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    'मरजावां' फ़िल्म रिव्यू: सिद्धार्थ मल्होत्रा और एक्शन, रोमांस, इंतकाम का खतरनाक ओवरडोज़

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    Rating:
    2.0/5

    ''तोडूंगा भी और तोड़ फोड़ के जोडूंगा भी'' इसी तरह की डायलॉगबाजी के साथ एंट्री होती है हीरो की। जो कि एक मुक्के से दस दस गुडों को मार गिराता है, मुंबई की गर्मी में भी लेदर जैकेट पहनता है, एक स्वैग है उसमें, दिल का सच्चा है, नीयत का अच्छा और हीरोइन से पहली नजर में प्यार कर बैठता है। ये दुनिया है निर्देशक मिलाप झावेरी की, जो उन्होंने फिल्म 'मरजांवा' में दिखाने की कोशिश की है।

    फिल्म में हीरो है, हीरोइन है, विलेन है, पुलिस है, हीरो के दोस्त हैं, एक चंद्रमुखी है, बदले की आग है.. यानि की हर वो बात, जिसे 80-90 दशक की फिल्मों में होती थी। लेकिन इसके बाद क्या.. कहानी? निर्देशन? एडिटिंग? फिल्म को पूरी तरह से रघु (सिद्धार्थ) के इर्द गिर्द बांध रखा है। माफिया डॉन के लिए काम करता है रघु, आरजू (रकुल प्रीत सिंह) की आबरू बचाता है रघु, जोया के लिए खुद को बदलता है रघु, दोस्तों के लिए दुश्मन से बदला लेता है रघु.. इतना ही नहीं, बल्कि पुलिस (रवि किशन) भी रघु के ही इंतज़ार में रहती है। फिल्म में सभी किरदार रघु के बिना अधूरे हैं।

    English summary
    Sidharth Malhotra, Tara Sutaria and Riteish Deshmukh starrer film Marjaavaan is massy but overdrama makes it a sloppy love saga. The film is directed by Milap Zaveri.
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