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    'अफगान गर्ल्स कैन किक' ने जीता दर्शकों का दिल

    By Neha Nautiyal
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    Afghan girls can cick
    ढाका में तीन दिन चले दक्षिणी एशियाई डाक्यूमेंट्री फिल्म महोत्सव में मानवाधिकारों पर जोर दिया गया। अफगानिस्तान में लड़कियों के फुटबाल खेलने पर आधारित फिल्म 'अफगान गर्ल्स कैन किक' ने सिने प्रेमियों को ताली बजाने पर मजबूर कर दिया। समारोह का समापन शनिवार को हुआ। प्रसिद्ध ईरानी निर्देशख बाहारी हुसैन की यह फिल्म इस समारोह का हिस्सा बनी।

    दक्षिणी एशियाई डाक्यूमेंट्री फिल्म महोत्सव में मानवाधिकारों पर जोर

    बांग्लादेश के मानवाधिकार संगठन 'मनुशेर जोन्नो' के कार्यकर्ता शाहीन अनाम ने कहा कि मानवाधिकारों को बढ़ावा देने और दक्षिण एशियाई देशों के बीच सांस्कृतिक गतिविधियों के आदान-प्रदान के लिए 'ट्रैवेलिंग फिल्म साउथ एशिया 2010 ढाका' का आयोजन किया गया। भारतीय फिल्में 'द साल्ट स्टोरीज' और 'सामान' अंतिम दिन दिखाई गई। श्रीलंका के कैरोल साल्टर द्वारा निर्देशित फिल्म 'मयोमी' और नेपाल की फिल्म 'इन सर्च ऑफ रियाल' भी इस महोत्सव में आकर्षण का केंद्र रहीं।

    समारोह का उद्घाटन गुरुवार को शाहीन अनाम ने किया था। प्रसिद्ध बांग्लादेशी फिल्म निर्माता तारिक मसूद और मोर्शेदुल इस्लाम ने भी इसमें शिरकत की। मसूद ने कहा, "हमारे देश में डाक्यूमेंट्री फिल्मों की अनदेखी की जाती है। यही कारण है कि कोई डाक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता को संरक्षण नहीं देता लेकिन मेरा विश्वास है कि फिल्मों के अन्य माध्यमों की तुलना में डाक्यूमेंट्री फिल्में वास्तविकता को ज्यादा करीब से सामने रखती हैं।"

    इस समारोह में दिखाई गईं 12 डाक्यूमेंट्री हर वर्ष नेपाल में आयोजित होने वाले दक्षिण एशियाई वृत्त चित्र समारोह से चुनी गईं थी। नेपाली फिल्मों 'चिल्ड्रन ऑफ गॉड' औऱ 'वे ऑफ द रोड' को भी काफी सराहा गया।

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