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सरबजीत की बहन दलबीर कौर को मुखाग्नि देते इमोशनल हुए रणदीप हुडा, पूरा किया सरबजीत की बहन को किया वादा
रणदीप हुडा ने जब सरबजीत का किरदार निभाया था तो उन्होंने सरबजीत की बहन दलबीर कौर को एक वादा किया था। रणदीप हुडा उस वादे को पूरा करते हुए काफी इमोशनल दिखाई दिए। सरबजीत की बहन दलबीर कौर का शनिवार की रात, 67 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने अपने सीने में तेज़ दर्द की शिकायत की जिसके बाद अस्पताल पहुंचने से पहले ही उन्होंने शरीर छोड़ दिया।
रणदीप
हुडा
ने
सरबजीत
की
बहन
दलबीर
कौर
से
वादा
किया
था
कि
उनके
अंतिम
संस्कार
की
रस्म
वो
ही
पूरी
करेंगे
और
अपना
वादा
पूरा
करते
हुए
रणदीप
हुडा
ने
ही
दलबीर
कौर
को
मुखाग्नि
दी।
उनके
निधन
पर
रणदीप
हुडा
ने
एक
भावुक
पोस्ट
भी
शेयर
किया।
जब
ये
फिल्म
बन
रही
थी
उसी
दौरान
एक
इंटरव्यू
में
दलबीर
कौर
ने
कहा
था
कि
अगर
रणदीप
हुडा
उन्हें
मुखाग्नि
देंगे
तो
उन्हें
ऐसा
लगेगा
कि
उनके
भाई
सरबजीत
ने
उन्हें
दुनिया
से
विदा
किया
है
और
यही
सोच
के
उनकी
आत्मा
को
शांति
मिल
जाएगी।
इस
वादे
का
मान
रखते
हुए
रणदीप
हुडा,
दलबीर
कौर
के
अंतिम
संस्कार
पर
सारी
रस्में
करते
दिखे।
इस
दौरान
रणदीप
काफी
भावुक
थे
और
फैन्स
उन्हें
देख
काफी
इमोशनल
हो
गए।

कौन था सरबजीत?
सरबजीत का केस एक ऐसा मुद्दा था जो साल 1990 से लेकर 2013 तक काफी चर्चा में रहा। सरबजीत, पंजाब - पाकिस्तान के बॉर्डर पर रहने वाला एक पंजाबी युवक था जो एक रात गलती से शराब के नशे में बॉर्डर के उस पार पहुंच गया। इसके बाद पाकिस्तानी बॉर्डर पुलिस ने उसे हिंदुस्तानी जासूस समझकर गिरफ्तार किया और जेल में डाल दिया गया। पाकिस्तान ये मानने को तैयार ही नहीं थी कि सरबजीत ने गलती से बॉर्डर क्रॉस किया है और उसने पाकिस्तान की जेल में सालों रहने के बाद दम तोड़ दिया।

तरणतारण गांव का रहने वाला नौजवान
सरबजीत सिंह का गांव भीखीविंद से पाकिस्तान का बॉर्ड महज 13 किमी दूर है और उस समय कई बार भारत और पाकिस्तान के नागरिक भूले भटके सीमा पार कर जाते थे और कई बार उन्हें उसी समय छोड़ भी दिया जाता था और आज भी भारत और बांग्लादेश के बॉर्डर पर ये आम बात है। लेकिन उस दिन ऐसा नहीं हुआ। सीमा पर तैनात एक कर्नल ने सरबजीत सिंह को रॉ एजेंट मानकर केस चलाया गया।

सरबजीत को बना दिया गया मंजीत
पाकिस्तान की न्यायपालिका भी भारत की तरह ही है लेकिन वहां आर्मी सियासी दखल दे सकती है। सरबजीत सिंह के मामले में कई फर्जीवाड़े भी किए गए जैसे उनके पासपोर्ट पर उनका नाम खुशी मोहम्मद था और तस्वीर उनकी ही थी और पाक उन्हें मंजीत सिंह कहता था जो असल में धमाकों का आरोपी था। सरबजीत सिंह को मंजीत सिंह बनाया गया। काफी समय तक पाक मीडिया भी उन्हें मंजीत सिंह कहती थी। न्यूज रिर्पोट्स की माने तो असल मंजीत सिंह उस समय भारत-पाकिस्तान नहीं बल्कि तीसरे देश में था।

