Just In
- 1 hr ago Crew Review: चोर के घर चोरी करती नजर आईं तबू, करीना और कृति, बेबो ने लूट ली सारी लाइमलाइट, कृति पड़ीं फीकी
- 4 hrs ago बेटे अकाय के जन्म के बाद अनुष्का शर्मा ने शेयर की अपनी पहली तस्वीर, दूसरी डिलिवरी के बाद ऐसी हो गई हैं हसीना
- 5 hrs ago ईशा अंबानी ने 508 करोड़ में बेचा अपना 38,000 स्कवेयर फुट का बंगला, इस हसीना ने चुटकी बजाकर खरीदा?
- 6 hrs ago 250 करोड़ की मालकिन बनने को तैयार 1 साल की राहा कपूर! रणबीर-आलिया ने लिया ऐसा फैसला
Don't Miss!
- News हरियाणा: सीएम नायब सिह सैनी ने पेंशन घोटाले मामले में कार्रवाई के दिए निर्देश, कई अधिकारियों पर गिरेगी गाज
- Lifestyle Mukhtar Ansari Networth : मुख्तार अंसारी का निधन, जानें कितनी बेशुमार दौलत के थे मालिक?
- Education MHT CET 2024 Exam Dates: एमएचटी सीईटी 2024 परीक्षा की तारीखें फिर से संशोधित की गई, नोटिस देखें
- Finance Gaming का बिजनेस भारत में पसार रहा पांव, आने वाले सालों में 6 अरब डॉलर तक का होगा कारोबार
- Automobiles अब Toll प्लाजा और Fastag से नहीं, इस खास सिस्टम से होगा Toll Collection! नितिन गडकरी ने दिया बड़ा अपडेट
- Technology Oppo F25 Pro भारत में नए Coral Purple कलर में उपलब्ध, जानिए, स्पेक्स और उपलब्धता
- Travel Good Friday की छुट्टियों में गोवा जाएं तो वहां चल रहे इन फेस्टिवल्स में भी जरूर हो शामिल
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
अब अपने दिल्ली के ‘सोपान’ में नहीं आते अमिताभ बच्चन
नई
दिल्ली(विवेक
शुक्ला)सोपान
में
ही
एक
दौर
में
अमिताभ
बच्चन
अपने
माता-पिता
और
परिवार
के
अन्य
सदस्यों
के
साथ
दीवाली
का
पर्व
मनाते
थे।
‘सोपान'
‘प्रतीक्षा'
या
‘जलसा'
की
तरह
से
फेमस
नहीं
है।
दिल्ली
के
गुलमोहर
पार्क
में
सोपान
हरिवंश
राय
बच्चन
और
तेजी
बच्चन
के
लिए
इस
घर
का
अलग
महत्व
था।
कहने
वाते
तो
यहां
तक
कहते
हैं
कि
दोनों
ने
बड़ी
ही
मेहनत
करके
इसे
बनवाया
था
राजधानी
के
गुलमोहर
पार्क
में।
ये 1970 के आसापस की बातें हैं। तब तक अमिताभ बच्चन फिल्मों में स्थापित होने के लिए संघर्ष कर रहे थे।बच्चन दंपति ने इसे बनवाने के बाद यहां पर ही रहना शुरू कर दिया। तब अभिताभ बच्चन भी इधर लगातार आते थे,रहते थे।
सोपान में नियमित रूप से कविता पाठ और सामयिक सवालों पर गोष्ठियों के आयोजन होते थे। उन दिनों को याद करते हुए वरिष्ठ कवि और गुलमोहर पार्क निवासी सतीश सागर बताते हैं कि दोनों पति-पत्नी गजब के मेजबान थे।
सोपान में होने वाली गोष्ठियों में बच्चन भी अपनी रचनाएं पढ़ते थे। उनसे जो रचनाएं पढ़ने का आग्रह होता था,उसे वे तुरंत पूरा करते थे।
इसके चलते डॉ. हरिवंशराय बच्चन का व्यक्तित्व व कृतित्व साकार हो जाता था। सतीश सागर कहते हैं कि बच्चनजी के साहित्य पढ़ने से यह बात स्वतः ही सिद्ध हो जाती है।
काव्य रचनाओं के साथ-साथ उनके जिस साहित्यिक रूप ने इस उक्ति को प्रमाणित किया, वह है उनकी आत्मकथा। इतिहास में शायद ही किसी रचनाकार की आत्मकथा में अभिव्यक्ति का ऐसा मुखर रूप दृष्टिगोचर होता है।
सोपान में एक बार वरिष्ठ लेखक
