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    Birthday : अगर पिता जिंदा होते तो लता मंगेशकर कभी ना बनती भारत की 'स्वर कोकिला'

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    इसी साल 6 फरवरी को स्वर कोकिला लता मंगेशकर हम सबको छोड़कर चली गयी। 28 सितंबर को उनकी बर्थ एनिवर्सरी है। दशकों से लता मंगेशकर की सुरीली आवाज लोगों के कानों में मिठास घोल रही है। वह भले ही आज हमारे बीच में नहीं हैं लेकिन लोगों के दिलों में वह हमेशा जिंदा रहेंगी। लता मंगेशकर जिन्हें लता दीदी के नाम से भी पुकारा जाता था, को "क्वीन ऑफ मेलोडी", "नाइटिंगेल ऑफ इंडिया" और "वॉयस ऑफ द मिलेनियम" जैसी कई उपाधियों से सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें साल 1989 में दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। साल 2001 में लता मंगेशकर भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' दिया गया था।

    आइए लता दीदी की बर्थ एनिवर्सरी पर उनसे जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें आपको बताते हैं

    माता-पिता के पैर धोकर पीती थी :

    माता-पिता के पैर धोकर पीती थी :

    लता मंगेशकर अपने पिता को भगवान का दर्जा देती थी। इसलिए श्रद्धापूर्वक वह रोज अपने माता-पिता के पैर धोती थी। सिर्फ इतना ही नहीं, पैर धोकर वह हथेली पर उस पानी को रखकर पी भी लेती थी। लता मंगेशकर का मानना था कि जो बच्चे माता-पिता के चरण धोकर पीते हैं, वो अपने जीवन में तरक्की की सीढ़ियां चढ़ते हैं। लता मंगेशकर जितने दिन कोल्हापुर में थी, वह ऐसा हर रोज करती थी।

    अधूरी रही प्रेम कहानी :

    अधूरी रही प्रेम कहानी :

    लता मंगेशकर ने 1,000 से ज्यादा हिंदी गीतों को अपनी सुरीली आवाज से सजाया था। इनमें से कई गीत प्यार को बयां भी करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि वास्तविक जीवन में लता मंगेशकर का प्यार अधूरा रह गया था। रिपोर्ट्स की मानें तो लता मंगेशकर को डूंगरपुर राजघराने के महाराजा राज सिंह से प्यार हो गया था। वह लता के भाई हृदयनाथ मंगेशकर के दोस्त भी थे। कहा जाता है कि महाराजा राज ने अपने माता-पिता से वादा किया था कि वो किसी भी आम घर की लड़की को उनके घराने की बहू नहीं बनाएंगे। इसलिए उन्होंने लता मंगेशकर से शादी नहीं की।

    पिता जीवित होते तो नहीं बनती सिंगर :

    पिता जीवित होते तो नहीं बनती सिंगर :

    लता मंगेशकर जब 13 साल की थीं तब उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर का निधन हो गया था। इसके बाद उनके ऊपर ही परिवार की जिम्मेदारी आ गई थी। उन्होंने 13 साल की उम्र में ही सिंगिंग के क्षेत्र में अपना डेब्यू किया था। 18 साल की उम्र में मास्टर गुलाम हैदर ने फिल्म मजबूर के गीत 'अंग्रेजी छोरा चला गया' में मुकेश के साथ गाने का मौका दिया। लता मंगेशकर ने खुद एक इंटरव्यू में कहा था, 'पिताजी जिंदा होते तो मैं शायद सिंगर नहीं होती।' लता के पिता दीनानाथ मंगेशकर को लंबे समय तक मालूम ही नहीं था कि उनकी बेटी गा सकती हैं। लता दीदी जब किचन में मां का हाथ बंटाने आई महिलाओं को गाना सिखाती तो उनकी मां डांटकर भगा देती थीं।

    पिछले साल नहीं मनाया था अपना जन्मदिन :

    पिछले साल नहीं मनाया था अपना जन्मदिन :

    लता मंगेशकर ने पिछले साल अपना जन्मदिन मनाने से इंकार कर दिया था। उस समय उन्होंने कहा था कि कोरोना वायरस आने के बाद यह मेरा दूसरा जन्मदिन है। ऐसे में सबसे बड़ा गिफ्ट यही है कि मेरे परिवार के लोग मेरे साथ हैं। ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने एक साल से ज्यादा समय से अपने पेरेंट्स और बच्चों की शक्ल नहीं देखी हैं। ऐसे वक्त में कौन केक और कैंडल के बारे में सोचता है?

    चिकन और क्रिकेट से लता को था बेहद लगाव :

    चिकन और क्रिकेट से लता को था बेहद लगाव :

    लता दीदी को चिकन बेहद पसंद था। वह सिर्फ खाती ही नहीं बल्कि बेहतरीन तरीके से चिकन पकाती भी थी। चिकन के अलावा उन्हें सूजी का हलवा भी बहुत अच्छा बनाती थीं। लता मंगेशकर को सी फूड भी काफी पसंद था। खासकर गोवा की फिश और समुद्री झींगे उनकी पसंदीदा डिश थी। कहा जाता है कि डूंगरपुर राजघराने के महाराजा राज सिंह, जो बीसीसीआई से जुड़े हुए थे, की वजह से ही लता मंगेशकर को क्रिकेट से काफी लगाव हो गया था। 1983 का मैच देखने तो लॉर्ड्स क्रिकेट स्टेडियम पहुंच गई थीं। इतना ही नहीं लता दी ने क्रिकेट बोर्ड की मदद के लिए एक कॉन्सर्ट भी किया ताकि टीम के लिए पैसे जुटाए जा सके ताकि क्रिकेटर्स को पुरस्कार स्वरूप वह पैसे दिये जा सकें। नये दौर में लता मंगेशकर के पसंदीदा क्रिकेटर्स में सचिन तेंदुलकर का नाम सबसे ऊपर होता था।

    English summary
    Lata Mangeshkar is no more with us today but thousands of songs sung by her still stir sweet juice in our ears. Swar Kokila Lata Mangeshkar's birth anniversary is on 28 September. Lata Mangeshkar lent her voice to more than 5 thousand songs in about 36 Indian languages.
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