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    समीक्षा: ठंडा 'आक्रोश'

    By अंकुर शर्मा
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    aakrosh
    प्रोड्यूसर:कुमार मंगत
    डायरेक्टर:प्रियदर्शन
    कलाकार:अजय देवगन,अक्षय खन्ना,बिपाशा बासु,परेश रावल,रीमा सेन
    रेटिंग:2/5

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    समीक्षा : मसला ऑनर किलिंग का हो और निर्देशक प्रियदर्शन जैसे दिग्गज हों तो फिल्म से उम्मीदें काफी बढ़ जाती हैं, लेकिन फिल्म आक्रोश आपको सिवाय निराश करने के और कुछ नहीं करेगी। लगता ही नहीं ये फिल्म प्रियदर्शन ने निर्देशित की है। फिल्म शुरू कहां से हो रही है और खत्म कहां पर होती है,
    कुछ समझ में नहीं आता है, पूरी फिल्म में बेहद भटकाव है, फिल्म की गति भी बेहद धीमी है, और ऑनर किलिंग जैसा संगीन मु्द्दा भी सिर्फ और सिर्फ मजाक बन कर रह गया है।

    फिल्म हॉलीवुड फिल्म 'मिसिसिपी बर्निग" से प्रेरित हैं, जहां तक फिल्म में नकल हैं , वहां तक फिल्म अच्छी है, और जहां प्रियदर्शन ने अपना दिमाग लगाया वहां वो बोरिंग हो गई हैं। कहा जा सकता है कि निर्देशक के रूप में प्रियदर्शन की आक्रोश फेल है, रही बात अभिनय की तो अजय देवगन जैसे महारथि ने एक बार फिर से साबित कर दिया है कि वो ग्रेट हैं, उनके सटे हुए अभिनय ने ही फिल्म में थोड़ी सी गुजाईंश रखी है, वरना फिल्म में ऐसा कुछ भी नहीं जो याद रखा जाये।

    बिपाशा बसु ने फिल्म में अपने आप को साबित करने की कोशिश तो की है लेकिन फिल्म में उनके लिए ज्यादा कुछ करने के लिए नहीं है । अक्षय खन्ना ने कोई कमाल नहीं किया है। प्रीतम का संगीत भी औसत से कमतर है। फिल्म के डायलॉग्स अच्छे हैं मगर एडिटिंग और अच्छी हो सकती थी। वहीँ रीमा सेन छोटे मगर प्रभावशाली रोल में नज़र आई हैं। कुल मिलाकर कहा जा सकता है प्रियदर्शन का 'आक्रोश' बेहद ठंडा है।

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    कहानी : फिल्म में नीची जाति का एक लड़का अपने दो दोस्तों के साथ बिहार में झांजर नामक एक गाँव में रामलीला देखने जाता है। दिल्ली विश्व विद्यालय के ये तीनों छात्र उस गाँव से लापता हो जाते हैं। तीन महीने गुजरने के बाद भी उन तीनों के बारे में कोई सुराग हाथ नहीं लगता। सरकार पर दबाव बनता है तो जांच सीबीआई को सौंपी जाती है। सीबीआई अफसर सिद्धांत चतुर्वेदी (अक्षय खन्ना) और प्रताप कुमार (अजय देवगन) को यह जिम्मेदारी सौंपी जाती है कि वे मामले की तहकीकात करे। प्रताप बिहार का ही निवासी है और अच्छी तरह जानता है कि जातिवाद की जड़े झांजर जैसे गाँव में कितनी गहरी हैं। प्रताप अपने आकर्षक व्यक्तित्व और चतुराई से मामले की जाँच करता है जबकि सिद्धांत कॉपीबुक तरीके से सीधे-सीधे काम करने में यकीन रखता है।

    अजातशत्रु(परेश रावल)एक भ्रष्ट पुलिस वाले की भूमिका में हैं जो झांझर में अपनी एक शूल सेना का मुखिया भी है जो समाज के ठेकेदार होने के नाते ऑनर किलिंग कर मासूम लोगों को मौत के घाट उतार देते हैं। सिद्धांत और प्रताप कैसे इस समस्या को सुलझा पाते हैं और इसमें गीता बनी बिपाशा बासु कैसे उनकी मदद करती हैं, फिल्म में यही दिखाया गया है, गीता पहले प्रताप(अजय देवगन)की प्रेमिका रह चुकी है मगर उसकी शादी जबरदस्ती अजातशत्रु से कर दी जाती है।

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