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हिमेश रेशमिया की नई शर्त
हाल ही में मुंबई में आयोजित दादा साहेब फाल्के एकेडमी पुरस्कार समारोह के दौरान उन्होंने ये बातें कहीं.
हिमेश इस समारोह में अपने पिता विपिन रेशमिया की हौसला अफ़जाई के लिए आए हुए थे, जिन्हें इस मौक़े पर सम्मानित किया गया.
हिमेश का कहना है कि ऐसा करने से उनके प्रोड्यूसरों का भी फ़ायदा होगा और उनके काम में भी गुणवत्ता बनी रहेगी.
वैसे इस मौक़े पर उन्होंने अलग सुर में कुछ लाइनें भी गाईं. बाद में जब उनसे पूछा गया तो वे बोले कि उन्हें अपने काम में प्रयोग करना अच्छा लगता है और आने वाले समय में लोग उनके अलग अंदाज़ के गाने सुन पाएँगे.
हिमेश जी, बात तो सही है लेकिन कर्ज़ के हश्र के बाद आपको नहीं लगता कि दर्शकों का आपको हीरो के रुप में स्वीकार करना थोड़ा मुश्किल होगा.
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जेल का गाना
हाल ही में लता मंगेशकर ने मधुर भंडारकर की फ़िल्म जेल में एक धार्मिक गीत रिकॉर्ड किया है.
लता ने एक धार्मिक गाने को आवाज़ दी
माना जा रहा है कि लता जी ने ये गीत गाने की हामी सिर्फ़ इसलिए भरी क्योंकि इस फ़िल्म में नील नितिन मुकेश मुख्य भूमिका निभा रहे हैं.
आपको बता दें कि लता मंगेशकर और नील नितिन मुकेश के बीच काफ़ी गहरा नाता है.
नील नितिन मुकेश के दादा जी मशहूर गायक स्वर्गीय मुकेश और लता के संबंध काफ़ी मधुर थे और दोनों एक-दूसरे को सगे भाई बहन जैसा मानते थे.
हालांकि जब हमने नील से इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि प्रोड्यूसरों ने उन्हें अभी वो इस बारे में बात करने से मना कर रखा है. वैसे नील इस बात से इन दिनों काफ़ी ख़ुश हैं.
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रेसुल का सम्मान
इस हफ्ते अमिताभ बच्चन ने ऑस्कर विजेता साउंड इंजीनियर रेसुल पुकुट्टी को सम्मानित किया.
अमिताभ ने रेसुल को सम्मानित किया
अमिताभ अपनी फ़िल्म की शूटिंग बीच में छोड़कर रेसुल को सम्मानित करने पहुँचे.
देश-विदेश में ख़ूब चर्चा बटोर चुकी ऑस्कर विजेता फ़िल्म स्लमडॉग मिलियनेयर में बेहतरीन साउंड देने के लिए पहली बार किसी भारतीय साउंड इंजीनियर को ऑस्कर पुरस्कार मिला है.
अमिताभ ने इस मौक़े पर कहा कि किसी भी फ़िल्म में साउंड का काफ़ी महत्वपूर्ण रोल होता है और उन्हें गर्व है कि पहली बार किसी भारतीय साउंड इंजीनियर को ऑस्कर जैसा विश्व प्रसिद्ध पुरस्कार मिला है.
उन्होंने रेसुल की दिल खोलकर तारीफ़ की और मज़ाक में ये भी कहा कि उन्होंने भी शूटिंग के दौरान कई बार दबाव के चलते रेसुल को डांटा होगा. रेसुल उन्हें माफ़ करेंगे.
ग़ौरतलब है कि स्लमडॉग पर अपने ब्लॉग में की गई टिप्पणियों के कारण अमिताभ ने उन दिनों ख़ासी सुर्खियां भी बटोरीं थीं.
लेकिन रेसुल का सम्मान करके अमिताभ ने उन सभी चर्चाओं का अच्छा जवाब दिया है. बच्चन साहब जय हो..
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अमिताभम् शरणम् गच्छामि
युवा फ़िल्मकार विवेक शर्मा की नई फ़िल्म बुद्धम् शरणम् गच्छामि के लिए अमिताभ बच्चन ने हामी भर दी है.
