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Exclusive इंटरव्यू: मैंने खुद दिल बेचारा का एंड नहीं देखा, हो ही नहीं पाया - मुकेश छाबड़ा
सुशांत सिंह राजपूत की आखिरी फिल्म दिल बेचारा को एक साथ करीब 90 मिलियन लोगों ने डिज़्नी हॉटस्टार पर देखकर एक अलग ही रिकॉर्ड बनाया है। IMDB पर ये फिल्म सबसे ज़्यादा रेट की गई फिल्म बन चुकी है। लेकिन सुशांत के जाने का दुख किसी के लिए कम नहीं हो पा रहा है। फिल्म के डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा ने फिल्म के बारे में FilmiBeat एडिटर श्वेता परांडे से बातचीत में बताया कि सुशांत के जाने के बाद इस फिल्म पर काम करना उनके लिए कितना मुश्किल था।
पढ़िए
मुकेश
से
बातचीत
के
कुछ
अंश
-
सबसे
पहले,
इतने
दुख
के
बीच
भी
मैं
आपको
इस
फिल्म
की
सफलता
के
लिए
बधाई
देना
चाहती
हूं।
ये
फिल्म
सुशांत
के
लिए
तो
सबने
देखी
लेकिन
संजना
की
भी
तारीफें
हो
रही
हैं।
आपने
एक
अच्छा
कलाकार
दिया
है।
मुझे हमेशा से नए टैलेंट ढूंढना पसंद है। मेरा काम ही यही है। किज़ी बासु के लिए मुझे बिल्कुल नई लड़की चाहिए थी। वो मेरे साथ रॉकस्टार में काम कर चुकी है। तब वो 13 साल की थी और उसने उस फिल्म में बहुत ही अच्छा काम किया है। फिर हम संपर्क में रहे और मैंने उसे उसके कॉलेज में देखा। वो 3rd year में थी। उसकी आवाज़ में एक अलग ही खनक थी। चेहरे पर मासूमियत थी। मुझे वो सब किज़ी में चाहिए था।
क्या
संजना
के
लिए
कैमरे
का
सामने
होना
आसान
था?
उसे
पहली
ही
फिल्म
में
ऐसा
किरदार
दे
दिया
गया
जो
भावनाओं
के
स्तर
पर
बहुत
मज़बूत
था
और
उसने
अपना
काम
बखूबी
किया।
खासतौर
से
तब
जब
उसने
अभिनय
के
लिए
कोई
खास
ट्रेनिंग
नहीं
ली
है।
उसने
जो
किया
वो
अपनी
ज़िंदगी
के
अनुभवों
के
साथ
किया।
और
मैंने
उसे
13
साल
की
उम्र
से
देखा
है
तो
मुझे
उसकी
कमज़ोरी
और
ताकत
दोनों
पता
थे।
क्या
संजना
ट्रेन
नहीं
थी,
इस
बात
का
फायदा
किज़ी
के
किरदार
में
देखने
को
मिला?
हां
क्योंकि
वो
उस
किरदार
में
एक
अलग
तरह
की
ताज़गी
लेकर
आती
है।
उसने
एक्टिंग
और
ज़िंदगी
दोनों
को
जोड़
दिया।
सुशांत
ने
काफी
बड़े
रोल
किए
हैं।
क्या
उनके
लिए
ये
आसान
था
या
नहीं?
वो
इतना
अच्छा
एक्टर
था
कि
उसे
कोई
भी
रोल
दे
दो
वो
आसानी
से
कर
लेता
था।
इस
फिल्म
में
मैं
उसे
कुछ
अलग
हमेशा
खुश
रहने
वाला
एक
किरदार
देना
चाहता
था।
उसने
हमेशा
सशक्त
किरदार
किए
हैं
जैसे
सोनचिड़िया,
धोनी
तो
मैं
उसे
कुछ
अलग
देखना
चाहता
था।
सुशांत
का
चार्म
अलग
था,
उसे
इस
फिल्म
में
देखना
दिल
तोड़
देता
है।
क्योंकि
फिल्म
के
कई
सीन
ऐसे
हैं
जो
हाल
ही
में
हुई
घटनाओं
से
जुड़
जाते
हैं।
खासतौर
से
आखिरी
का
चर्च
सीन
जहां
वो
अपने
दोस्तो
को
अपने
ही
जनाज़े
पर
बुलाते
हैं
केवल
ये
देखने
के
लिए
कि
उनके
दोस्त
उनके
बारे
में
क्या
कहेंगे।
ये
बहुत
ही
अजीब
था,
मैंने
खुद
आखिरी
के
30
मिनट
नहीं
देखे
हैं।
मैं
देख
ही
नहीं
सकता।
क्योंकि
मैं
लगातार
फिल्म
पर
काम
कर
रहा
था।
14
जून
के
बाद
भी
मैं
लगातार
फिल्म
पर
काम
कर
रहा
था।
पहले
ट्रेलर
पर
काम
किया।
फिर
गाने,
फिल्म।
ये
बहुत
मुश्किल
था।
मैं
कभी
सुशांत
को
भूलना
नहीं
चाहता,
मैं
कभी
भूल
ही
नहीं
सकता।
हम
सोच
भी
नहीं
सकते
कि
आपने
इस
दुख
को
कैसे
झेला
है।
जिस
तरह
आपने
खुद
को
संभाला
है
और
फिल्म
रिलीज़
की
है
वो
तारीफ
के
काबिल
है।
आप
सुशांत
से
जुड़ी
कुछ
यादें
बांटना
चाहेंगे?
उससे
जुड़ी
बहुत
सारी
यादें
हैं।
वो
हर
सीन
में
भावुक
रूप
से
जुड़
जाता
था
इसलिए
सीन
के
पहले
सेट
पर
पूरी
शांति
हो
जाती
थी।इसके
बाद
हम
एकदम
शांत
सा
संगीत
बजा
देते
थे
जिससे
कि
हर
कोई
सीन
में
उतना
ही
जुड़
जाए
क्योंकि
हम
एक
बेहद
भावुक
फिल्म
बना
रहे
थे।
और
सीन
के
बाद
हम
शाहरूख
सर
का
डांस
करने
लगते
थे
माहौल
बदलने
के
लिए।
ऐसी
काफी
सारी
यादें
हैं।
हर
भारी
सीन
के
बाद
हम
लोग
खुद
को
हल्का
महसूस
करने
के
लिए
ऐसा
करते
थे।
क्या
आपको
फिल्म
के
लिए
हॉलीवुड
से
कोई
रिएक्शन
आए,
क्योंकि
ये
आधिकारिक
रीमेक
थी?
अभी
तक
तो
नहीं।
लेकिन
मैं
इंतज़ार
कर
रहा
हूं
कि
रिएक्शन्स
का।
क्या
आप
आगे
किसी
प्रोजेक्ट
पर
काम
कर
रहे
हैं?
नहीं,
अभी
तो
मैं
दिल
बेचारा
और
सुशांत
के
साथ
बहुत
गहराई
से
जुड़ा
हुआ
हूं।
जब
मैं
दिल
से
बेहतर
महसूस
करूंगा
और
हल्का
महसूस
करूंगा
तब
शायद
अगले
प्रोजेक्ट
की
तरफ
बढ़ूं।
यहां
देखिए
ये
इंटरव्यू
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