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राजेश खन्ना, जिसे लडकियां खून से लिखती थी लव लेटर
उनकी फिल्मों के एक एक रोमांटिक डायलाग पर सिनेमाघरों के नीम अंधेरे में सीटियां ही सीटियां गूंजती थी। 69 वर्षीय बालीवुड के सुपर स्टार ने आज यहां बांद्रा स्थित अपने घर पर अंतिम सांस ली। राजेश खन्ना को ऐसे ही सुपर स्टार नहीं कहा जाता था। युवक और युवतियां उनके इस कदर दीवाने थे कि बाजारों में निकलने पर युवतियां पागलों की तरह उनकी कार को चूमती थी और कार पर लिपस्टिक के दाग ही दाग होते थे। युवतियां उन्हें अपने खून से लिखे खत भेजा करती थीं।
उनसे पहले के स्टार राज कपूर और दिलीप कुमार के लिए भी लोग पागल रहते थे लेकिन इस बात में कोई शक नहीं कि जो दीवानगी राजेश खन्ना के लिए थी, वैसी पहले या बाद में कभी नहीं दिखी।
29 दिसंबर 1942 को राजेश खन्ना का जन्म अमृतसर में हुआ था और उनकी परवरिश उनके दत्तक माता पिता ने की । उनका नाम पहले जतिन खन्ना था । स्कूली दिनों से ही राजेश खन्ना का झुकाव अभिनय की ओर हो गया था और इसी के चलते उन्होंने कई नाटकों में अभिनय भी किया। सपनों के पंख लगने की उम्र आयी तो जतिन ने फिल्मों की राह पकड़ने का फैसला किया।
यह दौर उनकी जिंदगी की नयी इबारत लिखकर लाया और उनके चाचा ने उनका नाम जतिन से बदल कर राजेश कर दिया। इस नाम ने न केवल उन्हें शोहरत दी बल्कि यह नाम हर युवक और युवती के ज़ेहन में अमर हो गया। 1965 में राजेश खन्ना ने यूनाइटेड प्रोड्यूर्स एंड फिल्मफेयर के प्रतिभा खोज अभियान में बाजी मारी और उसके बाद शोहरत और दौलत उनके कदम चूमती चली गयी। उनकी सबसे पहली फिल्म आखिरी खत थी जिसे चेतन आनंद ने निर्देशित किया था। उन्हें दूसरी फिल्म मिली राज़ । यह फिल्म भी प्रतियोगिता जीतने का ही पुरस्कार थी।
उस दौर में दिलीप कुमार और राज कपूर के अभिनय का डंका बजता था और किसी को अहसास भी नहीं था कि एक नया सितारा शोहरत के आसमान को कब्जाने के लिए बढ़ रहा है । राजेश खन्ना ने बहारों के सपने , औरत , डोली और इत्तेफाक जैसी शुरूआती सफल फिल्में दीं लेकिन 1969 में आयी आराधना ने बालीवुड में काका के दौर की शुरूआत कर दी।
आराधना में राजेश खन्ना और हुस्न परी शर्मिला टैगोर की जोड़ी ने सिल्वर स्क्रीन पर रोमांस और जज्बातों का वो गजब चित्रण किया कि लाखों युवतियों की रातों की नींद उड़ने लगी और काका प्रेम का नया प्रतीक बन गए। आराधना फिल्म से किशोर कुमार जैसे गायक को भी हिंदी फिल्म जगत में खुद को स्थापित करने का मौका मिला और अंतत: वह राजेश खन्ना के गीतों की स्थायी आवाज बन गए।
राजेश खन्ना की भावुक अदाकारी और किशोर की आवाज ने मिलकर सफलता के झंडे गाड़ दिए । अदाकारी और आवाज के इस मिलन ने बालीवुड को मेरे सपनों की रानी, रूप तेरा मस्ताना , कुछ तो लोग कहेंगे , जय जय शिवशंकर और जिंदगी कैसी है पहेली जैसे कालजयी गाने दिए।
आराधना और हाथी मेरे साथी राजेश खन्ना की ऐसी सुपरहिट फिल्में थीं जिन्होंने बॉक्स आफिस पर सफलता के सारे पुराने रिकार्ड तोड़ दिए । उन्होंने 163 फिल्मों में काम किया जिनमें से 106 फिल्मों को उन्होंने सिर्फ अपने दम पर सफलता प्रदान की । 22 फिल्में ऐसी थीं जिनमें उनके साथ उनकी टक्कर के अन्य नायक भी मौजूद थे।