अमिताभ ने विवेक की पहली फ़िल्म भूतनाथ भी की थी
विवेक शर्मा ने अपनी पहली फ़िल्म भूतनाथ अमिताभ बच्चन के साथ बनाई थी.
विवेक ने हाल ही में बीबीसी से बातचीत में अपनी ख़ुशी व्यक्त करते हुए कहा कि बच्चन साहब ने बुद्धम् शरणम् गच्छामि की स्क्रिप्ट पढ़ी और उन्हें स्क्रिप्ट इतनी पसंद आई कि उन्होंने तुरंत फ़िल्म के लिए हां कह दिया.
विवेक का कहना है कि उन्होंने फ़िल्म की कहानी अमिताभ बच्चन को ध्यान में रखकर लिखी थी और अमिताभ के सिवा कोई अन्य कलाकार यह फ़िल्म नहीं कर सकता था.
विवेक ने ये भी दावा किया कि ऐसी भूमिका में उन्हें पहले कभी नहीं देखा गया है.
विवेक आगे कहते हैं- बुद्धम् शरणम् गच्छामि हिंसा पर आधारित फ़िल्म है. यह फ़िल्म भारतीय सिनेमा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिलाएगी. इस फ़िल्म के प्रदर्शन के बाद लोग हथियार उठाने से पहले सोचेंगे.
विवेक शर्मा फ़िल्म बुद्धम् शरणम् गच्छामि से निर्माता बनने जा रहे हैं. फ़िल्म का प्री-प्रोडक्शन कार्य सितंबर महीने से आरंभ होगा.
वर्ष 2010 में गांधी जयंती पर इस फ़िल्म को प्रदर्शित करने की योजना है.
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साथ-साथ शूटिंग
फ़िल्म मिलेंगे मिलेंगे के कुछ हिस्सों की शूटिंग फिर हुई
अब एक दिलचस्प ख़बर. कहा जा रहा है कि निर्देशक सतीश कौशिक की फ़िल्म मिलेंगे मिलेंगे के कुछ हिस्सों की शूटिंग दोबारा की गई और एक बार फिर शाहिद कपूर और करीना ने साथ-साथ शूटिंग की.
इस फ़िल्म की शुरुआत तब हुई थी जब शाहिद और करीना काफ़ी अच्छे दोस्त माने जाते थे.
लंबे समय बाद दोनों ने इस फ़िल्म को पूरा करने के लिए एक साथ काम किया है.
इससे पहले ये दोनों कलाकार साल 2007 में फ़िल्म 'जब वी मेट" में नज़र आए थे. फ़िल्म मिलेंगे मिलेंगे का निर्माण बोनी कपूर कर रहे हैं.
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निर्णायक मंडल में शर्मिला
अभिनेत्री शर्मिला टैगोर को कान फ़िल्म महोत्सव के अंतरराष्ट्रीय निर्णायक मंडल में शामिल किया गया है.
इस बार कान के निर्णायक मंडल में शर्मिला भी
इस साल कान फ़िल्म समारोहों की शुरुआत 13 मई को रही है. शर्मिला से पहले हाल के वर्षों में भारत की अरूंधति राय, ऐश्वर्या रॉय और नंदिता दास कान के निर्णायक मंडल में रह चुकी हैं.
इस वर्ष फ़िल्म महोत्सव के निर्णायक मंडल की अध्यक्षता फ़्रांसीसी अभिनेत्री इसाबेला ह्यूपर्ट कर रही हैं. शर्मिला सेंसर बोर्ड की मौजूदा अध्यक्ष हैं.
शर्मिला ने अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत बतौर बाल कलाकार 1959 में की थी और राष्ट्रीय पुरस्कारों के अलावा कई दूसरे बड़े पुरस्कार भी वो जीत चुकी हैं.
कान फ़िल्म समारोह काफ़ी महत्वपूर्ण माना जाता है और शर्मिला चौथी भारतीय हैं जिन्हें वहाँ निर्णायक की हैसियत से भाग लेने का मौक़ा मिल रहा है.