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INTERVIEW: "दूसरी ही फिल्म में सलमान खान जैसे सुपरस्टार के साथ काम करना बड़ा चैलेंज रहा"- आयुष शर्मा
INTERVIEW: "दूसरी ही फिल्म में सलमान खान जैसे सुपरस्टार के साथ काम करना बड़ा चैलेंज रहा"- आयुष शर्मा
साल 2018 में फिल्म 'लवयात्री' के साथ हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखने वाले अभिनेता आयुष शर्मा अपनी अगली फिल्म के साथ दर्शकों के सामने आने के लिए तैयार हैं। महेश मांजरेकर के निर्देशन में बनी फिल्म 'अंतिम: द फाइनल ट्रूथ' में आयुष शर्मा, सलमान खान और महिमा मकवाना मुख्य किरदारों में दिखेंगे। फिल्म को लेकर आयुष बेहद उत्साहित हैं। इस गैंगस्टर ड्रामा को लेकर आयुष ने कहा, "मैं जानता था कि अपने करियर के बहुत शुरुआत में ही मैंने एक ऐसी फिल्म उठा ली है, जिसमें सुपरस्टार सलमान खान हैं, महेश मांजरेकर हैं और ये एक बहुत बड़ी फिल्म है.. एक बहुत बड़ा चैलेंज है मेरे सामने।"
'अंतिम: द फाइनल ट्रूथ' 26 नवंबर को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है। एक न्यूकमर के तौर पर अपने दो फिल्मों के बीच तीन सालों के अंतराल पर आयुष कहते हैं- "जब लोग लिखते थे कि आयुष तो खत्म हो गया, काम नहीं है उसके पास, घर पर बैठा है.. तो मैं थोड़ा बैचेन होता था क्योंकि मुझे पता था कि मेरे पास काम है और दिन रात उसके लिए मेहनत कर रहा हूं। उस वक्त पर धैर्य के साथ रहना और खुद पर विश्वास पर रखना थोड़ा मुश्किल हो रहा था। लेकिन अब फिल्म आ रही है, देखते हैं क्या होता है। मेरे लिए ये फिल्म 'करो या मरो' वाली स्थिति है।"
फिल्म 'अंतिम द फाइनल ट्रूथ' की रिलीज से पहले अभिनेता आयुष शर्मा ने फिल्मीबीट से खास बातचीत की, जहां उन्होंने अपने रोल की तैयारी, स्क्रिप्ट के चुनाव और सलमान खान के साथ अपने काम करने के अनुभव को लेकर खुलकर बातें कीं।
यहां पढ़ें इंटरव्यू से कुछ प्रमुख अंश-
अंतिम के ट्रेलर को काफी पॉजिटिव प्रतिक्रिया मिली है। फिल्म रिलीज को लेकर उत्साहित हैं?
मुझे लोगों के रिस्पांस का बेसब्री से इंतज़ार था। मैं बहुत खुश हूं, बहुत पॉजिटिव हूं। अंतिम को लेकर शुरू में लोगों ने काफी बात की थी कि फ़िल्म छोटी है, सिर्फ कैमियो है, ऐसी है, वैसी है, तो मैं सोचता था कि अरे फ़िल्म आने तो दो एक बार। तो जब फ़िल्म का ट्रेलर निकला, लोगों ने देखी और तारीफ की तो बहुत राहत महसूस हुई। ये SKF के लिए भी बहुत खास फ़िल्म है क्योंकि हमलोग पहली बार एक डार्क फ़िल्म को सामने ला रहे हैं। सलमान भाई भी पहली बार इस तरह की डार्क फ़िल्म में हैं। आम तौर पर हम लोग फ़िल्म बनाते हैं तो आउट एंड आउट कमर्शियल फिल्में होती हैं , एक्शन फिल्में होती हैं। लेकिन ये थोड़ी डार्क स्पेस की फ़िल्म है, जिसमें एक रियल मुद्दा है जो हम बताना चाहते हैं। तो हां, मैं बेसब्री से इंतज़ार कर रहा हूं कि जल्दी फ़िल्म रिलीज़ हो और लोग थिएटर में जाकर देखें।
अपनी दूसरी ही फ़िल्म में आप सलमान खान को टक्कर दे रहे हैं। कितने नर्वस या उत्साहित थे?