राजेश खन्ना ने 1969 से 1972 के बीच लगातार 15 सुपरहिट फिल्में दीं । इस रिकार्ड को आज तक कोई नहीं तोड़ पाया है और इसी के बाद बालीवुड में सुपरस्टार का आगाज हुआ। उन्हें अपनी अदायगी के लिए तीन बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाजा गया और इस पुरस्कार के लिए उनका 14 बार नामांकन हुआ। वर्ष 2005 में उन्हें फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार प्रदान किया गया।
अपनी रोमांटिक छवि के बावजूद राजेश खन्ना ने विभिन्न प्रकार की भूमिकाएं अदा की जिनमें लाइलाज बीमारी से जूझता आनंद , बावर्ची का खानसामा , अमर प्रेम का अकेला पति और खामोशी का मानसिक रोगी की भूमिका शामिल थीबालीवुड का यह स्वर्णिम दौर था और राजेश खन्ना की अदाकारी के लिए यह सोने पर सुहागा साबित हुआ और उन्हें अपने समय के कला पारखियों के साथ काम करने का मौका मिला । फिर चाहे वे फिल्म निदेशक रहे हों या अभिनेत्रियां और संगीतकार । अमर प्रेम और आप की कसम जैसी कई फिल्मों में राजेश खन्ना की शर्मिला टैगोर और मुमताज के साथ कैमेस्ट्री ऐसी मैच कर गयी कि इन्होंने एक के बाद एक सफल फिल्में दीं।
राजेश खन्ना की प्रतिभा को शक्ति सामंत , यश चोपड़ा, मनमोहन देसाई , रिषिकेश मुखर्जी तथा रमेश सिप्पी ने और निखारा । आर डी बर्मन जैसी संगीतकार और किशोर के साथ राजेश खन्ना ने 30 से अधिक फिल्मों में काम किया। राजेश खन्ना की फिल्में 1976 ़ 78 के दौरान पहले सी सफलता हासिल नहीं कर पायीं । और 1978 के बाद उन्होंने फिर वही रात , दर्द , धनवान , अवतार और अगर तुम ना होते जैसी फिल्मों में अभिनय किया जो कमाई के लिहाज से सफल नहीं थीं लेकिन आलोचकों ने उन्हें जरूर सराहा।
लेकिन हर सितारा डूबता है और 80 के दशक के उत्तराद्र्ध में बाक्स आफिस पर उनका जादू खत्म हो गया । राजेश खन्ना 1992 से लेकर 1996 तक बतौर लोकसभा के सदस्य रहे। वह कांग्रेस के टिकट पर नयी दिल्ली सीट से जीते थे। राजेश खन्ना के व्यक्तित्व के जादू ने न केवल उनके प्रशंसकों को दीवाना बनाया बल्कि सुनहरे दिनों में तीन तीन बालीवुड अभिनेत्रियों पर भी उनका जादू चला।
70 के दशक में उनका अंजू महेन्द्रू के साथ लंबे समय तक प्रेम संबंध चला। बाद में उन्होंने अपने से 15 साल छोटी डिंपल कपाडि़या से 1973 में शादी कर ली जिनसे उनकी दो बेटियां ट्विंकल और रिंकी हैं। डिंपल कपाडि़या 1984 में राजेश खन्ना से अलग हो गयीं। हालांकि वे अलग अलग रहते रहे लेकिन कभी औपचारिक रूप से तलाक नहीं लिया। राजेश खन्ना का सौतन की अपनी नायिका टीना मुनीम से भी नाम जुड़ा।
इस जोड़ी ने फिफ्टी फिफ्टी, बेवफाई , सुराग , इंसाफ मैं करूंगा तथा अधिकार जैसी फिल्में दीं । जब वह सांसद थे तो उन्होंने अपना पूरा समय राजनीति को दिया और अभिनय की पेशकशों को ठुकरा दिया। उन्होंने वर्ष 2012 के आम चुनाव में भी पंजाब में कांग्रेस के लिए चुनाव प्रचार किया था। (भाषा)
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