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Omerta Review: रूह कंपा देने वाली मुस्कुराहट, खतरनाक इरादे, कमजोर दिल वालों के लिए नहीं है ये फिल्म
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हंसल मेहता की राजकुमार राव स्टारर ओमेर्टा कमजोर दिल वालों के लिए नहीं है! इस डायरेक्टर-एक्टर की जोड़ी ने असली कहानी पर आधारित शाहिद और अलीगढ़ जैसी कई बेहतरीन फिल्में दी हैं। वहीं अब दोनों ने पाकिस्तानी मूल के ब्रिटिश आतंकवादी अहमद ओमर सईद की जिंदगी को पर्दे पर उतारा है। ये वही आतंकवादी है जो 1994 के भारत में विदेशियों अपहरण कांड में शामिल था। इसी ने ही 2002 में वॉल स्ट्रीट जर्नलिस्ट डेनियल पर्ल की निर्मम हत्या करवाई थी।
बुराई और आतंक के मुद्दे पर हंसल मेहता के अध्ययन की गहनता सिर्फ नाटकीयता तक ही सीमित है। इनमें से कुछ तो विकीपीडिया पर आसानी से मिल जाएंगे।
ओमेर्टा की शुरूआत लंदन के एक पब में राजकुमार राव के आर्म रेस्लिंग मैच से होती है। इसके बाद खुलासा होता है उसके भयावह इरादों का जब वो तीन ब्रिटिश ट्रैवलर्स और एक अमेरिकन महिला से चिकनी-चुपड़ी बातें करते दिखाया जाता है। वो उन्हें नई दिल्ली में बंधक बना कर 10 आतंकवादियों को छोड़ने की मांग करता है। जो कि कश्मीर की आजादी के लिए लड़ते हुए पकड़े गए थे।
उसका ये मिशन धवस्त हो जाता बै और ओमर को तिहाड़ जेल में बंद कर दिया जाता है। जहां उसे भयानक टॉर्चर दिया जाता है लेकिन ये टॉर्चर उसे और भी खतरनाक बना देता है।
जल्द ही उसे हाईजैक किए गए इंडियन एयरलाइंस फ्लाइट 814 में फसें यात्रियों के बदले रिहा कर दिया जाता है। इसे ओमर अपनी जीत मान लेता है और इसके बाद कई और आतंकी गतिविधियों की तैयारी शुरू कर देता है। इसी बीच फिल्म में कई बार फ्लैशबैक में ओमर की कहानी दिखाई जाती है। किस तरह एक अच्छा और पढ़ा लिखा लड़का जो 1992 के बोस्नियाई हमले को लेकर मजबूत राय रखता है, वो लड़का किस तरह इस्लामी कट्टरपंथी के चंगुल में फंस जाता और ये कट्टरपंथी किस तरह उसे बहला फुसला कर जेहाद के रास्ते पर ले जाते हैं।
जैसे-जैसे साल गुजरते हैं, ओमर अपने कारनामों और दिमाग की वजह से रैंक में सबसे ऊपर आता जाता है, इसके साथ ही वो कराची का लीडर बन जाता है। और तो और उसे सरकार की तरफ से ट्रॉफी में बीवी भी मिलती है जिससे वो शादी कर लेता है। इसके बाद ओमर का सबसे कुख्यात कारनामा दिखाया जाता है, जब वो अमेरिकन जर्नलिस्ट डेनियल पर्ल का अपरहरण कर बेरहमी से मर्डर कर देता है। इस हत्या के बाद उसे कराची जेल में मौत की सजा सुनाई जाती है।
ओमेर्टा में आत्मनिरीक्षण के पलों की कमी है, जिसकी वजह इसका ढ़ीला लेखन है। आपको कभी पता नहीं चलेगा कि ओमर के दिमाग में क्या चल रहा है, जब वो अपनी परेशानियों को कम करने के लिए जेहाद का रास्ता चुनता है या उसकी निजी जिंदगी में क्या चल रहा होता है। आपको सिर्फ इतना पता होता है कि वो खतरनाक अपराधी है जो धर्म और न्याय के नाम पर खून का प्यासा है। वो ऐसा खतरनाक और पागल अपराधी किस तरह बना?
फिल्म ऐसे कई सवालों के जवाब नहीं दे पाती। वहीं फिल्म में ओमर की पिता से बातचीत भी एकआयामी दिखाई जाती है। हंसल मेहता फैक्ट्स को दिखाए बिना नई फुटेज का शानदार इस्तेमाल करते हैं। जिसके चलते ये फिल्म दस्तावेज नाटक मालूम होती है।
ओमेर्टा पूरी तरह से राजकुमार राव की फिल्म है। ठंडे खून वाले पागल आतंकवादी के किरदार में राजकुमार राव इतने शानदार लगे हैं कि शुरू से आखिर तक, हर एक सीन में वो ऑडिएंस को स्क्रीन से चिपकाए रखते हैं। ये फिल्म उनकी एक और बेहतरीन परफॉर्मेंस है। चाहे वो विदेशी टूरिस्ट से दोस्ती कर उन्हें धोखा देना हो या डेनियल की बेरहमी से हत्या और अपने चश्मे से खून साफ करने वाला सीन हर एक सीन में राजकुमार राव ने रूह कंपा देने वाली परफॉर्मेंस दी है।
मारे गए पत्रकार डेनियल पर्ल के किरदार में टिमोथी रयान हिकर्नेल ने भी बेहतरीन काम किया है।
इशान छाबड़ा ने भी फिल्म के लिए शानदार काम किया है। अनुज राकेश धवन की गैर रेखीय एडिटिंग कुछ लोगों को कम पसंद आ सकती है।
पूरी फिल्म की बात करें तो ओमेर्टा वास्तव में एक बाहादुरी भरा प्रयास है, जो किसी कड़वी दवाई को चाश्नी में लपेट कर नहीं दिखाता। हालांकि, इसका प्रभाव थकाऊ नैरेटिव की वजह से कुछ कम हो जाता है। इस फिल्म में सब्जेक्ट को बिना नाटकीय बनाए दिखाना हर किसी को पसंद नहीं आएगा। आखिर में हम तो यही कहेंगे कि राजकुमार राव की शानदार परफॉर्मेंस के लिए फिल्म देखने जरूर जाएं।
फिल्म से आखिर में, आपको आतंकी के किरदार में राजकुमार राव के चेहरे पर एक ठंडी मुस्कुराहट नजर आएगी, जब वो पाकिस्तानी प्राधिकारी के द्वारा पकड़ लिया जाता है। ओमर का ये लुक आपको डर कर छोड़ जाएगा। हमारी तरफ से इस फिल्म को तीन स्टार्स!
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