मेरे लिए तो ये एक अनुभव प्राप्त करने जैसा रहा। जब मैंने ये फ़िल्म शुरू की थी तो मुझे थोड़ी हैरत होती थी, अभी भी होती है, जब मैं पोस्टर देखता हूं तो विश्वास नहीं होता कि मैं सलमान खान के साथ खड़ा हूं। मैं हमेशा कहता हूं कि मैं एक एक्टर नहीं हूं, मैं एक स्टूडेंट हूं जो सीख रहा है। मैं हर फिल्म से कुछ सीखने की कोशिश करता हूं कि क्या करना चाहिए, क्या नहीं करना चाहिए। नर्वस हूं, लेकिन इसलिए नहीं कि वो मेरे ब्रदर-इन-लॉ हैं, या मेरे मेंटर हैं; इसलिए हूं क्योंकि वो सुपरस्टार सलमान खान हैं। सलमान खान के साथ फ़िल्म करना हर नए कलाकार की तमन्ना होती है। मुझे नहीं पता था ये मेरे साथ इतनी जल्दी हो जाएगा, लेकिन जब मौका आया, तो मैंने ले लिया। मैं बहुत उत्साहित हूं। टक्कर देने का ऐसा कुछ मेरा मन तो था नहीं। मैंने तो शुरुआत में ये सोचा था कि एक भी सीन में यदि मैं अच्छा काम कर जाऊं, तो शायद लोग याद रखेंगे की सलमान खान के सामने एक सीन में कुछ ख़ास करके गया।
सुपरस्टार सलमान खान को किस तरह से परिभाषित करेंगे आप?
बड़े दिल वाला इंसान.. मैं हमेशा कहता हूं कि इंडस्ट्री में सपने बहुत लोग दिखाते हैं। और सपने जब टूटते हैं तो आपको छोड़ कर भागने वाले भी उतने ही मिल जाते हैं। लेकिन सलमान खान ऐसे इंसान हैं, जो जब आप गिरते हो तो आपको वापस उठाते हैं और एक विश्वास देते हैं की फिर लड़ो। यदि वो किसी पर विश्वास दिखाते हैं तो फिर साथ नहीं छोड़ते हैं। वो दिल से आपका साथ देते हैं। जब उन्होंने मुझे इस फ़िल्म को लेकर बताया था कि दूसरे रोल में वो आ रहे हैं तो मेरा खुद का सवाल था कि, "आप मेरे साथ फ़िल्म क्यों कर रहे हो? आप इतने बड़े स्टार हो, आपके साथ बड़े बड़े एक्टर्स काम करेंगे। आपके साथ जब कोई खड़ा होता है तो बराबर स्तर का सितारा होना चाहिए। तभी ऑडियंस भी देखने जाएगी। तभी मैं भी देखने जाऊंगा कि आपके सामने कौन खड़ा है। मैं आपके सामने कैसे खड़ा हो सकता हूं, कोई विश्वास ही नहीं करेगा।" तो उन्होंने कहा, "वही बात तो विश्वास दिलानी है। अगर तुम दूसरी फिल्म में ये कर सकते हो तो सोचो तीसरी में क्या करोगे।" तो वो जो विश्वास दिखाते हैं किसी के ऊपर, वो बहुत महत्वपूर्ण चीज़ होती है।
सलमान खान तो spontaneous एक्टर हैं, आप अपने रोल की तैयारी कैसे करना पसंद करते हैं?
