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    अभिशापों के असर को बताती है 'शापित'

    By Neha Nautiyal
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    Shaapit
    राज' और '1920' जैसी फिल्मों में आत्माओं की पूरी न हो सकी इच्छाओं को पर्दे पर उतारने के बाद निर्देशक विक्रम भट्ट अपनी तीसरी डरावनी फिल्म 'शापित' लेकर आ रहे हैं। शुक्रवार को प्रदर्शित हो रही यह फिल्म बताती है कि अभिशापों का असर किस तरह से पीढ़ियों तक रहता है।

    भट्ट और मनमोहन सिंह के सह-निर्माण में बनी फिल्म 'शापित' गायक उदित नारायण के बेटे आदित्य नारायण की पहली फिल्म है। फिल्म में नवोदित अभिनेत्री श्वेता अग्रवाल और मॉडल से अभिनेता बने राहुल देव ने भी अभिनय किया है। भट्ट का कहना है, "भारतीय कहानियों और पौराणिक कथाओं में अभिशाप की एक महत्वपूर्ण भूमिका रही है, पर मुझे नहीं लगता कि इस विषय पर अब तक कोई फिल्म बनी है। इसलिए मुझे अभिशाप और किसी व्यक्ति की जिंदगी पर पड़े इसके असर पर फिल्म बनाना बहुत रोचक लगा।"

    उन्होंने कहा, "मैंने इसके लिए शोध किया जिससे बहुत महत्वपूर्ण तथ्य निकलकर आया। इस तथ्या से पता चलता है कि एक अभिशाप किस तरह से काम करता है। जिस व्यक्ति को अभिशाप दिया जाता है और जो व्यक्ति अभिशाप देता है उन दोनों के जीवित न रहने पर भी शापित व्यक्ति के परिवार पर पीढ़ियों तक इसका असर रहता है।"

    फिल्म 'शापित' अमन और काया के इर्द-गिर्द घूमती है। अमन काया के सामने विवाह का प्रस्ताव रखता है लेकिन काया के परिवार पर एक अभिशाप होता है जिसके चलते शादी के बाद दोनों पर विपत्तियां आने लगती हैं। आदित्य नारायण ने फिल्म के चार गीतों में अपनी आवाज दी है।

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