डॉ. धर्मवीर भारती भी पहुंचे एक गोष्ठी में। उन्होंने कहा बच्चनजी की आत्मकथा पर प्रतिक्रिया स्वरूप कहते हैं कि हिन्दी के हजार वर्षों के इतिहास में ऐसी पहली घटना है जब कोई साहित्यकार अपने बारे में सब कुछ इतनी बेबाकी, साहस और सद्भावना से अपनी बात कहता हो।
हिन्दी प्रेमियों का गढ़
सोपान एक दौर में राजधानी में हिन्दी प्रेमियों का तीर्थस्थल बन गया था। लगातार महफिलें चतली थीं। ड्राइंग रूम में बैठकों के दौर चलते थे।
कहते हैं कि बच्चन जी से उस दौर में'जीवन की आपा-धापी में कब वक्त मिला, कुछ देर कहीं पर बैठ कभी यह सोच सकूं , जो किया, कहा, माना उसमें क्या बुरा भला ,हर एक लगा है अपनी दे-ले में' को सुनाने का खासतौर पर आग्रह रहता था।
बच्चन जी शाम को तो अवश्य गुलमोहर पार्क क्लब में दोस्तों के साथ मिल-बैठ के लिए पहुंचते थे। दोनों डॉन की अपार सफलता तक यहां पर रहे। अमिताभ-जया दिवाली और दूसरे पर्वों पर इधर आने लगे।
बच्चन जी के पड़ोसी रहे लेखक पत्रकार देवकृष्ण व्यास ने बताया कि एक बार दिवाली पर अनार जलाते हुए अमिताभ का हाथ जल गया था। बहरहाल, दिवाली बहुत भव्य तरीके से बच्चन परिवार सोपान में मनाता रहा। डॉन के बाद अमिताभ माता-पिता को मुबंई ले गए।
उसके बाद गुल मोहर के लोगों को भी याद नहीं आता कि कभी वे फिर लंबे वक्त के लिए गुलमोहर पार्क वाले घर में लौटे। अब तक सोपान का केयरटेकर इसकी देखरेख करता रहता है। किसी ने लंबे
समय से अमिताभ या उनके परिवार के किसी सदस्य को यहां पर देखा भी नहीं है। दरअसल गुलमोहर पार्क में तेजी जी को प्लाट इसलिए मिला क्योंकि वे आकाशवाणी में काम करती थीं।
गुलमोहर पार्क तो पत्रकारों की कालोनी बन रही थी 70 के दशक के बिलकुल शुरुआत में। तब जब पर्याप्त पत्रकार नहीं मिले तो दूसरे पर मिलते-जुलते पेशों से जुडे लोगों को इसका सदस्य बनाया गया।
व्यास जी ने बताया कि बच्चन जी उन दिनों अमिताभ की हर फिल्म हमें भी देखने के लिएकहते थे । कहते थे, अमित ने इस फिल्म में तो बेजोड़ काम करके दिखा दिया है। जाहिर तौर पर उन्हें अमित पर गर्व था।
अब कैसा है बंगला
बंगला तो ठीक हालत में है। पर यहां पर रहता कोई नहीं है। जाहिर है, अब गुजरा दौर तो सोपान में नहीं लौटेगा। हां,उसकी यादें उस दौर के लोगों के जेहन में जरूर हैं। अच्छी बात यह भी है कि बच्चन परिवार ने सोपान को अपने स्वामित्व में ही रखा हुआ है।
करीब 200 वर्ग गज में बने सोपान का बाजार मूल्य 25 करोड़ रुपये से कम नहीं होगा। इधर एक फ्लोर का रेंट भी करीब एक लाख रुपये महीने से कम नहीं होता। इसके बावजूद सोपान को बच्चन परिवार ने पूरी तरह से अपने पास रखा हुआ है।
हां, अब बी-8 गुलमोहर पार्क को यहां के लोग अमिताभ बच्चन के घर के रूप में जानते हैं। कारण यह है कि अब एक पीढी आ चुकी है। हरिवंश जी और तेजी जी की पीढ़ी तो अब लगातार घट ही रही है।
-
50 साल की बॉलीवुड हीरोइन ने लंघी सारी हदें, ऐसा हाल देखकर लोग बोले- ये हाथों से क्या पकड़ा है?
-
24 में हुई पहली शादी, 7 साल में हुआ तलाक, फिर 38 साल की उम्र में 14 साल छोटी लड़की से की तीसरी शादी
-
Bhojpuri Video: जब आधी रात को आम्रपाली दुबे ने दिनेश लाल यादव के छुड़ाए पसीने, किया ज़बरदस्त रोमांस