सही बात है कि वो बहुत स्वाभाविक एक्टर हैं, ज्यादातर सीन्स वो इम्प्रवाइज़ करते हैं। मेरे ख्याल से यदि आप एक ऐसे एक्टर हैं जो अपने किरदार को ढ़ंग से जानते हैं तो आप इम्प्राविज़ेशन में बहुत मजा भी ले सकते हैं। वो जो कर रहे हैं, आप उनके साथ चलो तो बहुत एन्जॉय करोगे। लेकिन यदि आप एकदम सोच कर बैठे हो कि मैं तो ऐसे ही करूंगा, तो फिर कोई फायदा नहीं है। जो स्वाभाविक एक्टर होता है, उसके सामने आप ये बोलेगें कि नहीं ऐसा नहीं है, स्क्रिप्ट में तो ऐसा है, डायलॉग ऐसा है, इस लाइन के बाद ये लाइन है, ऐसा पाउज है.. तो फिर वो बहुत मैकैनिकल प्रक्रिया हो जाएगी। जैसे आपने मुझसे सवाल किया, लेकिन आपको नहीं पता कि मैं क्या बोलने वाला हूं.. तो जब मैं बोलता हूं तो आप स्वाभाविक रूप से उस पर रिएक्ट करते हो और फिर उसके मुताबिक बात आगे बढ़ती है। तो ये नैचुरल लगता है। शूटिंग भी इसी तरह से होती है।
'अंतिम' को लेकर महेश मांजरेकर ने आपकी बहुत तारीफ की है, और कहा कि 'आयुष director's actor हैं'। आपका उनके साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
ये उनका बड़प्पन है कि वो ऐसा कहते हैं। लेकिन सच ये है कि एक एक्टर बहुत ही इन्सिक्युर (insecure) होता है। जब वो कैमरे के सामने खड़ा होता है कि सोचता है कि मेरा ये शॉट अच्छा होगा या नहीं होगा। बालों से लेकर, मेकअप, परफॉर्मेंस तक.. हर चीज को मॉनिटर पर चेक करता रहता है। लेकिन जब आपको पता है कि आप एक ऐसे डायरेक्टर के साथ बैठे हो, जिसके लिए आपको मॉनिटर पर जाने की जरूरत ही नहीं है.. आप सिर्फ उनको पूछ सकते हो.. कि सर क्या आप शॉट से खुश हैं? और वो कहते हैं- यस.. तो फिर कुछ और सवाल ही नहीं उठता। आप उनके विजन के सामने सरेंडर हो जाते हैं। आप उन पर डाउट नहीं कर सकते। ये एक डायरेक्टर की योग्यता होती है कि वो एक एक्टर को इन्सिक्युरिटी से बाहर निकाले और वो करवा ले जो डायरेक्टर उससे चाहता है। महेश सर तो बहुत ही मंझे हुए निर्देशक हैं। उनके बारे में कुछ भी बताने के लिए मैं बहुत छोटा कलाकार हूं। इस फिल्म की शुरुआत से ही मैं जानता था कि मैं बहुत सुरक्षित हाथों में हूं। बहुत कुछ सीखने को मिला है उनसे। एक एक्टर के तौर पर उन्होंने मुझे निखारा है। उनके साथ मेरा सफर बहुत खूबसूरत रहा है।
आपने 2018 में डेब्यू किया था, फिर कोविड आ गया और अब 2021 में अंतिम आ रही है। एक न्यूकमर के तौर पर बीच के ये 3 साल कैसे गुजरे? नई रिलीज के लिए उतावलापन था या कैसा रहा वो फेज़?
