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    मुहब्बत के बादशाह थे 'देव साहब'

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    Dev Anand
    बॉलीवुड के रोमाटिंक हीरो देवानंद अपने रीयल लाईफ में भी बहुत रोमांस प्रिय थे। उन्होंने इस बात जिक्र खुद अपनी जीवनी 'रोमांसिंग विद लाइफ' में लिखी है। जिंदगी को प्यार की इबादत मानने वाले देव साहब को रोमांस का बादशाह कहा जाता है। ऊपर वाले ने उन्हें सुंदर कद-काठी के अलावा नायाब सीरत भी बक्शी थी जिसके चलते लड़कियों का दिल उन पर आ ही जाता था। लेकिन देव साहब को भाया वो चेहरा जो फिल्म जीवन का सबसे महंगा और खूबसूरत था।

    देवानंद को अपने जीवन में पहली बार मुहब्बत का एहसास बीते जमाने की सुंदर अभिनेत्री सुरैया ने करवाया था। फिल्म 'किनारे-किनारे' की शूटिंग के दौरान दोनों की आंखे चार हुई थी। और वहीं से यह मुहब्बत परवान चढ़ी थी लेकिन हर बार की तरह इस प्यार की राह आसान नहीं थी। सुरैया मुस्लिम थीं सो इस मुहब्बत में मजहब आड़े आ गया।

    उनकी नानी ने देव साहब को अपनाने से इंकार कर दिया। सुरैया में इतनी ताकत नहीं थी कि वो अपने प्यार के आगे अपने घर को छोड़ सके। जिसका नतीजा ये हुआ कि उन्होंने देवानंद को मना कर दिया। देव साहब उस समय चोटिल तो बहुत हुए लेकिन जिंदगी में कभी भी कोई अफसोस ना करने वाले देवानंद ने सुरैया को छोड़कर जिंदगी में आगे बढ़ने का फैसला कर लिया और वो काफी आगे भी निकल गये। लेकिन सुरैया को फिर कोई चेहरा नहीं भाया। उन्होंने फिल्में छोड़ दी और अपने आप को घर में कैद कर लिया और वो उसी दिन लोगों के सामने आयीं जिस दिन उन्होंने जिंदगी छोड़ दी थी।

    दिल के दर्द के साथ देवानंद आगे तो बढ़ गये लेकिन उनके जीवन में सूनापन था जिसे दूर किया अभिनेत्री कल्पना कार्तिंक ने। कल्पना के साथ देवानंद ने कई कामयाब फिल्में की। मिस शिमला के नाम से विख्यात कल्पना कार्तिक जरूरत से ज्यादा हसीन और थी। कल्पना, देवानंद के बड़े भाई चेतन की पहली पत्नी की बहन थी।

    कल्पना को देव साहब भा गये थे और देवानंद को भी लगा कि कल्पना कार्तिक ही वो महिला हैं जो उनके जीवन में बहार पैदा कर सकती है। इसलिए उन्होंने कोई गलती ना करते हुए बिना देरी के कल्पना के मांग में सिंदूर भर दिया। और एक प्रेम का रिश्ता शादी में तब्दील हो गया जो कि जीवन की अंतिम सांसो तक बरकरार रहा। देवानंद को इस रिश्ते से प्यारे-प्यारे दो बच्चे नसीब हुए जिन्होंने उनकी जिंदगी में ऐसे रंग भरे जिसके आगे को किसी और चीज की चाहत नहीं रही।

    लेकिन दिल से जवां देव साहब को उम्र के उस पड़ाव पर तीसरी बार मुहब्बत हुई जिस समय उनके बेटे की उम्र 12 साल थी। फिल्म 'हरे रामा हरे कृष्णा' में साथ काम करते करते देव साहब को जीनत अमान का हुस्न भा गया। फिल्म ने सारे रिकार्ड तोड़े लेकिन जीनत ने देव साहब के दिल में जगह बना ली।

    लेकिन इस बार भी उनकी मुहब्बत परवान नहीं चढ़ पायी क्योंकि जिस दिन उन्होंने अपना हाल ए दिल जीनत से इजहार किया उन्हें ना का जवाब मिल गया क्योंकि जीनत की जिंदगी में किसी और ने जगह बना ली थी। लेकिन उन्होंने अपने इस रिश्ते को दोस्ती के रिश्ते में तब्दील कर लिया जिसका नतीजा यह हुआ कि इस जोड़ी ने कई कामयाब और यादगार फिल्में बॉलीवुड को दीं। जिन्हें लोग आज भी बड़े चाव से देखते हैं।

    जिंदगी को बहुत ही खुशनुमा ढंग से जीने वाले देव साहब भले ही आज हमारे बीच में नहीं है लेकिन अपनी फिल्मों के जरिये वो हमेशा लोगों के दिलों में धड़कते रहेंगे। प्यार और ऊर्जा की इस नायाब तस्वीर को हर भारतवासी दिल से सलाम करता है और कहता है कि ये दिल ना होता दीवाना...कदम ना होते आवारा..।

    English summary
    Three Women in Dev Anand's Life. First yesteryears' singing sensation Suraiya, later rechristened Kalpana Kartik, to his discovery -- the bold, the beautiful Zeenat Aman. Bollywood's forever young charming lover boy and the real Devdas of Hindi cinema, Dev Anand had many pretty faces in his life.
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