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    मशहूर हिंदी - बंगाली गायिका संध्या मुखर्जी का 91 वर्ष की उम्र में निधन, पद्मश्री लेने से किया था इंकार

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    हिंदी और बंगाली फिल्मों की मशहूर गायिका संध्या मुखर्जी का कलकत्ता में 91 वर्ष की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया है। संध्या मुखर्जी कुछ ही दिन पहले, भारत सरकार द्वारा दिया गया पद्मश्री सम्मान स्वीकार ना करने के कारण काफी चर्चा में थीं। संध्या मुखर्जी को पहले ही पश्चिम बंगाल सरकार ने बंग भूषण की उपाधि से सम्मानित किया था।

    कुछ ही दिन पहले, संध्या मुखर्जी अपने घर में फिसल कर गिर गई थीं जिसके बाद उनकी तबीयत काफी बिगड़ गई थीं। उन्हें एक ग्रीन कॉरीडोर के ज़रिए, घर से तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया था। 27 जनवरी से वो अस्पताल में भर्ती थीं।

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    बाथरूम में फिसलने के कारण संध्या जी की तबीयत काफी बिगड़ने लगी थी। वहीं अस्पताल में जांच के दौरान उनके फेफड़ों में भी संक्रमण पाया गया जिसके बाद उनका ईलाज चल रहा था। अस्पताल में कई दिन संघर्ष करने के बाद 15 फरवरी को उनका निधन हो गया।

    गौरतलब है कि संध्या मुखर्जी केवल बंगाली नहीं बल्कि हिंदी संगीत जगत की भी लोकप्रिय आवाज़ थीं। उन्होंने मदन मोहन, सलिल चौधरी, अनिल बिस्वास, नौशाद और एस डी बर्मन जैसे संगीतकारों के गीतों को अपनी आवाज़ दी थी। इनमें दिलीप कुमार - मधुबाला स्टारर तराना फिल्म का गीत बोल पपीहे बोल कौन है तेरा चितचोर, जागते रहो का गीत मैंने जो ली अंगड़ाई तो तेरी महफिल में, रोशन के संगीतबद्ध गीत तोसे नैना लागे रे सांवरिया मुख्य हैं। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।

    English summary
    Veteran Hindi and Bengali singer Sandhya Mukherjee passes away at. the age of 91. Sandhya Mukherjee recently grabbed headlines for not rejecting PadmaShri honored by the Government of India.
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