Just In
- 27 min ago इस खूबसूरत सांसद का आया तीन बच्चों के पिता पर दिल, मोहब्बत में बनी 'दूसरी औरत'
- 1 hr ago बेल मिलने के बाद मुंबई की सड़क पर हाथ जोड़े दिखे एल्विश यादव, लोग बोले- नाम में ही विश है तो...
- 2 hrs ago Madgaon Express BO Collection Day 6: मडगांव एक्सप्रेस ने 6 दिनों में किया इतना कलेक्शन, जान लेंगे तो रह जाएंगे
- 2 hrs ago Swatantra Veer Savarkar BO Collection: कछुए से भी धीमी हुई रणदीप हुड्डा की फिल्म की कमाई, बस इतना हुआ कलेक्शन
Don't Miss!
- News Bhojshala ASI Survey: 7 दिनों से जारी है भोजशाला में सर्वे, अब तक क्या मिला, जानिए
- Lifestyle First Surya Grahan 2024: साल 1970 में लगा था ऐसा सूर्य ग्रहण, यह अद्भुत घटना क्या भारत में आएगी नजर?
- Education Delhi School Result 2024: डीओई दिल्ली ने कक्षा 3 से 7 स्कूल रिजल्ट edudel.nic.in पर जारी किया, सीधा लिंक यहां
- Automobiles Jackie Shroff : बॉलीवुड के जग्गू दादा का कार कलेक्शन देख हैरान हो जाएंगे आप, गैराज में खड़ी है BMW और Jaguar
- Finance Gold Silver Price Today: आज सोना हुआ सबसे महंगा, जानिए कितना बढ़ा गोल्ड का रेट
- Technology WhatsApp से भारतीय यूजर्स UPI के जरिए कर सकेंगे इंटरनेशनल पेमेंट, यहां जानें सभी डिटेल
- Travel अब दिल्ली वाले भी आस्था के सागर में लगाएं गोते, वाराणसी के तर्ज पर शुरू हो चुकी है यमुना आरती
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
फिर लौटेंगे कुमार सानू
एक ज़माना था जब आपके गानों की चर्चा हर तरफ होती थी. फिर इस लंबी ख़ामोशी का मतलब?
परिवर्तन का दौर तो हरेक कलाकार के जीवन में आता रहता है. जैसे किशोर दा का एक दौर था फिर मोहम्मद रफ़ी का ज़माना आया. तो यह जीवन का चक्र है जो कभी ऊपर तो कभी नीचे होता रहता है.लेकिन इस बीच मैं खा़मोश नहीं बैठा था बल्कि बंगला फि़ल्मों में ज़्यादा गाने गा रहा था जो कि पहले हिन्दी फिल्मों के कारण हो नहीं पाता था.
तो क्या आपने हिंदी फ़िल्मों को अलविदा कह दिया है ?
नहीं ऐसा नहीं है बहुत जल्द मेरी होम प्रोडक्शन फिल्म 'यह संडे क्यूं आता है" आ रही है जिसमें मैंने संगीत भी दिया है और दो गाने भी गाए है.इसके अलावा सत्तर-अस्सी हिंदी फ़िल्में आ रही हैं जिसमें आप मेरी आवाज़ फिर से सुन सकेंगे.
आपकी अपनी फ़िल्म यह संडे क्यों आता है कि कहानी क्या है?
कहानी जानने के लिए तो आपको फ़िल्म देखनी होगी. लेकिन इस फ़िल्म के जो बाल कलाकार है उनकी असली कहानी यह है कि आठ-दस साल के यह चार लड़के रेलवे स्टेशन पर बूट पॉलिश किया करते थे. मैंने उन्हें वहां से उठाया, ऐक्टिंग की ट्रेनिंग दी, फ़िल्म बनी, फ़िल्म में बच्चों ने बहुत अच्छा अभिनय निभाया है.
दादा साहब की बेटी कैंसर से पीड़ित है, लेकिन उन की सुध लेने वाला कोई नही है. न वह सरकार जो दादा साहब के नाम पर अवार्ड देती है और न वह कलाकार जो उस अवार्ड से सम्मानित होते हैं. यह सच है कि मैं दादा साहब फाल्के की बेटी का मेडिकल खर्च दे रहा हूं
आगे मेरी योजना है कि इस फ़िल्म से जो पैसा आएगा उससे इन बच्चों को एक-एक खोली दे सकूं. फिलहाल यह बच्चे स्कूल जाते हैं. इनका स्कूल और रोज़ाना का खर्चा मैं दे रहा हूं.
सुनने में आया है कि आप गायकी के अलावा समाज सेवा भी करते है?
दादा साहब फाल्के फ़िल्मी दुनिया का सबसे बड़ा नाम है. फिल्म का सबसे बड़ा अवार्ड भी उन्हीं के नाम पर दिया जाता है. दादा साहब की बेटी कैंसर से पीड़ित है, लेकिन उन की सुध लेने वाला कोई नही है. न वह सरकार जो दादा साहब के नाम पर अवार्ड देती है और न वह कलाकार जो उस अवार्ड से सम्मानित होते हैं. यह सच है कि मैं दादा साहब फाल्के की बेटी का मेडिकल खर्च दे रहा हूं, लेकिन मैं इसका प्रचार नहीं करना चाहता और ना ही प्रचार के लिए समाज सेवा करता हूं
क्या आप बचपन से ही गायक बनना चाहते थे?
मैं गायक ही बनना चाहता था और गायक ही बन सकता था क्योंकि घर पर संगीत की परंपरा थी. पिताजी शास्त्रीय संगीत के टीचर थे. मां भी गाती थीं. बड़ी बहन भी रेडियो में गाती है और आज भी वह पिताजी का संगीत स्कूल चला रही हैं. इस तरह परिवार के माहौल ने मुझे एक अच्छा गायक बना दिया.
आपने चौदह हज़ार गाने गाए है. इनमें से कोई एक गाना जो आपको सबसे ज़्यादा पंसद है वह कौन सा है?
अपने दो गाने मुझे ज्यादा अच्छे लगते है पहला गाना है..जब कोई बात बिगड़ जाए जब कोई मुशिकल आ जाए. दूसरा है..एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा. पहले गाने में ज़िंदगी का फलसफा है जो सबकी ज़िंदगी से जुड़ा लगता है. दूसरे गाने में रोमांस की चरम सीमा है.
कोई ऐसा गाना जिसे सुनकर लगता हो कि काश यह मैंने गाया होता.
मैं भगवान का शुक्रगुज़ार हूं कि मुझे जितने भी गाने मिले,अच्छे मिले और हिट भी हुए. लेकिन यह चाहत हमेशा रही कि काश मैंने सचिन दा (सचिन देव बर्मन) के साथ कोई गाना गाया होता.
आपने एक दिन में 28 गाने रिकॉर्ड करवाने का भी रिकॉर्ड बनायाहै. तब आपका दिन कब शुरू और कब ख़त्म हुआ ?
गाने की रिकॉर्डिंग दिन के बारह बजे शुरू हुई थी और रात के दस बजे ख़त्म हुई. यानि दस घंटों में अट्ठाइस गाने.
चौदह हज़ार गानों की सफलता से आप संतुष्ट है या सपने अभी और भी है.
संतुष्ट किसी कलाकार को होना ही नहीं चाहिए. पद्मश्री मिलने के बाद तो यहज़िम्मेदारी मुझ पर और बढ़ गई है कि मैं आप लोगों को ज़्यादा से ज़्यादा अच्छे गाने दे सकूं और अपने संगीत के सफर को इसी तरह जारी रखूं.