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ब्रह्मास्त्र फिल्म रिव्यू: बड़े पर्दे पर प्रभावी दिखी है अयान मुखर्जी की अस्त्रों की दुनिया, शानदार विजुअल्स
निर्देशक- अयान मुखर्जी
कलाकार- रणबीर कपूर, आलिया भट्ट, अमिताभ बच्चन, नागार्जुन, मौनी रॉय
"तुम अंधेरा ला रही हो जुनून, लेकिन रोशनी आएगी.. और ब्रह्मास्त्र की लड़ाई में जीत हमेशा रोशनी की होगी", वैज्ञानिक मोहन उर्फ़ वानरास्त्र अपने सामने खड़ी जुनून (मौनी रॉय) से कहता है, जो ब्रह्मास्त्र के तीन टुकड़ों को हथियाने की युद्ध में शामिल है। प्राचीन और पौराणिक कथाओं से निकलकर निर्देशक बड़ी कुशलता के साथ कहानी को वर्तमान की एक लव स्टोरी के साथ जोड़ते हैं। बता दें, अयान मुखर्जी के अस्त्रावर्स ट्रिलॉजी (Astraverse trilogy) की यह पहली फिल्म है। कोई दो राय नहीं कि तकनीकी स्तर पर ऐसी फिल्म हिंदी सिनेमा के इतिहास में पहली बार बनी है।
फिल्म के प्लॉट को निर्देशक ने काफी संयम के साथ समझाने का काम किया है। कहानी सदियों पहले की है, जब कुछ महान ज्ञानी ऋषि मुनि हिमालय की शरण में घोर तपस्या कर रहे थे। इस कड़ी तपस्या से उन्हें मिलता है एक वरदान। एक अपार-अखंड ज्योत धरती पर उतरती है। जो है एक ब्रह्म शक्ति.. इस ब्रह्म शक्ति से अस्त्रों का जन्म होता है। ऐसे अस्त्र जो प्रकृति की विभिन्न शक्तियों से भरे हुए हैं, जैसे वानरास्त्र, नंदी अस्त्र, प्रभा अस्त्र, अग्नि अस्त्र। और अंत में जन्म होता है उस अस्त्र का जिसमें ब्रह्म शक्ति समा जाती है। एक ऐसा सर्वशक्तिशाली अस्त्र जिससे सारी अस्त्रों की शक्ति जुड़ी हुई है। ऋषि मुनि इस अस्त्र को ब्रह्मास्त्र नाम देते हैं। सभी ऋषि अस्त्रों समेत ब्रह्मास्त्र की रक्षा का वचन लेते हैं और इन ऋषियों को ब्रह्मांश नाम दिया जाता है। ब्रह्मांश के सदस्य समाज में रहकर इन अस्त्रों की मदद से ब्रह्मास्त्र की रक्षा करते हैं। ये सदस्य पीढ़ी दर पीढ़ी अस्त्रों को आगे सौंपते चले जाते हैं और फिल्म की कहानी जुड़ती है वर्तमान में मौजूद ब्रह्मांशों से।
फिल्म की कहानी
आम युवा की तरह जिंदगी गुजार रहा शिवा (रणबीर कपूर) एक डीजे है। दशहरे के मेले में उसकी नजर एक लड़की पर पड़ती है और उसे पहली झलक में ही उससे प्यार हो जाता है। लड़की का नाम है ईशा (आलिया भट्ट)। किस्मत बार बार दोनों का सामने लाती है और जल्द ही दोनों में प्यार हो जाता है। साथ में कुछ वक्त गुजारने के दौरान ईशा को शिवा से जुड़ी कुछ बातें पता चलती हैं, जो उसे हैरान कर देती है।
शिवा उसे बताता है कि आग उसे जलाती नहीं है, कुछ रिश्ता है उसका आग से। शिवा को ब्रह्मांश की दुनिया में होने वाली कुछ घटनाओं का आभास होता है। लेकिन ब्रह्मांश के बारे में उसे कुछ भी नहीं पता। वह कुछ बुरी शक्तियों को महसूस करता है, जो किसी भी हाल में ब्रह्मास्त्र को हथियाना चाहती है। लेकिन ऐसा क्यों, कैसे और कहां हो रहा है, ये शिवा नहीं जानता।
ईशा की मदद से वो धीरे धीरे पहेलियां सुलझाता है, जो उसे पहले नंदी अस्त्र अनीस (नागार्जुन) और फिर ब्रह्मांश के गुरु (अमिताभ बच्चन) तक पहुंचाता है। वहां उसे बताया जाता है कि वो खुद एक अग्नि अस्त्र है। शिवा अपनी शक्ति को पहचान ही रहा होता है कि.. अंधेरे की रानी जुनून (मौनी रॉय) ब्रह्मस्त्र को पाने के लिए युद्ध छेड़ देती है। अब शिवा, ईशा और ब्रह्मांस के सदस्य किस तरह ब्रह्मास्त्र की सुरक्षा करते हैं.. इसी के इर्द गिर्द घूमती है कहानी। साथ ही जुनून की कहानी क्या है और उसके गुरु कौन हैं, ये जानना भी काफी दिलचस्प है।
