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शहंशाह-ए-तरन्नुम थे रफी साहब
शहंशाह-ए-तरन्नुम थे रफी साहब
1940 के दशक से आरंभ कर 1980 तक इन्होने कुल 26,000 गाने गाए। नौशाद द्वारा सुरबद्ध गीत तेरा खिलौना टूटा (फ़िल्म अनमोल घड़ी, 1946) से रफ़ी को प्रथम बार हिन्दी जगत में ख्याति मिली। इसके बाद शहीद, मेला तथा दुलारी में भी रफ़ी ने गाने गाए जो बहुत प्रसिद्ध हुए। नौशाद, शंकर-जयकिशन, सचिन देव बर्मन और ओ पी नैयर ये वो नाम है जिनका संगीत रफी साहब के बिना अधूरा था ।
दिलीप कुमार, भारत भूषण तथा देवानंद जैसे कलाकारों के लिए गाने के बाद उनके गानों पर अभिनय करने वालो कलाकारों की सूची बढ़ती गई। शम्मी कपूर, राजेन्द्र कुमार, जॉय मुखर्जी, विश्वजीत, राजेश खन्ना, धर्मेन्द्र इत्यादि कलाकारों के लिए रफ़ी की आवाज पृष्ठभूमि में गूंजने लगी। शम्मी कपूर तो रफ़ी की आवाज से इतने प्रभावित हुए कि उन्होने अपने हर गाने में रफ़ी का इस्तेमाल किया।
रफी साहब की 30 वीं पुण्यतिथि आज
उनके लिए संगीत कभी ओ पी नैय्यर ने दिया तो कभी शंकर जयकिशन ने पर आवाज रफ़ी की ही रही। चाहे कोई मुझे जंगली कहे (जंगली), एहसान तेरा होगा मुझपर (जंगली), ये चांद सा रोशन चेहरा (कश्मीर की कली), दीवाना हुआ बादल (आशा भोंसले के साथ, कश्मीर की कली) शम्मी कपूर के ऊपर फिल्माए गए लोकप्रिय गानों में शामिल हैं।
1960 में फ़िल्म चौदहवीं का चांद के शीर्षक गीत के लिए रफ़ी को अपना पहला फ़िल्म फेयर पुरस्कार मिला। इसके बाद घराना (1961), काजल (1965), दो बदन (1966) तथा नीलकमल (1968) जैसी फिल्मो में रफी ने कई यादगार नगमें दिए। 1961 में रफ़ी को अपना दूसरा फ़िल्मफेयर आवार्ड फ़िल्म ससुराल के गीत तेरी प्यारी प्यारी सूरत को के लिए मिला।
संगीतकार जोड़ी लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने अपना आगाज़ ही रफ़ी के स्वर से किया और 1963 में फ़िल्म पारसमणि के लिए बहुत सुन्दर गीत बनाए। इनमें सलामत रहो तथा वो जब याद आये उल्लेखनीय है। 1965 में ही लक्ष्मी-प्यारे के संगीत निर्देशन में फ़िल्म दोस्ती के लिए गाए गीत चाहूंगा मै तुझे सांझ सवेरे के लिए रफ़ी को तीसरा फ़िल्मफेयर पुरस्कार मिला। 1965 में उन्हें भारत सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा।
रफी साहब को भारत सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा
1965
में
संगीतकार
जोड़ी
कल्याणजी-आनंदजी
द्वारा
फ़िल्म
जब
जब
फूल
खिले
के
लिए
संगीतबद्ध
गीत
परदेसियों
से
ना
अखियां
मिलाना
लोकप्रियता
के
शीर्ष
पर
पहुंच
गया
था।
1966
में
फ़िल्म
सूरज
के
गीत
बहारों
फूल
बरसाओ
बहुत
प्रसिद्ध
हुआ
और
इसके
लिए
उन्हें
चौथा
फ़िल्मफेयर
अवार्ड
मिला।
इसका
संगीत
शंकर
जयकिशन
ने
दिया
था।
1968
में
शंकर
जयकिशन
के
संगीत
निर्देशन
में
फ़िल्म
ब्रह्मचारी
के
गीत
दिल
के
झरोखे
में
तुझको
बिठाकर
के
लिए
उन्हें
पाचवां
फ़िल्मफेयर
अवार्ड
मिला।
हर
दिल
अजीज
रफी
साहब
आज रफी साहब की 30 वीं पुण्यतिथि है। भले ही आज रफी साहब हमारे बीच नहीं है, लेकिन आवाज आज भी हर भारतीय के जेहन में खनकती रहती है। उनके नगमे उनको हमारे पास होने का एहसास कराते हैं। वाकई में रफी साहब गायकी और संगीत का वो मुकाम है जहां किसी का भी पहुंचना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। रफी साहब पूरा भारत आपको दिल से सलाम करता है।