है।
उत्तर प्रदेश फ़िल्म विकास परिषद के उपाध्यक्ष तरुण राठी इस धर्म सेंसर बोर्ड के प्रमुख सलाहकार होंगे। टीवी, ओटीटी और फिल्मों में मनोरंजन के उद्देश्य से बनाए जानेवाले तमाम तरह के कंटेट को रिलीज किये जाने से पहले बोर्ड द्वारा रिव्यू किया जाएगा।
Pathaan
ट्रेलर
हुआ
लीक?
शाहरुख
खान
का
बवाल
एक्शन
देखकर
फैंस
हुए
क्रेजी,
यहां
जानें
सच्चाई!
धर्म सेंसर बोर्ड के गठन के मौके पर जगत गुरू शंकराचार्य ने कहा, "चंद मुट्ठीभर लोग दुनियाभर में 800 करोड़ दर्शकों के मनोरंजन से जुड़े सशक्त माध्यमों का इस्तेमाल हुए जिस तरह के कंटेट का निर्माण करते हैं, उससे वे हिंदू धर्म, संस्कृति और परंपराओं की संवेदनशीलता की पूरी तरह से अवहेलना करते हैं और ऐसे कंटेंट से समाज पर होनेवाले असर की कतई परवाह भी नहीं करते हैं.."

सिनेमाहॉल
में
नहीं
ले
जा
पाएंगे
बाहर
से
खाने
या
पीने
का
सामान,
सुप्रीम
कोर्ट
ने
जारी
किया
RULES
उन्होंने आगे कहा, "आम लोग टीवी, ओटीटी और फ़िल्मों में इस तरह के आपत्तिजनक कंटेट को नियंत्रित करने के लिए एक विशेष तरह की संस्था के गठन की मांग कर रहे थे। फिर चाहे बात आपत्तिजनक सीन्स की हो, संवाद की हो या फिर स्क्रिप्ट की; इस नवगठित बोर्ड के पास सभी तरह के कंटेट की समीक्षा का अधिकार होगा। जनता की भारी मांग को देखते हुए गठित किया गया यह बोर्ड इस बात का ध्यान रखेगा कि करोड़ों लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ करनेवाले असंवेदनशील कंटेट आम लोगों तक ना पहुंचे और उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत ना करे।"
इस मौके पर तरुण राठी ने कहा, "बोर्ड का एक मक़सद यह भी होगा कि फ़िल्ममेकर्स अपने कंटेट को रिलीज़ से पहले सर्वोच्च धार्मिक संस्था की अनुमति हासिल करें ताकि टीवी, ओटीटी और फ़िल्मों के प्रस्तुतिकरण से आम लोगों की भावनाएं आहत ना हों और इसी के साथ मनोरंजन करने का उनका उद्देश्य भी पूरा हो सके।"