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    खूबसूरत फिल्म है रावण

    By नेहा नौटियाल
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    मुख्य कलाकार : अभिषेक बच्चन, ऐश्वर्या राय बच्चन, विक्रम, गोविंदा, रवि किशन, निखिल द्विवेदी, प्रियमणि

    निर्देशक : मणिरत्‍‌नम

    रेटिंग: 2.5 / 5

    बहुप्रतीक्षित रावण दर्शकों के बीच पहुंच गई है। मणिरत्नम एक ऐसे फिल्मकार हैं जो अपनी फिल्मों में सिर्फ कलाकारों से ही बढ़िया अभिनय करवाने की क्षमता नहीं रखते बल्कि उनकी फिल्म के दृश्य भी संवाद पैदा करते हैं। रावण की कहानी के पात्र जरूर रामायण के मिथकीय अवतारों से उठाए गए हैं मगर फिल्म का ट्रीटमेंट बेहद अलग है। यानी विषय वस्तु वही है बस संदर्भ बदल गए हैं।

    फिल्म में अभिषेक बच्चन बीरा (रावण), ऐश्वर्या रागिनी (सीता), विक्रम देव (राम) और गोविंदा (हनुमान) की भूमिका में हैं। देव और रागिनी शादी- शुदा हैं। देव एक बहादुर पुलिस ऑफिसर हैं और रागिनी एक डांस टीचर। देव की पोस्टिंग एक सुदूर आदीवासी इलाके में कर दी जाती है जहां बीरा का राज चलता है।

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    ऐसे में आपको रॉबिनहुड के बारे में पढ़ी गई कहानियां याद आती हैं। जो जरूरतमंदो के लिए फरिश्ता और सरकार जिसकी दुश्मन है, ऐसा है बीरा का किरदार। बीरा और देव में इसलिए ठनती है क्यों दोनों अपनी बहन के अपमान का बदला लेना चाहते हैं और इसलिए बीरा, देव की पत्नी रागिनी का अपहरण कर लेता है। बीरा के किरदार में कई भाव हैं। भले ही उसका बाहरी अवतार रावण का है मगर उसका दिल राम से भी ज्यादा निश्चल और पवित्र है।

    दरअसल फिल्म का मुख्य किरदार बीरा ही है। किरदार निभाना अलग बात होती है और उसमें डूब कर उतर जाना अलग बात। अभिषेक बस किरदार निभा जाते हैं मगर उसमें डूब नहीं पाते। फिल्म का पहला भाग समझ से परे लगता है, दूसरे भाग की शुरुआत में कहानी पटरी पर आती है और फिर अंत बेहद बेजान है।

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    मगर लचर कहानी के बावजूद फिल्म बांधे रखने में कामयाब होती है और ये कमाल है ऐसी लोकेशन्स का जो पहले शायद ही किसी फिल्म में इतनी खूबसूरती से फिल्माए गए हों। मणिरत्नम की फिल्मों में बरसते मेघा खूब दिखाई पड़ते हैं और रावण तो पूरी तरह से पानी में भीगी हुई लगती है।

    बेहद खूबसूरती से फिल्माए गए लोकोशन्स के लिए मणि और उनकी पूरी टीम को दाद देनी चाहिए। राम के किरदार में विक्रम ने वाकई रावण के ऊपर जीत हासिल की है, उनका अभिनय बेहद सधा हुआ है। ऐश्वर्या सिर्फ खूबसूरत दिखी ही नहीं हैं बल्कि वो खूबसूरत अभिनय भी कर लेती हैं।

    देव जब उनसे पॉलीग्राफ टेस्ट करवाने को कहता है (जैसे रामायण में राम ने सीता से अग्निपरीक्षा करवाई थी) रागिनी अपनी पवित्रता साबित करने के लिए खुद को आग में झोंक नहीं देती बल्कि बिफर पड़ती है। आज के संदर्भ में यह सीता का असली रुप है। कलाकारों में विक्रम सबसे ज्यादा प्रभावित करते हैं। अन्य भूमिकाओं में प्रियमणी, निखिल द्विवेदी और रवि किशन का काम अच्छा है।

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    संतोष सिवान ने अपने कैमरे का खूबसूरती से इस्तेमाल कर फिल्म में जान डालने का काम किया है। गुलज़ार के गीत और रहमान का संगीत दिलचस्प जुगलबंदी पैदा करता है। फिल्म की सबसे बड़ी खूबी है कि इसके साथ मणिरत्नम का नाम जुड़ा है मगर सबसे बड़ी खा़मी है इसकी कमजोर कहानी। मगर मणिरत्नम ने कला की दृष्टि से फिल्म को शानदार बनाया है।

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