Just In
- 1 hr ago
KL Rahul और Athiya Shetty को मिले हैं करोड़ों के गिफ्ट? सच्चाई जानकर उड़ जाएंगे सभी के होश!
- 10 hrs ago
पति के वर्क ट्रिप पर जाने के बाद 'महीनेभर' तक बेडशीट नहीं बदलती ये हसीना, बनने जा रही है 5वें बच्चे की मां!
- 11 hrs ago
धूप में बदन को तपाती बोल्ड तस्वीरें पोस्ट करते हुए, 54 वर्षीय इस हसीना ने कहा, 'ड्रग्स से नहीं घटाया वजन'!
- 11 hrs ago
मशहूर एक्टर ने पामेला पर लगा दिया ऐसा आरोप, बोला- मैंने उसे कोई ऑफर नहीं दिया....
Don't Miss!
- News
सोमालिया में अमेरिकी सेना ने ISIS के शीर्ष कमांडर बिलाल अल सुदानी और उसके 10 सहयोगियों को किया ढेर
- Education
PPC 2023 Live Updates: पीएम मोदी आज छात्रों से करेंगे बातचीत, देखें लाइव वीडियो
- Finance
Infrastructure Mutual Fund : एक साल में सबसे अधिक रिटर्न देने वाली स्कीम, मिली है टॉप रेटिंग
- Technology
खरीदें कुछ बेहतरीन 5G बजट स्मार्टफोन, जाने कीमत से लेकर स्पेसिफिकेशन यहां
- Lifestyle
करना है बेहतर वेट लॉस तो आज से अच्छी नींद लेना कर दें शुरू
- Automobiles
इस ई-बाइक में मिलती है 200 किमी की रेंज, 3 घंटे में होती है फुल चार्ज, जल्द होने वाली है लाॅन्च
- Travel
यात्रा करने से मिलते हैं ये सबक, जिंदगी को बनाते हैं और भी मजेदार
- Sports
जोकोविच ने कोरोना को लिया हल्के में, अब सामने आया राफेल नडाल का बयान
Review कोटा: द रिजर्वेशन- जातिवाद के मुद्दे पर बेस्ड दलित छात्राओं की दर्दनाक हकीकत
फिल्म- कोटा: द रिजर्वेशन
निर्देशक, लेखक- संजीव जायसवाल
कलाकार- अनिरुद्ध दवे,आदित्य ओम, गरिमा कपूर
कहां देखें- बाबा प्ले Baba Play
लोग बोलते हैं कॉलेज के दिन यादगार होते हैं, कोई हम दलित छात्रों से पूछे? इसी सवाल को पूरा करती हुई दिखाई देती है, कोटा: द रिजर्वेशन फिल्म। जाति भेदभाव की जड़ें कितनी गहरी और कठोर होती है ,इसका दर्द उस समाज को पता है जो जन्म से लेकर मरण तक ऊंच-नीच की घिनौनी सोच की लपटें खाता है। संजीव जायसवाल द्वारा निर्मित, निर्देशित और लिखित कोटा इसी आग को दिखाती है। यह कहानी है सौरभ रावत की। जो डॉक्टर बनने का सपना लेकर माता-पिता से दूर शहर के सबसे प्रतिष्ठित कॉलेज में दाखिला पाता है।
कॉलेज के पहले दिन वह अपने होस्टल के कमरे से पूजा-पाठ कर घर के कैंपस में पहुंचता है। जहां ऊंचे समाज के विद्यार्थियों को इस बात से तकलीफ है कि रिजर्वेशन के बलबूते उनकी जगह छीन कर दलित विद्यार्थियों को दे दी जाती है। सौरभ रावत को पहले दिन यह अहसास करवा दिया जाता है कि उस पर दलित होने का दाग है। जब सौरभ इसका विरोध करता है तो उसे हर कदम दलित, ऊंच- नीच, राजनीति के साथ अपने डॉक्टर बनने के सपने के टूटने का जख्म मिलता है। इसी दर्दनाक कहानी को यह फिल्म दिखाती है। संजीव जायसवाल ने अपने लेखन में उन्हीं तथ्यों को रखा है जिससे समाज परिचित है।

समाज के ठेकेदारों की कहानी जाति व्यवस्था की घिनौनी सच्चाई अखबारों में सिंगल कॉलम की खबर के तौर पर आए दिन छपती रहती हैं। ऐसे में फिल्म देखते वक्त कुछ नया महसूस नहीं होता। पूरी कहानी एक नुक्कड़ नाटक की तरह दिखाई पड़ती है। स्क्रिप्ट में क्रांति,गुस्सा, आक्रोश, विरोध, प्यार, दर्द, एक्शन, दर्दनाक क्लाइमैक्स जैसे कई सारे मसाले मौजूद तो हैं, लेकिन उसका स्वाद आपके गले तक नहीं पहुंचता। आरक्षण की आग की आंच भी आप तक नहीं पहुंच पाती है। अनिरुद्ध दवे ने सौरभ रावत की भूमिका के साथ इंसाफ किया है। उनके अलावा बाकी के सभी सह कलाकार अदायगी में कच्चे दिखाई देते हैं। यह फिल्म गंभीर होने के बावजूद माथे पर बल नहीं पड़ने देती है। स्क्रिप्ट पूरी तरह से बैठी हुुई नजर आती है। निर्देशन में अनुभव की कमी झलकती है। डायलॉग भी कहानी को मजबूती देने में असहाय नजर आते हैं। फिल्म के आखिरी में केवल एक गीत है।
क्यों देखें- जाति भेदभाव के हकीकत का प्रभाव कैसे एक विद्यार्थी के जीवन को तोड़ देता है, इसे समझने के लिए आप यह फिल्म देख सकते हैंं। कोटा जातिवाद के मुद्दे को संबोधित करता है और बाबा साहब के विचारों को फैलाने के लिए समर्पित है।
-
South पर चढ़ा ‘पठान’ का बुखार, पोस्टर को बैग पर छपवाने से लेकर बाल कटवाने तक, इस कदर लोग हो रहे हैं दीवाने!
-
Republic Day 2023- इस गणतंत्र दिवस पर ये 7 गाने दिल में भर देंगे देशभक्ति का जज्बा!
-
‘पठान’ से पहले स्पाई यूनिवर्स की बाकी फिल्मों ने भी की है रिकॉर्ड तोड़ कमाई, अब पार्टी होगी पठान के घर में !