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    मतलबी दुनिया के शार्गिद

    By Priya Srivastava
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    Shagrid
    फिल्म: शार्गिद
    कलाकार: नाना पाटेकर, मोहित अहलवात, रिमी सेन
    निर्देशक: तिग्मांशु धुलिया
    रेटिंग: 2.5

    तिग्मांशु एक अलग तरह की कहानी कहने के लिए हमेशा से जाने जाते रहे हैं। उन्हें प्रयोगात्मक सिनेमाई निर्देशकों की श्रेणी में रखा जाता है। जाहिर है जब किसी फिल्म का निर्देशक विषयपरक व अलग सोच वाला माना जाता हो तो उसकी रचना के बारे में भी यही उम्मीद की जाती है कि फिल्म स्तरीय हो, लेकिन शार्गिद देखने के बाद वे सारी उम्मीदें धूमिल नजर आती हैं।

    फिल्म में नाना पाटेकर जैसे कलाकार होने के बावजूद फिल्म कोई खास प्रभाव नहीं छोड़ पाती। हालांकि फिल्म की कहानी भ्रष्टाचार के मुद्दे को अलग रूप से प्रस्तुत करने की कामयाब कोशिश जरूर है।, लेकिन इसके बावजूद फिल्म दर्शकों को बांध पाने में सफल नजर नहीं आती। फिल्म में निर्देशक राजनीतिज्ञ और पुलिस तंत्र के भ्रष्टाचार की कहानी कहता है।

    कहानी पुरानी भ्रष्टाचार की फिल्मों की कहानी की तरह ही इस विषय पर आधारित है कि जब किसी व्यक्ति के हाथ में सत्ता आती है तो वह उसका राजनैतिक इस्तेमाल किस तरह अपने बुरे मंसूबों को कामयाब करने के लिए करता है। इस फिल्म में एक बार फिर से वर्दी के लोगों पर सवाल उठाये गये हैं। फिल्म की खास बात यह है कि इस फिल्म में कोई नायक नहीं, मतलब किसी न किसी रूप में हर व्यक्ति खलनायक ही है।

    सभी अपने मतलब के शार्गिद हैं। उन्हें पैसे व अपने आप से मतलब होता है। फिल्म में कुछ दूर तक पहुंचने पर भी आप गुत्थी समझने में असहज होते हैं। साथ ही फिल्म में किडनैपिंग, खून खराबा जैसे वारदातों को भी जबरन डालने की कोशिश की गयी है। हां, लेकिन इस बात को सहज स्वीकारना होगा कि फिल्म के कलाकारों ने बेहतरीन अभिनय का परिचय दिया है।

    नाना, अनुराग कश्यप व जाकिर हुसैन ने अपने किरदारों को बखूबी निभाया है। फिल्म की कहानी की सबसे कमजोर कड़ी है फिल्म में यूपी का टच होना। इन दिनों प्रायः हर फिल्में राजनीति पर आधारित होती हैं और वे उत्तर भारत की पृष्ठभूमि पर ही होती है। लगता है निर्देशक यह मान बैठे हैं कि भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा हिस्सा अब केवल उत्तर भारत में ही बसा है। जाकिर हुसैन का परफॉर्मेन्‍स भी शानदार रहा है। एक एक्टर के तौर पर निर्देशक अनुराग कश्यप ने भी सधी हुई परफार्मेन्‍स दी है। मोहित अहलावत और रिमी सेन काम भी ठीक है।

    कहानी में नयेपन के रूप में सिर्फ एक बात नयी है कि इसमें नेता व पुलिस सभी को भ्रष्ट दिखाया गया है, इसमें कोई भी नायक की तरह उभर कर सामने नहीं आता जो जुर्म का खात्मा करता हो। फिल्म का संगीत पक्ष भी खास नहीं है। कुल मिला कर यह फिल्म उन लोगों के लिए खास होगी जो एक्शन के साथ थ्रीलर पसंद करते होंगे और राजनीति पर आधारित फिल्मों में दिलचस्पी रखते होंगे।

    English summary
    Nana Patkar's film Shagird has tried to give original picture of politics, corruption and police of India. This is just entertaining film, no matter it leave any impression on public.
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