twitter
    For Quick Alerts
    ALLOW NOTIFICATIONS  
    For Daily Alerts

    हिंदी सिनेमा से प्रयोग गायब हो गया: पालेकर

    By Neha Nautiyal
    |

    Amol Palekar
    पणजी। चर्चित अभिनेता-निर्देशक अमोल पालेकर का मानना है कि बड़ी बजट के कारण मुख्यधारा के हिंदी सिनेमा से संवेदनशीलता और प्रयोगात्मकता गायब हो चली है।

    41वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह (आईएफएफआई) में पहुंचे अमोल ने एक संवाददाता सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारतीय सिनेमा केवल बॉलीवुड तक ही सीमित नहीं है।

    क्षेत्रीय सिनेमा ने भारतीय सिनेमा में अच्छा और मजबूत योगदान दिया है। पालेकर की मराठी फिल्म 'धूसर' यहां शनिवार को प्रदर्शित की गई। पालेकर ने कहा, "जब हिंदी फिल्में बनाई जाती हैं, तो व्यापक बाजार और आम दर्शक को ध्यान में रखता है। इससे फिल्मकारों दबाव होता है।"

    पालेकर ने कहा, "और उसके बाद बजट की बारी आती है। मैं ऐसा नहीं कहता कि उसमें कोई बुराई है, लेकिन उसके बाद की स्थिति यह होती है कि इस तरह की बड़ी बजट के साथ कोई व्यक्ति खतरा मोल नहीं लेना चाहता।''

    ''अब सिर्फ 40 या 50 करोड़ रुपये की फिल्मों की बात होती है और उसके प्रचार के लिए 20 करोड़ रुपये। हर व्यक्ति केवल सिनेमा के व्यावसायिक पक्ष के बारे में बात कर रहा है, उसके रचनात्मक पक्ष के बारे में नहीं।" पालेकर ने आलोचकों के द्वारा सराही गईं 'अनहत', 'थोड़ा सा रूमानी हो जाए', 'दरिया' और 'समांतर' जैसी फिल्में निर्देशित की है।

    तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
    Enable
    x
    Notification Settings X
    Time Settings
    Done
    Clear Notification X
    Do you want to clear all the notifications from your inbox?
    Settings X
    X