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'बाबूजी' की याद में संस्थान खोलेंगे अमिताभ...
सबको
पता
है
कि
सदी
के
महानायक
अगर
एक
मैच्योर
और
बेहतरीन
कलाकार
हैं
तो
वहीं
निजी
जिंदगी
में
वह
लविंग
हसबैंड,
केयरिंग
पिता,
मोहक
दादू-नानू
और
एक
आज्ञाकारी
पुत्र
भी
है।
अमिताभ
अपनी
सफलता
के
हर
एक
पलों
में
अपने
बाबूजी
कवि
हरिवंश
राय
बच्चन
को
याद
करना
नहीं
भूलते
हैं।
अमिताभ
का
मानना
है
कि
मां-बाप
कहीं
नहीं
जाते...
वह
यहीं
रहते
हैं
हमारे
साथ,
हमारे
पास।
कभी वह संस्कारों के रूप में और कभी वह आदतों के रूप में हमेशा हमारे पास जिंदा रहते हैं। तभी को अपने पिता की लिखी अनुपम कृतियां चाहे वो मधुशाला हो, मधुकलश हो या फिर मधुबाला उन्हें जबानी याद है लेकिन एक पुत्र के हैसियत से नहीं बल्कि एक कलाप्रेमी के हैसियत से अमिताभ को लगता है कि उनके पिता की ओर से लिखी गयीं इन अनुपम कृतियों को संजोने के लिए एक संस्थान होना चाहिए इसलिए वह और उनकी पत्नी जया बच्चन इस बारे में सोच रहे हैं कि वह एक ऐसा संस्थान खोलें जहां उनके पिता की कविताओं पर शोध हो सके।
खैर यह संस्थान कब खुलेगा और उसकी रूप रेखा क्या होगी? इस बारे में पता तो आने वाला वक्त बतायेगा लेकिन इतना तय है कि अमिताभ आज भी अपने बाबूजी को बहुत प्यार और उनका आदर करते हैं इसलिए उनकी सोच और इच्छा का हर एक को सम्मान करना चाहिए। इसलिए हर एक को ऊपर वाले से दुआ करनी चाहिए कि अमिताभ की यह कोशिश और इच्छा जल्द से जल्द पूरी हो।
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