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    'छोरी' रिव्यू- डराने और कुछ अहम मुद्दों को उठाने में सफल रही है नुसरत भरूचा की फिल्म

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    निर्देशक- विशाल फुरिया
    कलाकार- नुसरत भरुचा, मीता वसिष्ट, सौरभ गोयल, राजेश जैस
    पटकथा और संवाद- विशाल कपूर
    प्लेटफॉर्म- अमेज़न प्राइम वीडियो

    Rating:
    3.0/5

    "अपनी औकात मत भूल, छोरी है छोरी की तरह रह", फिल्म के एक किरदार से यह सुनकर अनायास ही फिल्म 'दंगल' का संवाद याद आता है- "म्हारी छोरियां छोरों से कम हैं के"। शायद यह होता है एक अच्छी फिल्म का प्रभाव। खैर, विशाल फुरिया के निर्देशन में बनी फिल्म 'छोरी' हॉरर कहानी के बीच भी कुछ कठोर सामाजिक मुद्दों पर बात करती है। फिल्म पितृसत्तात्मक रीति-रिवाजों पर और समाज में महिलाओं के प्रति हो रहे अत्याचारों पर सवाल उठाती है। एक दृश्य में हेमंत अपनी पत्नी साक्षी से झल्लाते हुए कहता है कि "पति को पहले खाना खिलाना गलत है क्या?" जिसके जवाब में साक्षी कहती है, "पति के साथ मिलकर खाना, ये सही है.." निर्देशक ने काफी बेहतरीन तरीके से हॉरर के साथ अपने सवालों को बुना है।

    English summary
    Chhorii film review- Director Vishal Furia's out and out horror film Chhorii engages you and cinematography adds to the feeling. Nushrratt Bharuccha delivers a commendable performance.
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