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    तहान : एक संवेदनशील फिल्म

    By Super
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    निर्देश्‍ाक संतोष सिवन अपनी पिछली दो उत्‍कृष्‍ट फिल्‍में ''हलो'' और ''द टेररिस्‍ट '' से प्रेरणा लेते हुए ''तहान'' को बहुत खूबसूरती से पेश करते है। एक बेहद संवेदनशील कहानी को काल्‍पनिक पात्रों के माध्‍यम से दिखाते है।

    तहान (पूरब भंडारे) एक अठारह वर्षीय बालक है। जो कश्‍मीर के एक शांतमय पशु बाडे़ में अपनी मा़ (सारिका) और बहन (सना शेख) के साथ रहता है। उसका पिता तीन वर्षो से लापता है। बीरबल नाम का एक गधा ही उसका सबसे अच्‍छा दोस्‍त है।

    तहान के परिवार को अपना कर्ज चुकाने के लिए बीरबल को एक स्‍थानीय साहुकार को बेचना पड़ता है। साहुकार उस गधे को एक सुभान दार (अनुपम खेर) नाम के व्‍यापारी को बेच देता है। सुभान दार उसे अपने भतीजे को देना चाहता है। तहान बीरबल को वापस लाने के लिए दार का उसके घर तक‍ पीछा करता है, लेकिन उसे निराशा हाथ लगती है।

    अपने बीरबल को वापस लाने के प्रयास में तहान आतंकी गतिविधियों के जाल में फंस जाता है। फिल्‍म की पुरी कहानी आतंक के अि‍भयान का तहान के मन पर असर और बीरबल को वापस लाने के लाने के बीच घूमती है।

    संतोष सिवन ने अपनी पिछली फिल्‍मों में भी बाल कलाकार के माध्‍यम से गंभीर विषयों को छुआ है। फिल्‍म की कहानी रितेश मेनन के साथ मिलकर संतोष सिवन ने खुद लिखी है। कैमरामैन के रूप में भी सिवन का काम बहुत उल्‍लेखनीय रहा है। उन्‍होंने कश्‍मीर की वादियों की खुबसूरती को ऐसा दिखाया है, जैसा पहले कभी कोई कैमरामैन नही दिखा पाया है।

    फिल्‍म में अनुपम खेर और सारिका का अभिनय अच्‍छा रहा है। राहुल खन्‍ना से ज्‍यादा काम नहीं लिया गया है, उसी तरह विक्‍टर बैनर्जी का रोल भी कम है। वहीं पुरब भंडारे का काम बहुत बेहतरीन है।

    कुल मिलाकर ऐसे समय में जब इतनी उददेश्‍यहीन फिल्‍में आ रहीं है। वहीं पर तहान जैसी फिल्‍म का आना अपने आप में एक उपलब्धि है।


    निर्देशक : संतोष सिवन
    कलाकार : पूरब भंडारे, अनुपम खेर, सारिका, राहुल बोस
    रेटिंग :
    ***

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