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बैंडिट क्वीन की लेखिका माला सेन का निधन
फिल्म पूरी तरह से माला की किताब डायरीज ऑफ फूलन देवी पर आधारित थे। उन्होंने कहा कि आप जानते हैं कि मैं फूलन देवी तक नहीं पहुंच सकता था। वह जेल में थीं और मैं इनसे एक बार भी नहीं मिल सकता था, क्योंकि मैं खुद को इनके सामने किसी और व्यक्ति के रूप में पेश नहीं कर सकता था। माला ऐसा कर सकती थीं।
शेखर ने कहा कि उन्होंने ही मेरी मदद की। वह खुद की पहचान को छुपा कर जेल में फूलन से मिली और वह फूलन के दिल दिमाग और आत्मा को समझने की कोशिश करने लगी। शेखर ने कहा कि उनके निधन से वह आहत हैं और अगर वह ना होतीं तो यह फिल्म नहीं बन सकती थी। उन्होंने कहा कि मेरी समझ पूरी तरह से माला की समझ पर निर्भर था। मैं पूरी तरह से माला की दृष्टि के अनुसार तल रहा था।
शेखर ने कहा, "मैंने माला के फूलन के प्रति दृष्टिकोण से बहुत कुछ लिया। यह कुछ ऐसा ही था। जैसे दो महिलाएं दर्द और सहानुभूति में एक दूसरे से बंधी हों।" शेखर ने कहा कि यह अकेली ऐसी फिल्म थी जिसे मैंने बिना व्यवसायिक दबाव के बनाया। मैंने फूलन देवी के जीवन को परदे पर इसी तरह उतारा जैसा कि उतारना चाहता था। मैंने जिस फूलन देवी को जाना। वह माला की वजह से ही संभव हो सका था। इसलिए मैं माला को कभी भूल नहीं पाऊंगा।
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