आपने सही कहा कि जब आप करियर शुरु करते हैं तो कहीं ना कहीं एक फॉर्मेट होता है कि पहली फिल्म आ गई, फिर जल्दी से जल्दी दूसरी फिल्म ले आओ, फिर तीसरी ले आओ। जल्दी जल्दी फिल्में लाओ ताकि लोग आपको भूलें ना। जब मैंने अंतिम साइन की थी तो मुझे लगा था कि 2019 के अंत तक हम ये फिल्म फ्लोर पर ले जाएंगे। मैंने चार महीने खुद पर काम किया, मेरा खुद का भी विजन का था कि राहुलिया (अंतिम का किरदार) कैसा होगा, वो दिखेगा कैसे, बात कैसे करेगा। लवयात्री के बाद जो मुझे रिव्यूज मिले थे, जो फीडबैक मिला मुझे मेरे काम के लिए.. तो मैंने उस फीडबैक पर काम किया। सच कहूं तो मैंने नोट्स लिखे कि लोगों को कैसा लगा मेरा काम, कहां कमी आई, किन किन चीजों पर और मेहनत करनी है। कभी कभी हमलोग क्रिटिक्स को अपना दुश्मन बना लेते हैं कि ये हमारी ऐसे ही बैंड बजा रहे हैं। लेकिन मुझे लगता है कि आप उनके रिव्यूज को पढ़ेंगे तो आपको पता चलेगा कि उनको आपके काम में क्या क्या पसंद नहीं आया, तो फिर आप उस पर काम कर सकते हो, मेहनत कर सकते हो। आपकी अगली फिल्म में वो बातें काम आ सकती हैं। तो मैंने इन सालों में खुद पर काम किया। जब अंतिम मेरे पास आई तो मैं समझ गया था कि इसके लिए फिजिकल ट्रांसफॉर्मेशन चाहिए, साथ ही मुझे अपने अभिनय और सोच को वैसा ढ़ालना होगा। मैं जानता था कि अपने करियर के बहुत शुरुआत में ही मैंने एक ऐसी फिल्म उठा ली है, जिसमें सुपरस्टार सलमान खान हैं, महेश मांजरेकर हैं, और ये बहुत बड़ा चैलेंज है मेरे सामने। मैं जानता था कि दो- तीन फिल्मों के साथ मैं ये शूट नहीं कर सकता, इसके लिए मुझे समय चाहिए था। इन बीच के सालों में जब लोग लिखते थे कि आयुष तो खत्म हो गया, इसकी तो फिल्म नहीं आ रही है, काम नहीं है इसके पास, ये घर पर बैठा है.. तो मैं थोड़ा बैचेन होता था क्योंकि मुझे पता था कि मेरे पास काम है और दिन रात उसके लिए मेहनत कर रहा हूं। मुझे याद है कि इस रोल के लिए मुझे वजन बढ़ाना था, एक दिन मैं कहीं बाहर निकला था तो लोगों ने कहना शुरु कर दिया था देखा क्या हाल हो गया पहली फिल्म बाद, इसकी हालत खराब हो गई है, ये मोटा गया है.. वगैरह वगैरह.. अब मैं लोगों को कैसे समझाता कि मैं मोटा नहीं हो रहा था, मैं बॉडी बना रहा था। तो उस वक्त पर धैर्य के साथ रहना और खुद पर विश्वास पर रखना थोड़ा मुश्किल हो रहा था। लेकिन अब फिल्म आ रही है, देखते हैं क्या होता है। मेरे लिए ये फिल्म 'करो या मरो' वाली स्थिति है।
उस वक्त पर सलमान खान ने कितना सपोर्ट दिखाया था?
उन्होंने तो बहुत ही सपोर्ट किया। जैसे कि फिल्म शुरु होने से पहले किसी से ट्रोल शुरु कर दिया था कि We don't want Aayush Sharma.. तो मैं सोचता ही रह गया कि ये क्यों हो रहा है। मैंने किसी का क्या बिगाड़ा है। मैंने देखा ट्विटर पर वो ट्रेंड अच्छा खासा ऊपर चल रहा था। तो मैंने सलमान भाई को दिखाया और पूछा कि क्या लोगों को मुझसे ही खास दिक्कत है कि मैं फिल्में ना करूं या क्या है! तो उन्होंने पूछा- "कितने लोगों ने ऐसा ट्विट किया है?" मैंने कहा, "4-5 हजार होंगे".. तो उन्होंने कहा, "हिंदुस्तान की जनसंख्या बहुत ज्यादा है बेटा, पांच हजार लोग अगर पिक्चर नहीं भी देंखेगे तो भी फिल्म हिट है। तुमने इस फिल्म पर तीन साल तक मेहनत की है, वो बात जरूरी है। ये ट्रोलिंग मायने नहीं रखती। एक तरह से देखो तो ये अच्छी बात भी है कि वो लोग तुम पर नजर लगाए बैठे हैं। अगर आप फिल्म लेकर आ रहे हो और किसी को कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा है.. कि कब आई, कब गई.. तो क्या फायदा?"
