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अमिताभ बच्चन ने ट्रोल से तंग आकर गुस्से में जारी की कोरोना दान की करोड़ों की लिस्ट, कहा - शर्मिंदगी हो रही
अमिताभ
बच्चन
ने
अपने
ब्लॉग
पर
उन
सभी
लोगों
को
गुस्से
में
जवाब
दिया
जो
लगातार
बड़ी
हस्तियों
को
ट्रोल
कर
रहे
हैं
और
उनसे
कोरोना
दान
के
बारे
में
प्रश्न
उठा
रहे
हैं।
आखिरकार
अमिताभ
बच्चन
ने
भी
थक
हारकर
बताया
कि
वो
कहां
कहां
और
कितना
दान
कर
रहे
हैं।
हालांकि
उन्होंने
साथ
में
ये
भी
बताया
कि
इस
बात
का
खुलासा
करने
के
लिए
वो
बहुत
ही
ज़्यादा
शर्मिंदा
हैं।
अमिताभ
बच्चन
ने
अपने
ब्लॉग
में
लिखा
-
हां
मैं
चैरिटी
करता
हूं
लेकिन
हमेशा
ये
मानता
हूं
कि
इसका
खुलासा
नहीं
होना
चाहिए।
क्योंकि
ऐसा
करना
शर्मिंदा
करने
वाली
बात
लगती
है।
मैंने
हमेशा
अपने
दान
के
बारे
में
बात
करने
में
एक
झिझक
और
शर्म
महसूस
की
है,
भले
ही
मैं
जिस
भी
पेशे
से
आता
हूं
और
इस
बात
का
मैंने
हमेशा
इल्म
रखा
है।
लेकिन
आज
मुझे
ये
बताना
पड़
रहा
है
कि
मैंने
क्या
क्या
और
कहां
कहां
दान
किया
है।
ये जो प्रेशर है, हर दिन की धिक्कार और कमेंट सेक्शन में ढेरों गालियां और तानें, ये सब हमारे परिवार ने आज से नहीं देखा है। हम ये काफी समय से देख रहे हैं। इसलिए कभी इनसे फर्क नहीं पड़ा। हमे पता है कि ऐसा होता रहता है। तो सारी कोशिश चुपचाप ही की जाती थी। जिसे मदद चाहिए थी, उसे चुपचाप मदद मिलती थी। बात वहीं खत्म हो जाती थी।
लेकिन
इस
बार
शायद
लोगों
के
तानों
ने
अमिताभ
बच्चन
पर
भी
असर
छोड़
दिया।
तभी
उन्होंने
अपने
कोरोना
दान
की
लिस्ट
लोगों
से
शेयर
करने
का
निर्णय
लेते
हुए
लिखा
-
अमिताभ बच्चन ने दिया दान का ब्यौरा
मेरे निजी फंड से करीब 1500 किसानों का ऋण चुकाया गया जिससे आत्महत्या जैसा ख्याल भी किसी के मन में ना आए। जैसे ही आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेस जैसी जगह से आत्महत्या की खबरों ने पैर पसारना शुरू किया, एक एक बैंक को फोन कर ऐसे लोगों को ढूंढा गया और बैंक प्रतिनिधियों के सामने उनके पैसे चुकाए गए और उनका ऋण खाता बंद किया गया।
सब निजी खाते से किया गया
हर किसान को उसके कागज़ात दिए गए कि अब उन पर कोई बकाया नहीं है और जो भी पैसे थे बैंक को उनकी तरफ से वापस कर दिए गए हैं। उत्तर प्रदेश के करीब 300 किसान मौजूद नहीं हो पाए थे। उनके लिए एक ट्रेन में एक बोगी बुक की गई थी 30 - 50 के करीब। वो उत्तर प्रदेश के अपने अपने शहरों से आए थे, उन्हें मुंबई में रिसीव किया गया, बसों में बैठाया गया, मुंबई दर्शन भी करवाया गया। उन्हें जनक के पास लाकर, खाना खिलाया गया और ऋण कैंसिल होने का सर्टिफिकेट दिया गया। फिर उन्हें वापस ट्रेन में बैठा कर घर रवाना किया गया। ये सब मेरे निजी खाते से किया गया।
शहीद सैनिकों के परिवारों की भी मदद
इस देश के महान सैनिक जो बॉर्डर पर शहीद हुए, उनकी एक लिस्ट निकाली गई और उनके परिवारों को ढूंढा गया, उनकी पत्नी बच्चे, कुछ पत्नियां गर्भवती भी थीं, उन्हें आर्थिक सहायता दी गई। पुलवामा के भीषण आतंकवादी हमले के बाद उनके परिवारों को ढूंढकर जनक में लाया गया और उन्हें अभिषेक और श्वेता ने खुद सहायता प्रदान की।
कोरोना संक्रमण के दौरान जारी मदद
जो लोग पिछले साल कोरोना से संक्रमित हुए थे उनमें 4 लाख दैनिक भत्ता मज़दूरों को एक महीने तक खाना पहुंचाया। शहर में रोज़ 5000 लोगों को दिन और रात खाना खिलाया।
सिख समुदाय की भी मदद
