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बुंलद भारत की असल तस्वीर 'पीपली लाइव'
कलाकार : ओमकार दास , रघुबीर यादव , शालिनी , नसीरुद्दीन शाह , मलाइका शिनॉय , फारूख जफर , विशाल
निर्माता : आमिर खान , किरण राव, डायरेक्टर : अनुषा रिजवी
गीत : संजीव शर्मा , गंगा राम , स्वानंद किरकिरे
संगीत : इंडियन ओशन
रेटिंगः 4/5
समीक्षा : हमारा देश एक कृषि प्रधान देश हैं, ऐसा लोग कहा करते थे और हम किताबों में पढ़ते थे, लेकिन उसी देश का किसान भूखों मर रहा है, उसी के पास खाने को दाना नहीं है जो दाना उगाता है और हालात ऐसे पैदा हो जाते हैं कि वो मौत को गले लगाने की सोच लेता है। क्या नेता और क्या पत्रकार सभी उसकी मौत का तमाशा बना देते हैं लेकिन किसी के पास उसकी समस्या का हल नहीं होता सब उसकी मौत को अपनी कामयाबी का जरिया बना लेते हैं। जो कि एक कड़वा सच है।
यही कहानी है पीपली लाइव की जिसने हमारे सिस्टम और मीडिया पर तीखा व्यंग किया है जो एक दम सटीक है। निर्देशक अनुषा रिज्वी ने शानदार काम किया है। राजनेताओं की छोड़िये आज कल चैनल वाले भी अपने टीआरपी के चक्कर में बातों को तोड़-मरोड़ देते हैं। दिखाना क्या होता है दिखता क्या है यही है आजकल के चैनलों की सच्चाई, जिसे बखूबी समझा है अनुषा ने, क्योंकि उनकी समझदारी दिखायी दे रही है पर्दे पर जो कि वाकई तारीफे काबिल हैं।
कहानी का मुख्य किरदार नत्था उर्फ ओमकार दास मानिकपुरी ने तो जैसे अपने किरदार को जी लिया है। फिल्म देखते वक्त आपको एहसास ही नहीं होगा कि आप किसी पिक्चर हॉल में बैठे हैं, आपको लगेगा कि जैसे आप उस गांव में पहुंच गए है जहां के किसान के पास न तो रोटी है और न ही छत। जिसके पीछे कलाकारों का जीवंत अभिनय कारण है। नत्था की पत्नी धनिया उर्फ शालिनी वत्स और नत्था के भाई बने बुधिया उर्फ रघुवीर यादव के तो कहने ही क्या, दोनों ने अपने अभिनय से साबित कर दिया है कि अभिनय किसी की स्टार की बपौती नहीं है।
दोनों ही मंझे हुए कलाकार है, शालिनी वत्स को देखकर लगा ही नहीं कि ये उनकी पहली फिल्म हैं। नासिरूद्दिन शाह हमेशा की तरह बेहतरीन है। पत्रकार बनें विशाल शर्मा और मलाइका शिनॉय दो प्रमुख न्यूज टीवी चैनलों के स्टार जर्नलिस्टों की झलक नजर आती है। आमिर के बारे में क्या कहा जाए वो वाकई में वो शख्स है, जो मिट्टी को सोना बना देते हैं। उन्होंने साबित कर दिया है कि फिल्म की कहानी और कलाकार ही बॉक्स ऑफिस पर लोगों की भीड़ इक्ट्ठा कर सकते हैं न कि बड़ा बजट या बड़ा बैनर। पटकथा अगर मजबूत हो तो फिल्म को हिट कराने से कोई नहीं रोक सकता है। फिल्म का संगीत कहानी में जान भरता है।
फ्रेंच म्यूजिक डायरेक्टर माथियास डुपलेसी का बैकग्राउंड म्यूजिक लाजवाब है। वहीं , जिंदगी से डरते हो, चोला माटी के राम , देश मेरा .. गीत कहानी पर फिट है। वहीं लंबे अर्से से म्यूजिक चार्ट में नंबर वन की दौड़ में शामिल महंगाई डायन खाए जात है आज भी लोकप्रियता के शिखर पर है। कुल मिलाकर पीपली लाइव वो आईना है, जो हमारे देश की कड़वी सच्चाई के सच को बेहद ही रोचक ढंग से दिखाता है , जिसका श्रेय पीपली लाइव की पूरी टीम को जाता है।
देखें : पीपली लाइव की तस्वीरें
कहानी : पीपली गांव के नत्थू सिंह उर्फ नत्था ने अपनी बीमार अम्मा के इलाज के लिए कर्जा लिया। जैसा दूसरे किसानों के साथ होता है नत्था भी कर्ज नहीं चुका पा रहा। कर्ज ना चुकाने के डर से नत्था को अपनी जमीन पर सरकारी कब्जे का डर सता रहा है।
इस बीच सरकार उन किसानों के परिवार को मुआवजे का ऐलान करती है जिन्होंने कर्ज ना चुकाने की वजह से आत्महत्या की। वहीं , अपनी पुश्तैनी जमीन छीनने के डर से नत्था का बड़ा भाई आत्महत्या करने की बात करता है , ताकि मुआवजे की रकम से उधार चुकाया जा सके और नत्था अपने बच्चों की पढ़ाई पूरी कर सके। नत्था उसके इस आइडिया को खुद पर अमल करने का फैसला करता है। सरकारी मुआवजे की चाह में नत्था द्वारा आत्महत्या करने के ऐलान की खबर जब टीवी चैनलों को लगती है तो उन्हें इस खबर में अपनी टीआरपी को बढ़ाने और चौबीसों घंटे दिखाए जाने वाला मसाला मिल जाता है।
हर चैनल अपनी ओबी वैन और रिपोर्टर्स की टीम नत्था पर चौबीसों घंटे नजर रखने और उसकी हर खबर को कवर करने के लिए पीपीली भेज देता है। नत्था द्वारा आत्महत्या करने का फैसला स्टेट गवर्नमेंट के लिए मुसीबत बन गया है। उधर , केंद्र में दूसरी पार्टी की सरकार के एग्रीकल्चर मंत्री को लगता है नत्था के मुद्दे पर स्टेट गवर्नमेंट को निशाना बनाया जाए। ऐसे में चैनलों और नेताओं के चक्कर में नत्था फंस जाता है उसे समझ में ही नहीं आता कि वो किस रास्ते जाए। अंत तक सस्पेनेस बरकरार रहता है कि क्या नत्था आत्महत्या करेगा।