'खान परिवार' से जुड़े होने का प्रेशर कभी करियर पर महसूस करते हैं?
मैं इसको ऐसे समझता हूं कि जैसे एक बहुत बड़ा बरगद का पेड़ होता है, उसके नीचे आपको छांव मिलती है, तो थोड़ी धूप भी मिलती है। तो आपको देखना पड़ेगा कि आपको छांव चाहिए कि धूप चाहिए। यदि मैं लोगों को बोलता हूं कि मैं स्टूडेंट हूं सलमान खान का, वो मेरे मेंटर हैं.. तो लोगों को उम्मीदें भी वैसी ही होती हैं। इसीलिए मुझे पर्दे पर आने के लिए उतना मेहनत भी पड़ेगा। मैं अपने आपको बहुत लकी कलाकार मानता हूं कि मेरी पहली फिल्म सलमान भाई ने लॉन्च की, दूसरी फिल्म में खुद मेरे साथ हैं। ऐसा प्लैटफॉर्म बहुत सारे एक्टर्स को नहीं मिलता है। यदि मुझे ये मौका मिल रहा है तो मेरे लिए इस मौके पर खरा उतरना बहुत जरूरी है। प्रेशर की बात करूं तो वो तभी उतरेगा जब लोगों को मेरा काम दिखना शुरु होगा कि हां ये सच में योग्य है। मैं कभी भी इन बातों को निगेटिव अंदाज में नहीं देखता हूं।
सारा अली खान ने बताया था कि वो खुद रोहित शेट्टी के ऑफिस गई थीं और उन्होंने फिल्म मांगी थी, फिर उन्हें सिंबा मिली। क्या आप बाहर निकलकर निर्देशकों से काम मांगने या उन्हें अपनी तरफ से अप्रोच करने के लिए तैयार हैं?
हां, मुझे लगता है कि यदि आपको किसी के साथ काम करना है तो जरूर उन्हें अप्रोच कीजिए। लेकिन मैं ये भी मानता हूं कि तब अप्रोच कीजिए, जब आप काम मांगने के लायक हों। फिल्में बनाना एक बिजनेस है। आप कितने बैंकेबल स्टार हैं, इस पर बहुत कुछ निर्भर करता है। आप कितने की ओपनिंग ला सकते हैं, आपके नाम पर सैटेलाइट, डिजिटल, म्यूजिक राइट्स कितने में बिकेगा.. वो सब एक जरूरी फैक्टर होता है। जैसे कि रोहित सर इतने बड़े निर्देशक हैं, इतने बड़े प्रोडक्शन की फिल्म बनाते हैं, तो उनको एक बड़ा सितारा ही चाहिए जो उनके प्रोडक्शन स्केल को जस्टिफाई कर सके। मेरी तरह एक यंग एक्टर उनके स्केल को जस्टिफाई नहीं कर सकता है। मैं दुआ करूंगा कि ऐसी कोई फिल्म मुझे मिले, लेकिन सच्चाई यही है कि मैं जानता हूं कि उसमें कोई बड़ा सितारा होगा तो ही मुझे कोई रोल मिलेगा। एक्ट्रेस के लिए फिर भी ये थोड़ा आसान होता है क्योंकि पूरी फिल्म का भार उन पर नहीं होता है। लेकिन एक मेल स्टार के तौर पर मैं समझता हूं कि ये पूरी जिम्मेदारी मेरे सिर पर आने वाली है। राजकुमार हिरानी, रोहित शेट्टी, संजय लीला भंसाली, करण जौहर सबके फेवरिट डायरेक्टर्स हैं। सब उनके साथ काम करना चाहते हैं। लेकिन वो यदि 200 करोड़ की फिल्म बना रहे हैं और 400 करोड़ उन्हें रिकवर करना है, तो वो मेरे साथ क्यों काम करेंगे? उनके पास जाने के लिए पहले मुझे भी उस लेवल तक जाना होगा। मैं कोई जंप मारने के चक्कर में नहीं हूं। जब दर्शकों को भी लगेगा कि मुझमें कोई बात है.. तो फिर मैं सभी को बिल्कुल अप्रोच करूंगा। मुझे लगता है कि आपका काम बात करे तो बेहतर है।
फिल्म का चुनाव करने के पहले किन बातों का ध्यान रखते हैं?