पुलिस, अस्पताल में फ्रंट लाईन पर काम करने वालों को मास्क और पीपीई किट मुहैया करवाई गई। हज़ारों की तादाद में। अपने निजी फंड से। सिख समुदाय की भी मदद की जो रोज़ लाखों बेघर लोगों को घरवापसी में मदद कर रहा था। इंटर स्टेट बसों का इंतज़ाम करवाया। वहां ज़्यादातर ड्राईवर सिख थे।
प्रवासी भाईयों को घर पहुंचाने की कोशिश
जब प्रवासी भाई पैदल घर की ओर जा रहे थे बिना जूते चप्पल पहने, तब उन्हें चप्पल और जूते मुहैया करवाए। लोगों के पास सफर करने के साधन नहीं थे तो उत्तर प्रदेश और बिहार के कई गांव तक 30 बसों का इंतज़ाम किया और रात के सफर के लिए उनके लिए खाने - पीने का इंतज़ाम किया।
दिक्कत हुई पर रुके नहीं
मुंबई से उत्तर प्रदेश तक पूरी एक ट्रेन बुक करवाई जो कि 2800 प्रवासी भाईयों को मुफ्त में घर ले जाने के तैयार थी। बाद में जब गंतव्य स्टेशनों पर ट्रेन कैंसिल कर दी गई और रोक दी गई तो तुरंत ही इंडिगो की चार्टर्ड एयरप्लेन से हर फ्लाईट में करीब 180 प्रवासियों को यूपी, बिहार, राजस्थान और जम्मू कश्मीर के गांव तक पहुंचाया गया।
क्षमता से ज़्यादा ही किया
जैसे ही वायरस अपने पांव पसारने लगा एक पूरा डायगनॉस्टिक सेंटर तैयार करवाया जिसे दिल्ली के बंगला साहिब गुरूद्वारा में खोला गया दिल्ली सिख गुरूद्वारा मैनेजमेंट कमिटी के द्वारा। ये सेंटर उसी गुरूद्वारे के कैंपस में हैं और गरीब और ज़रूरतमंद लोगों की मदद के लिए। मेरी क्षमता से परे था लेकिन एक MRI मशीन, सोनोग्राफी मशीन और बाकी स्कैन के ज़रूरी महंगे उपकरण, मेरे नाना, नानी और मां की याद में लगवाए गए।
लगातार जारी है काम
एक 250 - 450 बेड क्षमता वाला सेंटर, आगे के दान से रकाबगंज साहिब गुरूद्वारा में चलाया जा रहा है और जल्दी ही इस सेंटर के लिए ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर उपलब्ध करवाने की कोशिश की जा रही है जो फिलहाल आसानी से नहीं मिल रहहा हहै और इसकी काफी कमी है।
आ रहे हैं Oxygen Concentrator
इस समय दिल्ली को इसकी काफी ज़रूरत है इसलिए बहुत सीमित स्टॉक के बावजूद इसे मंगवाने की कोशिश की जा रही है जो एक हफ्ते में आ जाएगा। इनमें से 50 पोलैंड से आ रहे हैं 15 तारीख तक और बाकी 150 शायद अमरीका से। सभी ऑर्डर दे दिए गए हैं, कुछ आ भी गए हैं और ज़रूरत मंद अस्पतालों को दे दिए गए हैं।
वेंटिलेटर तक की व्यवस्था
बीएमसी और म्यूनिसिपल अस्पतालों को जिन्हें तुरंत वेंटिलेटर की ज़रूरत है, वो भी ऑर्डर किए गए हैं। करीब 20। ज़ाहिर सी बात है मेरे संसाधनों की सीमा के अंदर। उनमें से 10 आ गए हैं और जल्दी ही कस्टम क्लियर कर लेंगे।
स्कूल को बनाया है अस्पताल
जुहू आर्मी लोकेशन के स्कूल हॉल में एक 25 - 50 बेड का अस्पताल सेट करने की कोशिश है, रीतांभर स्कूल में 12 मई तक। फंड दान कर दिए गए हैं।
1000 लोगों का खाना
नानावटी अस्पताल को 3 बहुत ही ज़रूरी कोरोना संक्रमण पहचानने वाली मशीन डोनेट की गई है। इस समय बस्तियों और झुग्गियों में करीब 1000 लोगों के खाने पीने का ख्याल रखा जा रहा है।
जितना हो पा रहा, कर रहे
जो बच्चे, कोरोना की वजह से अपने माता - पिता दोनों को खो चुके हैं और अंधकार में जा रहे हैं, उनमें से दो को गोद लिया है और हैदराबाद के एक अनाथालय में दाखिल किया है। 10वीं तक की उनकी पढ़ाई का पूरा खर्च उठाऊंगा और अगर उनका भविष्य उज्जवल रहा, उनकी आगे की पढ़ाई का खर्च भी उठाया जाएगा और बाकी देख रेख की जाएगी, जो जैसा संभव हो पाएगा।
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