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    ब्रेक के बाद: नई बोतल में पुरानी शराब

    By Jaya Nigam
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    निर्देशक - दानिश असलम

    स्क्रीनप्ले - रेनुका कुंजरू, दानिश असलम

    कलाकार - इमरान खान, दीपिका पादुकोण, शर्मिला टैगोर, शहाना गोस्वामी
    म्यूजिक - विशाल-शेखर
    सिनेमेटोग्राफी - आंद्रे

    समीक्षा - यंग जेनरेशन की सबसे बड़ी प्रॉब्लम है प्यार। लव आजकल हो या फिर जब वी मेट, यंग जेनरेशन को टारगेट करके अगर कोई फिल्म बन रही है तो उस में प्यार का हिस्सा 95% होता ही है। स्कूल हो या कॉलेज किसी से आई लव यू कहकर उसे अपना बनाना सबसे बड़ी चिंता होती है। लेकिन प्यार होने के बाद क्या, ज्यादातर जेनरेशन इसका जवाब देगी ब्रेकअप। क्योंकि प्यार के बाद शादी और परिवार बनाने से पहले आजकल एक और स्टेप जुड़ गया है और वह है ब्रेकअप। इसी विषय पर फिल्म बनी है ब्रेक के बाद

    ब्रेक के बाद नाजुक उम्र का कच्चे मगर सच्चे प्यार पर हावी करियर आकांक्षओं की कहानी है। ब्रेक के बाद उन किशोर जोड़ों की कहानी है जिन्हे 16-17 साल में प्यार हो जाता है लेकिन 23-24 की उम्र आते-आते जब जिंदगी की वास्तविकताओं से दो-चार होना पड़ता है तो ये प्यार कैसे-कैसे तूफानों में घिरता है, ये बताती है ब्रेक बाद की स्टोरी। ब्रेक के बाद की स्टोरी अभय (इमरान) और आलिया (दीपिका) के प्यार की कहानी है।

    15 साल की कच्ची उम्र में दोनों का अट्रैक्शन परवान चढ़ता है। अभय को तो उसी वक्त यह एहसास हो जाता है कि आलिया उसी के लिए बनी है। लेकिन आलिया इस एहसास से कोसों दूर खड़ी पूरी दुनिया में छा जाने के सपने देख रही है। आलिया का सिर्फ एक सपना है, उसे ऐक्ट्रेस बनना है। अभय को ये तो पता है आलिया उस के लिए बनी है लेकिन उसे अपनी लाइफ में क्या करना है, ये उसे नहीं पता।

    ऐसे में दोनों के बीच सिर्फ एक चीज कॉमन है बचपन की दोस्ती और आलिया के सपने। लेकिन फर्क ये है कि आलिया के लिए उसके सपने ही उसकी जिंदगी हैं जबकि अभय के लिए आलिया ही उसकी जिंदगी है। ऐसे में आलिया के सपनों का मैनेजर अभय कब बनता है उसे पता ही नहीं चलता। ये बात अभय को तब समझ में आती है जब आलिया तय करती है कि उसे आगे पढ़ने के लिए ऑस्ट्रेलिया जाना है। यहां पर अभय को ये समझ में आता है कि वह आलिया को खोने वाला है। अब दोनों अपने रिलेशन को एक ब्रेक देते हैं।

    यही फिल्म का टर्निंग प्वाइंट है जिसके बाद आलिया को समझ में आता है कि प्यार नहीं तो लाइफ जीने में सपने पूरे करने में कोई मजा नहीं और अभय अब आलिया के बाद अपनी जिंदगी का कोई दूसरा मुकाम पाता है। इस कहानी में ब्रेकअप की घटना बेहद अहम है लेकिन ब्रेकअप के लिए दिया गया तर्क और कारण गले से नहीं उतरता।

    दीपिका-इमरान की एक्टिंग बढ़िया है। दीपिका लाउड कैरेक्टर्स में ज्यादा सूट करती है। शायद ये उनकी एक्स्ट्रोवर्ट पर्सनैलिटी का असर है। स्टोरी का कांसेप्ट बढ़िया है लेकिन ट्रीटमेंट बोर करता है। फिल्म प्रश्न तो उठाती है लेकिन जवाब सतही ढंग से देती है। यही वजह है कि फिल्म को सिर्फ दीपिका-इमरान के कूल पेयर और उत्साही एक्टिंग की वजह से देखा जाना चाहिए। लेकिन फिल्म कुछ नया करेगी इसकी आशा रखना बेकार है। फिल्म का म्यूजिक एवरेज से भी कम है। सिनेमेटोग्राफी बढ़िया है। फिल्म को एक वाक्य में नई बोतल में पुरानी शराब कहा जा सकता है।

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