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स्टूडेंट ऑफ द ईयर 2 फिल्म रिव्यू - बुरी तरह फेल हुआ टाईगर - अनन्या - तारा का ये नया बैच
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सात साल पहले, करण जौहर हमें सेेंट थेरेसा की दुनिया में लेकर गए स्टूडेंट ऑफ द ईयर के ज़रिए जहां सब कुछ चमक दमक से ढंका हुआ था। इस दुनिया में केवल करण जौहर का ग्लैमर अपना जादू चला सकता था। फिल्म के हीरो सिद्धार्थ मल्होत्रा और वरूण धवन अपनी बॉडी से लड़कियों की हालत खराब करने में कामयाब हुए थे तो आलिया भट्ट ने अपने फैशन से दिल जीत लिया था।
दो लड़के, एक लड़की के लिए और स्टूडेंट ऑफ द ईयर ट्रॉफी के लिए लड़ते हैं। परफेक्ट बॉडी, शानदार कपड़े और बेहतरीन म्यूज़िक से बनी थी करण जौहर की ये चमकीली दुनिया जिसे स्कूल - कॉलेज ड्रामा का नाम दे दिया गया।
अब आते हैं 2019 पर। करण जौहर पास होकर निकल चुके हैं तो अगले बैच की कमान थमा देते हैं डायरेक्टर पुनीत मल्होत्रा के पास जो इस फ्रेंचाईज़ी में टाईगर श्रॉफ के साथ दिल जीतने के लिए लेकर आए दो नई लड़कियों को - तारा सुतारिया और अनन्या पांडे। इस बार कहानी में बस लिंग बदल दिया गया। यानि कि दो लड़कियां एक लड़के के लिए लड़ेंगी। बस बाकी सब कुछ वही का वही रह गया।
शुरूआत की जाए तो रोहन (टाईगर श्रॉफ), किशोरीलालल चमनदास कॉलेज का एक स्टूडेंट, सेंट थेरेसा जैसे बड़े स्कूल जाना चाहता है, जिससे कि वो अपने बचपन की प्यार मृदुला यानि कि मिया (तारा सुतारिया) का दिल जीत सके और स्टूडेंट ऑफ द ईयर की ट्रॉफी। मिया, सेंट थेरेसा में पढ़ती है।

स्पोर्ट्स कोटा से रोहन को सेंट थेरेसा में एडमिशन मिल जाती है और वहां उसके रास्ते टकराते हैं बिगड़ैल लड़की श्रेया (अनन्या पांडे) और उसके ज़्यादा बिगड़ैल भाई मानव (आदित्य सील) से। समय बीतता है, बहुत सारे दिल टूटते हैं और हड्डियां भी। फिर फाईनल पर पहुंचते हैं जहां रोहन देसी एवेंजर बनकर कबड्डी मैच खेलता है।
स्टूडेंट ऑफ द ईयर 2 का प्लॉट बचकाना और बिना किसी सर पैर का है। फिल्म में अच्छी बॉडी वाले बहुत सारे लोग हैं, मेकअप और कपड़े अच्छे हैं और डांस भी अच्छा है। जहां पहली फिल्म में कम से कम वरूण और सिद्धार्थ के ब्रोमांस पर थोड़ा समय दिया गया था, इस बार वो भी नहीं है।
टाईगर के सारे दोस्त उसके चमचे नज़र आते हैं। खराब स्क्रीनप्ले और उससे भी खराब कहानी के चलते पुनीत मल्होत्रा इस टेस्ट में बुरी तरह फेल होते हैं। अभिनय की बात करें तो टाईगर श्रॉफ डांस करते हैं, फाईट करते हैं और गुलाटियां कमाल की मारते हैं। यहां भी वो वही करके निकल जाते हैं। लेकिन उनको स्टूडेंट के तौर पर देखना नामुमकिन सा है।
अनन्या पांडे वैसे तो स्क्रीन पर कॉन्फिडेंस के साथ नज़र आईं लेकिन जहां एक्टिंग की बात आती है तो उन्हें खुद पर काफी मेहनत करनी है। वो श्रेया बनकर ये फिल्म आराम से निकाल ले गई हैं क्योंकि उनका किरदार इस तरह से लिखा गया है लेकिन आगे चलकर वो क्या कर पाएंगी ये देखना दिलचस्प होगा। तारा सुतारिया स्क्रीन पर अच्छी दिखती हैं लेकिन कमज़ोर कहानी की वजह से दिल नहीं जीत पाती हैं।
फिल्म के विलेन के तौर पर आदित्य सील पूरी तरह फिट बैठे हैं लेकिन उनके किरदार को भी उतने ही लचर तरीके से लिखा गया है। फिल्म का हर फ्रेम केवल चमकता है। लड़कियां हर फ्रेम में सुंदर दिखाई गई हैं। टाईगर के मसल और बॉडी पर कैमरे को पूरा फोकस किया गया है।
स्टूडेंट ऑफ द ईयर 2 का म्यूज़िक भी प्रभाव नहीं छोड़ता। ये जवानी है दीवानी और फकीरा छोड़कर कोई गाना याद रखने लायक नहीं है। फिल्म के ट्रेलर में टाईगर श्रॉफ कहते दिखे थे, " लाइफ अगर मैदान है तो उसे दो हिस्सों में बांट दो, एक में सपने और दूसरे में असलियत, जिसे पार वो ही करता है जो भरोसा किस्मत से ज़्यादा अपनी मेहनत पर करे। काश फिल्म बनाने वालों ने अपनी ही ज्ञान भरी बातों पर ध्यान दिया होता!