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    पर्दे पर ‘बम बम बोले’

    By अंकुर शर्मा
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    Bumm bumm bole
    बैनर : संजय गोधावत ग्रुप, परसेप्ट पिक्चर कंपनी
    निर्देशक : प्रियदर्शन
    कलाकार : दर्शील सफारी, अतुल कुलकर्णी, रितुपर्णा सेनगुप्ता, जिया वस्तानी
    रेटिंग : 1.5 /5

    कहानी - 'बम बम बोले" ईरानी फिल्म 'चिल्ड्रन ऑफ हेवन" का भारतीय संस्करण है, जिसे प्रियदर्शन ने निर्देशित किया है। मजीद मजीदी की इस ईरानी फिल्म को कई पुरस्कार मिले हैं। दर्शील सफारी 'तारे जमीं पर" के बाद 'बम बम बोले" में नजर आएँगे। खोगीराम (अतुल कुलकर्णी) अपनी पत्नी (रितुपर्णा सेनगुप्ता), बच्चे पिनू (दर्शील सफारी) और रिमझिम (जिया) के साथ ऐसे इलाके में रहता है जहाँ आतंकवादियों का दबदबा है। खोगीराम की आर्थिक हालत बहुत खराब है।

    किसी तरह उनके घर का खर्चा चलता है। इसका असर उसके बच्चों पर भी पड़ता है। खोगीराम के बच्चे अच्छे स्कूल में जाते हैं क्योंकि खोगीराम नहीं चाहता कि उसके बच्चे अच्छी शिक्षा से वंचित रहे। हालाँकि उस स्कूल के स्टैंडर्ड से तालमेल बिठाना खोगीराम के लिए मुश्किल रहता है। स्कूल यूनिफॉर्म और जूतों के लिए उसके पास पैसे नहीं रहते। स्थिति तब और बिगड़ जाती है जब पिनू सब्जी की एक दुकान में रिमझिम के जूते खो देता है।

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    रिमझिम बिना जूतों के स्कूल कैसे जाए? आखिर में दोनों भाई-बहन फैसला करते हैं कि वे एक जोड़ी जूतों से ही वे काम चलाएँगे। पहले रिमझिम जूते पहनकर स्कूल जाती है और फिर पिनू। इसी बीच पिनू को पता चलता है कि इंटरस्कूल मैराथन होने वाली है जिसमें एक इनाम एक जोड़ी जूते भी हैं। पिनू इसमें हिस्सा लेने का निर्णय लेता है ताकि वह रिमझिम के लिए जूते जीत सके।

    क्या पिनू अपनी छोटी बहन के लिए यह कर पाएगा? क्या भगवान पिनू की मदद करेंगे ताकि उसकी मुसीबत दूर हो? क्या खोगीराम के परिवार के दिन फिरेंगे? िन्हीं सारे सवालों का जवाब खोजती है प्रियदर्शन की फिल्म बम बम बोले।

    समीक्षा - गर्मी की छुट्टियां चल रहीं है, ऐसे में बच्चों की फिल्म का सिल्वर स्क्रीन पर आना एक अच्छा संकेत हैं । प्रियदर्शन काफी सुलझे हुए निर्देशक माने जाते हैं। कहानी के अनुसार अपने किरदारों के घुमाना उन्हें बखूबी आता है। और ऐसा कर पाने वो हमेशा सक्षम भी रहते हैं लेकिन पिछली कुछ फिल्में जैसे दे दना दन में उनकी ये धार नजर नहीं आ रही थी लेकिन उन्होंने बम बम बोले से अपनी ये गलती सुधारने की कोशिश की है। हालांकि जब पटकथा ही बहुत अच्छी न लिखी हो तो निर्देशक क्या कर सकता है ।

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    इसके अलावा कहानी के कलाकार अतुल कुलकर्णी ने अपनी क्षमता से अच्छा काम किया है जो उनके उज्जवल भविष्य का सबूत है। जबकि अगर मुख्य किरदार पिनू यानी की दर्शील सफारी की बात करें तो दर्शील ने अपनी काम बखूबी किया है । अगर दर्शक दर्शील की पुरानी सुपर हिट फिल्म तारे जमीं को ध्यान में रख कर जायेंगे तो हो सकता है कि उन्हें निराशा हाथ लगे क्योंकि बम बम बोले और तारे जमीं पर दो अलग अलग विषयों की फिल्में हैं। फिलहाल दर्शील ने अपने किरदार के साथ न्याय किया है।

    जबकि उसकी बहना बनी रिमझिम यानी जिया वस्तानी ने अपनी सुंदरता और मीठी मुस्कान से अपनी उपस्थिति दर्ज करायी है, हालांकि फिल्म में उनके लिए ज्यादा कुछ नहीं था तो वहीं उनकी मां यानी रितुपर्णा सेनगुप्ता भी फिल्म के किरदारों की पूर्ति के लिए ही फिल्म में दिखायी देती हैं। अगर कहानी पर और मेहनत की जाती तो एक बेहतर फिल्म बन सकती थीं। कुल मिला कर कहा जा सकता है कि एक बार देखने वाली फिल्म है अपने परिवार के साथ ।

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