अभिनय
भारतीय सिनेमा के दिग्गजों को ब्रह्मास्त्र के संरक्षक के रूप में कास्ट करना फिल्म के पक्ष में काम करता है। अमिताभ बच्चन, नागार्जुन अक्किनेनी और एक अन्य सुपरस्टार (जिनका नाम लेना spoiler कहलाएगा) को अलग अलग शक्तियों के मालिक के तौर पर देखना दिलचस्प है। नंदी अस्त्र बने नागार्जुन कम समय में ही अपनी छाप छोड़ जाते हैं। जुनून के किरदार में मौनी रॉय कुछ मौकों पर दमदार लगी हैं, लेकिन उनके किरदार को हावभाव से खेलने का काफी कम स्कोप दिया गया है। ब्रह्मांश के गुरु बने अमिताभ बच्चन प्रभावित करते हैं। रणबीर कपूर के साथ उनकी बॉण्डिंग बहुत ही सहज लगी है।
बात करें रणबीर कपूर और आलिया भट्ट की.. तो शिवा और ईशा के किरदार में दोनों ने काफी अच्छा काम किया है। लेकिन क्या अभिनय के मामले में ये इनकी बेस्ट फिल्म है? तो जवाब है नहीं। जो बात अखरती है वो है इनके बीच की कैमिस्ट्री। दोनों पर्दे पर खूबसूरत दिखते हैं, उनकी मेहनत भी दिखती है.. लेकिन इनके बीच की प्रेम कहानी भावनात्मक तौर पर दिल को नहीं छूती है। जब फिल्म की मुख्य बिंदू ही प्रेम कहानी हो.. और वहां कैमिस्ट्री काम ना करे तो थोड़ी निराशा होती है। एक्शन और स्टंट दृश्यों में रणबीर कपूर ने बेहतरीन काम किया है।
निर्देशन
अच्छाई और बुराई की लड़ाई को एक लव स्टोरी और पौराणिक कथाओं के साथ जोड़कर अयान मुखर्जी ने कुछ ऐसा तैयार किया है, जो सिनेमा प्रेमियों के लिए नया और खास अनुभव होगा। अपनी इस कल्पना को बड़े पर्दे पर उतारने के लिए अयान की तारीफ होनी चाहिए। फिल्म का कंन्सेप्ट, वीएफएक्स और एक्शन सीक्वेंस पॉजिटिव बातें हैं। बहरहाल, जहां तकनीकी पक्ष में अयान ने शानदार किया है, पटकथा में थोड़ी कमी खलती है। कहानी में एक महत्वपूर्ण फैक्टर की कमी दिखती है, वो है इमोशनल कनेक्शन। ये बात ज्यादा हैरान करती है क्योंकि अयान की पिछली फिल्मों (वेक अप सिड और ये जवानी है दिवानी) में इमोशनल फैक्टर पर बड़ी खूबसूरती से काम किया गया है। फिल्म के संवाद पर भी थोड़ा और काम किया जा सकता था।
तकनीकी पक्ष
तकनीकी रूप से ब्रह्मास्त्र काफी दमदार फिल्म है। शुरुआत से ही फिल्म के वीएफएक्स को लेकर काफी चर्चा थी। बता दें, अयान मुखर्जी इस मामले में पूरे नंबर पाते हैं। फिल्म की वीएफएक्स जबरदस्त प्रभावी है। अस्त्रों की इस दुनिया को बनाना अयान और उनकी तकनीकी टीम के लिए आसान नहीं रहा होगा। खासकर तब जबकि हिंदी सिनेमा में आज तक कभी इस स्तर की फिल्म नहीं बनाई गई है। फिल्म की सिनेमेटोग्राफी भी कहानी को एक ऊंचाई देती है। वहीं, एडिटिंग के मामले में फिल्म को थोड़ा और कसा जा सकता था। खासकर फर्स्ट हॉफ में फिल्म कुछ हिस्सों में खिंची हुई है।
संगीत
फिल्म का स्कोर साइमन फ्रैंगलेन द्वारा रचित है। जबकि गाने कंपोज किये हैं प्रीतम ने और लिखा है अमिताभ भट्टाचार्य ने। फिल्म में तीन गाने हैं और तीनों ही बड़ी आसानी ने दिमाग में घर कर जाते हैं, खासकर केसरिया और देवा देवा। गानों को फिल्माया भी बेहद खूबसूरत तरीके से गया है, जिस वजह से बड़े पर्दे पर इसे देखने का अलग ही अनुभव मिलता है।
रेटिंग
अयान मुखर्जी के 'अस्त्रावर्स' की ये पहली फिल्म एक अनुभव है, जिसे बड़े पर्दे पर जरूर देखा जाना चाहिए। फिल्म में कुछ कमियां हैं, लेकिन कहना गलत नहीं होगा कि हिंदी सिनेमा में ऐसे कॉन्सेप्ट और तकनीकी स्तर पर ऐसा कभी कुछ नहीं देखा गया है। इस कल्पना को बड़े पर्दे पर उतारने के लिए अयान की तारीफ होनी चाहिए। फिल्मीबीट की ओर से "ब्रह्मास्त्र" को 3 स्टार।