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    फंस गए रे ओबामा: कॉमेडी कम, व्यंग्य ज्यादा

    By Jaya Nigam
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    Phas Gaye Re Obama
    निर्देशक - सुभाष कपूर
    स्क्रिप्ट राइटर - सुभाष कपूर
    निर्माता - अशोक मिश्रा
    मुख्य कलाकार - रजत कपूर, नेहा धूपिया, अमोल गुप्ते, संजय मिश्रा
    सेंसर सर्टिफिकेट - एडल्ट

    रेटिंग मीटर - 3.5/5

    समीक्षा - इस हफ्ते की सबसे शानदार फिल्म है फंस गए रे ओबामा। वैसे ये बात हम नहीं बॉक्स ऑफिर रिपोर्ट भी आपको जरूर बता देगी क्योंकि अभी-अभी पता चला है कि बेंगलुरू के पीवीआर में इस फिल्म के सभी टिकट लगभग-लगभग बिक चुके हैं। इस फिल्म की कप्तानी निर्देशक सुभाष कपूर के हाथों में पूरी तरह से रही है। इसलिए वह इस फिल्म की बढ़िया कथा-पटकथा, संवाद और निर्देशन सभी के लिए जरूर सराहे जाने चाहिए।

    कहानी एक ऐसे अप्रवासी भारतीय की है जो अमेरिकी संस्कृति और सोसायटी में पूरी तरह से ढल चुका है। अमेरिकी मंदी से बुरी तरह निढाल ओम शास्त्री (रजत कपूर) को हाथ से सब कुछ निकल जाने के बाद अब भारत में अपनी पैतृक संपत्ति के भरोसे पहुंचते हैं। लेकिन उनके भारत पहुंचने की खबर यहां के एक ऐसे गैंग के हाथों लग जाती है जो शास्त्री का अपहरण कर उनसे मोटी फिरौती वसूलना चाहता है।

    यहां से शुरू होता है सीधी-साधी कहानी में कॉमेडी का तड़का। लेकिन ये कहानी आपको हंसाने का काम तो करती ही है इसके अलावा यह वैश्विक मंदी जैसे गंभीर मुद्दे को एक आम आदमी की आपबीती बना कर पेश करती है। मंदी एक बेहद गंभीर और इंटरनेशनल मुद्दा है। बॉलीवुड की टिपकल मसाला फिल्में इस बारे में फिल्म बनाने के बारे में सोच भी नहीं सकतीं। इसके बाबजूद सुभाष कपूर ने ना सिर्फ एक मजबूत प्लेटफॉर्म चुना बल्कि कहानी और संवाद भी ऐसे डाले जो हर किसी को गुदगुदाने के साथ सामाजिक व्यवस्था पर व्यंग्य भी करते चलते हैं।

    कलाकारों का चुनाव भी सुभाष की स्पष्ट सोच को उजागर करता है। वह किसी सितारे के चक्कर में ना पड़ कर सिर्फ अपनी कहानी और स्वस्थ मनोरंजन के बलबूते सिनेमा हॉल में उतरते हैं और खेलें हम जी जान से और रक्तचरित्र 2 की आंधी में ना सिर्फ मजबूती से डटे रहते हैं बल्कि मेरे हिसाब से तो पूरी तरह भारी पड़ते हैं।

    रजत कपूर के अभिनय की तारीफ तो जितनी की जाए कम है। वह ऑफबीट फिल्मों के स्टार बनते जा रहे हैं। उनका फिल्म में होना एक तरह से सफलता की गारंटी जैसा होता है। नेहा धूपिया भी बी ग्रेड फिल्मों की हीरोइन की इमेज से बाहर निकलती दिखाई दे रही हैं। यदि अच्छी फिल्मों के चुनाव का उनका ये सिलसिला जारी रहा तो दर्शक उनमे एक बेहतर ऑफबीट ऐक्ट्रेस पा सकते हैं। कुल मिला कर फिल्म धांसू हैं और अगर आप गोवारिकर और रामू के फैन हैं भी तो भी ये फिल्म जरूर देख आइये।

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