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    दमदार नहीं है 'दम मारो दम'

    By Priya Srivastava
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    Dum Maaro Dum
    फिल्म : दम मारो दम
    निर्देशक : रोहन सिप्पी
    कलाकार : अभिषेक बच्चन, बिपाशा बासु, राणा , प्रतीक बब्बर, आदित्य पंचोली
    रेटिंग : 2.5

    समीक्षा: रोहन सिप्पी और अभिषेक बच्चन का साथ पुराना है। 'कुछ न कहो', 'ब्लफ मास्टर' के बाद 'दम मारो दम' उनकी तीसरी फिल्म है। रोहन का मानना है कि अभिषेक उनके साथ हमेशा बेहतर काम करते हैं और यही वजह है कि वे अबतक तीन फिल्में साथ बना चुके हैं। बहरहाल बात यहां फिल्म दम मारो दम की है। इस फिल्म की रिलीज से पहले फिल्म पर कई तरह के आरोप लगाये जा रहे थे।

    खबरें तो ऐसी भी थी कि फिल्म शायद रिलीज न हो पाए, लेकिन इसके बावजूद फिल्म तमाम गिले शिकवों के बावजूद रिलीज तो हो गयी है। फिल्म देखने के बाद फिल्म के निर्माण कर्ताओं की सोच पर एक बार फिर से प्रश्नचिन्ह लगा गया है। जैसा की कहा जा रहा था कि फिल्म सस्पेंस थ्रिलर है और दर्शकों को बेहद पसंद आएगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं है।

    फिल्म उस आधार पर बिल्कुल फिट नहीं बैठती। फिल्म में दीपिका के गाने ने भी कमाल नहीं दिखाया है। फिल्म की कहानी तीन जिंदगियों की कहानी है। गोवा की पृष्टभूमि चुनी गयी है। फिल्म में तीन कहानियां हैं, जो एक दूसरे से गुंथी हुई हैं। फिल्म में खोज है ड्रग माफिया प्रमुख बर्बोसा की और उसकी तलाश में फिल्म के सारे किरदार एक-एक कर चंगुल में फंसते चले जाते हैं।

    पहली कहानी प्रतीक की है। वह स्टुडेंट है। एक खास मोड़ पर लालच में वह गलत फैसला ले लेता है। उसकी भिड़ंत एसीपी कामत से होती है। फिर अभिषेक की कहानी आती है। वह एक इंवेस्टीगेशन के सिलसिले में बाकी किरदारों से टकराता है। तीसरी कहानी में राणा और बिपाशा की लव स्टोरी है।

    राणा भी अभिषेक के रास्ते में आता है। पुलिस इंस्पेक्टर के रूप में लगातार अभिषेक बच्चन यानि विष्णु कामत कई मासूमों से पूछ ताछ करता है और इस गुथी में कई लोग फंसते चले जाते हैं। जोई यानी बिपाशा बासु एयर होस्टेस बनाने का सपना देखती हैं, लेकिन वो भी ड्रग्‍स के इस केस में फंस जाती है।

    जोई का बॉयफ्रेंड जैनी (राणा) एक संगीतकार है। उस पर भी पुलिस को शक है। वह भी इस चंगुल से बाहर नहीं आ पता और ये सारी जिंदगी उलझ सी जाती है। जिस तरह ये सारी जिंदगी उलझी हुई है, सारे किरदार उलझे हैं फिल्म की कहानी भी बिल्कुल उलझी सी है। गौतरलब है कि ऐसी कहानियों में अगर लगातार कुछ अलग सा नो होता रहे तो ऐसी कहानियां फिल्म के अंतराल से पहले ही दम तोड़ देती है।

    कुछ ऐसा ही हुआ है इस फिल्म के साथ भी। फिल्म में तलाश दरअसल बर्बोसा की है। अगर हम गौर करें तो एक दौर में हम जब सस्पेंस थ्रिल्लर देखा करते थे। तब हम इस उम्मीद से रहते थे कि कुछ ऐसा अलग सा हो जिसके बारे में हम अनुमान भी न लगा पाएं, लेकिन आज के दौर में निर्देशक उस तरह का प्रभाव छोड़ने में कामयाब नहीं हो पाते।

    दर्शक अंतराल के पहले ही इस बात का अनुमान लगा लेते हैं कि फिल्म का खलनायक कौन है। यह पूरी की पूरी कहानी बनावती नजर आती है। जहां से गोवा की असली जिंदगी और असली ड्रग्‍स समस्याएं गायब सी लगती है।

    रोहन की तमाम कोशिशों के बावजूद फिल्म मल्टीप्लेक्स के दर्शकों को रास नहीं आने वाली। साथ ही इस तरह की फिल्में सिंगल थेयेटर वालों ने भी कई बार देखी हैं। इसलिए उन्हें फिल्म में कुछ नया पन नजर नहीं आएगा। अभिनय के दृष्टिकोण से अभिषेक में कुछ भी नया पन नहीं है और एक फिल्म उनके फ्लॉप के खाते में शामिल होने जा रही है।

    बिपाशा के लिए फिल्म में अभिनय के लिए खास अवसर नहीं चोदे गए हैं। प्रतीक एक अच्छे कलकार के रूप में अपनी हर फिल्मों से अलग तरह के किरदार को निभाते नजर आ रहे हैं। राणा एक बेहतरीन कलाकार हैं। उन्होंने यह साबित किया है कि उन्हें और भी कई फिल्मों में अवसर मिलेंगे यह तय है। कुल मिलाकर फिल्म अपने परिवार के साथ न देखें। चूँकि फिल्म में मनोरजन का खास स्कोप नहीं है। दोस्तों के साथ एक बार फिल्म देखी जा सकती है।

    English summary
    Rohan Sippy's new film Dum Maaro Dum, starring Abhishek Bachchan, Bipasha Basu and Rana Daggubati, which claims to be India's first feature film to use Dolby Surround 7.1, has been failed to show its Dum on Box Office.
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