क्या मैं ये पिक्चर देखूंगा? क्या मैं इसके लिए टिकट खरीदूंगा? मैं सबसे पहले यही सोचता हूं। मैं कोई ट्रेंड फॉलो नहीं करता कि गली बॉय हिट हुई है तो सभी को म्यूजिकल फिल्म बनानी है, सूर्यवंशी आ गई तो सभी को पुलिसवाले का रोल करना है, या आयुष्मान की फिल्म हिट हो गई तो सभी को विषय प्रधान फिल्में बनानी है। नहीं, मैं ऐसा नहीं सोचता हूं। मुझे लगता है कि ये उनकी काबिलियत है, उनका चुनाव है। मैं सिंपल तरीके से वो फिल्म चुनता हूं जो मुझे लगता है कि एक दर्शक के तौर पर मैं भी देखूंगा। फिर मैं उस पर मेहनत करता हूं।
फिल्म इंडस्ट्री को लेकर आपकी क्या पूर्वधारणा थी? अब आपने यहां चार- पांच साल गुजार लिये हैं तो क्या लगता है आपके ख्यालों से कितनी मिलती- जुलती या कितनी अलग है ये दुनिया?
सच बताऊं, तो मुझे लगता था कि बहुत आसान है। सब अच्छे दिखते हैं, सिर्फ कैमरा के सामने आ जाओ तो सब हो जाएगा। लेकिन ऐसा है नहीं। एक फिल्म बनाने के पीछे बहुत तरह की प्रोसेस होती है। जब आप खुद फिल्म के सेट पर जाते हैं, खुद काम करते हैं, तब पता चलता है कि एक बुरी फिल्म बनाने में भी बहुत मेहनत जाती है। जब किसी की फिल्म देखकर आप कहते हो कि मेरे 300 रूपए बर्बाद हो गए.. लेकिन किसी ने अपने 3-4 साल लगाए होते हैं उस पर। 30- 40 करोड़ लगे होते हैं उस पर। फिल्म की इतनी बड़ी क्रू होती है और सभी यही चाहते हैं कि फिल्म हिट हो.. कोई ये सोचकर सुबह काम पर नहीं जाता है कि आज फ्लॉप फिल्म बनाउंगा। तो इन सालों में मैंने यही देखा है कि ये बहुत टफ इंडस्ट्री है। मुझे लगता है कि यहां ज्यादा उम्मीदों के साथ नहीं चाहिए.. आप पूरी जी जान लगाकर मेहनत करिए, लेकिन उम्मीदें मत रखिए क्योंकि कभी कभी किस्मत साथ देती है, कभी नहीं देती। तो जितना आपको सक्सेस की इच्छा है, उतना ही आपको फेल होने के लिए तैयार रहना होगा।
अंतिम को देखकर सलीम खान का क्या रिएक्शन रहा?
(मुस्कुराते हुए) उन्होंने फिल्म देखकर सिर्फ एक लाइन में बोला था- 'एंग्री यंग मैन'.. तो उनके मुंह से ये सुनना ही मेरे लिए एक बहुत बड़ी बात थी।