बहन दलबीर न्याय के लिए लड़ीं
2005 में एक वीडियो जारी किया गया जिसमें ये कहा गया कि सरबजीत सिंह ने अपना जुर्म कबूल कर लिया है लेकिन बाद में पता चला कि दबाब डालकर उनसे जुर्म कबुल करवाया गया। 2008 में आखिरकार फिर फांसी की तारीख तय की गई। भारत के तमाम कूटनीतिक प्रयास के बाद फांसी को रोका गया। इसकी कोशिश की थी सरबजीत की बहन दलबीर कौर ने। दलबीर, अपने भाई को न्याय दिलाने के लिए ज़िंदगी भर लड़ती रहीं। उन्होंने अपना सारा समय केवल सरबजीत को वापस लाने की कोशिश में लगा दिया।

दलबीर कौर ने एक कर दिया था ज़मीन आसमान
सरबजीत की ज़िंदगी पर एक फिल्म बनाई गई सरबजीत जिसमें ऐश्वर्या राय बच्चन ने सरबजीत की बहन दलबीर कौर का किरदार निभाया वहीं रणदीप हुडा ने सरबजीत का। सरबजीत सिंह की बहन दलबीर कौर ने भाई वापस लाने के लिए ज़मीन आसमान एक कर दिया। वो भगवान भरोसे बैठने पर नहीं बल्कि खुद कोशिश करने में विश्वास करती थी। आपको शायद पता नहीं हो लेकिन 1990 में जब नरसिम्हा राव ने उनसे फोन पर बात की तो वो तभी फोन रखी जब पीएम उनसे सीधे मिलने के लिए राजी हुए। 23 सालों में वो खुद पर्सनली 170 से भी ज्यादा भारत -पाक के नेताओं से मिलीं।

पंजाब की शेरनी दलबीर कौर
2008 में दलबीर कौर ने अपने दम पर इतने दमदार तरीके से सरकार तक बात पहुंचाई की 2008 में सरबजीत सिंह की फांसी रोकनी पड़ा।तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने खुद मामले में हस्तक्षेप किया। दलबीर कौर के बारे में संसद में भी कहा गया कि वो पंजाबी शेरनी हैं तो उनके जज़्बे की तारीफ पाकिस्तान तक में की गई। अपने वकील को लिखे एक चिट्ठी में सरबजीत ने अपना दर्द लिखा कि उन्हें जेल में बुरी तरह प्रताड़ित किया जाता है। सभी उन्हें शक की निगाहों से देखते हैं और पाकिस्तान पुलिस भी उनके साथ जेल में बहुत ही अमानवीय सलूक करती है।

विवादास्पद थी मौत
2012 में यह खबरें भी आई थी की सरबजीत सिंह को रिहा किया जाएगा लेकिन बाद में पता चला कि पाकिस्तान सरकार सरबजीत सिंह नहीं सुरजीत सिंह को रिहा कर रही है। 26 अप्रैल 2013 को सरबजीत सिंह पर जेल में कुछ कैदियों ने लोहे की रॉड, ईंट, सलाखों से हमला किया जिसके बाद उन्हें जेल ले जाया गया और उनकी मौत हो गई लेकिन किसी को यकीन नहीं हुआ कि उनकी मौत हो गई। दबी ज़ुबान में यही माना गया कि उन्हें मार दिया गया। दलबीर कौर इस खबर से टूट गई थीं। सालों बाद उनका दुख छलका था सरबजीत फिल्म के प्रमोशन के दौरान जब उन्होंने रणदीप हुडा से उन्हें कंधा देने का वादा किया था। दलबीर कौर के निधन के बाद रणदीप हुडा ने इस वादे का मान रखा। ईश्वर दलबीर कौर की आत्मा को शांति दे।