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इंडियाज़ मोस्ट वांटेड फिल्म रिव्यू: फिल्म की कहानी और अर्जुन कपूर का अभिनय भी WANTED रह गया
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देश के लिए जान दे भी सकते हैं और ले भी सकते हैं, ऐसा कहता है प्रभात (अर्जुन कपूर) और बता देता है कि वो देशभक्ति अपने सीने में लेकर चलता है। ये आदमी अपने पांच लोगों की टीम के साथ एक मिशन पर है। मिशन है भारत को सबसे खूंखार आतंकवादी को ढूंढना है। और इस टीम के पास कोई हथियार या सुरक्षा नहीं है। सुनने में दिलचस्प लगता है? लेकिन देखने में नहीं लगेगा।
फिल्म कुछ टुकड़ों में आपका ध्यान खींच सकती है। इसके अलावा पूरी फिल्म बिना किसी ठोस स्क्रीनप्ले के औंधे मुंह गिरती दिखाई देगी। फिल्म सच्ची घटनाओं से प्रेरित है जहां अर्जुन कपूर एक इंटेलिजेंस ऑफिसर की भूमिका में है। पटना का ये जांबाज़ ऑफिसर खुद ज़िम्मेदारी लेता है, भारत के सबसे खूंखार आतंकवादी को पकड़ने की।
ये आतंकवादी, देश में सिलसिलेवार बम विस्फोट कराने का गुनहगार है। प्रभात को एक टिप मिलती है, नेपाल के एक सोर्स से और उसकी टीम, अपने पैसे लगाकर देश हित में बॉर्डर क्रॉस करके, टूरिस्ट बनके उस आदमी को पकड़ने पहुंचती है। क्या ये टीम सफल होगी। पूरी कहानी इसी के इर्द गिर्द घूमती है।
अब दुखी करने वाली बात ये है कि ये कहानी राजकुमार गुप्ता के ज़हन से निकली है। वो राजकुमार गुप्ता जो आमिर, नो वन किल्ड जेसिका और रेड जैसी फिल्में बनाने के लिए जाने जाते हैं। उन पर लोगों की काफी उम्मीदें टिकी थीं हालांकि फिल्म में एक दो जगह उम्मीद दिखती है और बाकी फिल्म ढह जाती है।
फिल्म की कहानी कमज़ोर नहीं है लेकिन इसे लिखा बहुत ही लचर तरीके से गया है। ऊपर से एक धीमी थ्रिलर फिल्म कोई भी कैसे झेल पाएगा भला। गुप्ता का निर्देशन भी फिल्म को कुछ प्रभावशाली नहीं बना पाता है। फिल्म देशभक्ति पर बनी है लेकिन आपको एक सेकंड के लिए भी वो जज़्बा नहीं आएगा।
अभिनय की बात करें तो अर्जुन कपूर से पूछना चाहेंगे कि इतना सीरियस क्यों हो? उनके हिसाब से एक इंटेलिजेंस ऑफिसर हमेशा सीरियस रहता है, इंटेंस रहता है, लोगों से आंखों में आंखें डालकर बात करता है। राजेश शर्मा को फिल्म में जो कुछ भी मिला उन्होंने उसे निभाया है। बाकी की कास्ट आपको याद भी नहीं रह जाएगी।
कुछ छोड़कर बाकी डायलॉग्स में भी याद करने जैसा कुछ नहीं है। इतना बड़ा मिशन भी पूरा झोल और ढील ढाल में निकल जाते है और आपको इस मिशन में दिलचस्पी आएगी ही नहीं। फिल्म के म्यूज़िक में याद करने जैसा कुछ है नहीं।
इंडियाज़ मोस्ट वांटेड के साथ राजुकमार गुप्ता एक दिलचस्प कहानी लेकर आना चाहते थे लेकिन लचर लेखन और अर्जुन कपूर के फीके अभिनय से फिल्म आपको बुरी तरह निराश करेगी।
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