twitter
    For Quick Alerts
    ALLOW NOTIFICATIONS  
    For Daily Alerts

    ऑस्कर में भी रहमान की 'जय हो'

    By Staff
    |
    ऑस्कर में भी रहमान की 'जय हो'

    बाफ़्टा अवार्ड्स जीतने के बाद अब वे 22 फ़रवरी का इंतज़ार कर रहे हैं, जब लॉस एंजेलेस में ऑस्कर की घोषणा की जाएगी.

    उनके दो गाने 'जय हो' और 'ओ साया' ऑस्कर की दौड़ में हैं.

    उनके कामयाबी के इस सफ़र पर बीबीसी के साथ बातचीत के महत्वपूर्ण अंश.

    स्लमडॉग मिलियनेयर की कामयाबी में शामिल होना कैसा लग रहा है?

    पिछले दो महीने बहुत ही अहम रहे हैं.

    मुंबई की त्रासदी और अपने बहुत ही करीबी साउंड इंजीनियर का खोना, दोनों घटनाएँ एक ही सप्ताह में घटीं.

    उसके बाद गोल्डन ग्लोब अवार्ड्स के नामंकन की घोषणा हुई और फिर अच्छी चीज़ें सामने आईं, जो मेरे लिए ख़ुशियाँ लाईं. ये एक ख़्वाब का पूरा होना था.

    ऑस्कर में जब आपके दो गानों को नामांकन मिला तो आपको कैसा लगा?

    निश्चित रूप से मेरे लिए ये एक तोहफ़ा था. मुझे बहुत कम उम्मीद थी.

    मैं सोच रहा था कि 'जय हो' को नामांकन मिल सकता है, लेकिन मेरे लिए यह महान क्षण रहा कि मेरे दो गाने को नामंकन मिला. हम लोग आश्चर्य में पड़ गए कि गोल्डन ग्लोब अवार्ड जीतने के बाद ब्रुस स्प्रिंगस्टीन की फ़िल्म 'द रेस्लर' के गाने को नामांकन नहीं मिला.

    'ओ साया' और 'जय हो' दोनों गाने फ़िल्म के दोनों छोर पर हैं. इन दोनों गानों के बारे में आप का क्या ख़्याल है?

    किसी पारंपरिक गाने के उलट, जो किसी ख़ास सीन में दब जाते हैं. डैनी चाहते थे कि फ़िल्म का हर गाना कुछ कहानी बयान करने वाला हो और फ़िल्म को निखारे.

    हम 'ओ साया' से फ़िल्म को शुरू करना चाहते थे, ताकि दर्शकों को बता सकें कि, ' आप ऐसे सफ़र की उम्मीद कर सकते हैं, आएं हमारे साथ इस सफ़र पर चलें.'

    'जय हो' एक नारा बन गया. यह आपने आप में चकित करने वाला है कि अमरीका में भी लोगों को इससे जोश मिलता है और ख़ुशियाँ मनाते हैं.

    लेकिन हर कोई स्लमडॉग के कामयाबी से खुश नहीं हैं. क्या नहीं लगता कि भारत में इस फ़िल्म के नाम को लेकर सवाल उठाए गए?

    एक-दो ऐसे मामले हैं, जो ये कह रहे हैं कि ये फ़िल्म देश में ग़रीबी को दिखाता है. लेकिन संयुक्त राष्ट्र की ग़रीबी के ख़िलाफ़ मुहिम में मेरा दूत होना मेरे लिए मददगार हो सकता है. मैं समझता हूँ कि ये फ़िल्म किसी नेता के मुक़ाबले अधिक प्रभावशाली ढंग से संदेश पहुँचाती है.

    मैं आशा करता हूँ कि यह फ़िल्म ग़रीबी उन्मूलन में एक साकारात्मक क़दम साबित होगा.

    मुंबई में दुनिया के सबसे अमीर और ग़रीब आदमी साथ-साथ रह रहे हैं, जो कि एक शर्मनाक बात है. यह स्वीकार करने लायक बात नहीं है.

    सुना है कि आपको बॉलीवुड शब्द पसंद नहीं है..

    मैं इस शब्द से नफ़रत करता हूँ. मैं समझता हूँ कि ये बनावटी है और ये भारत की पूरी फ़िल्म बिरादरी का प्रतिनिधित्व नहीं करता है.

    पूर्वी-पश्चिमी भारत में फ़िल्म इंडस्ट्री है, दक्षिण में चार फ़िल्म इंडस्ट्रियाँ हैं, ये सभी असाधारण फ़िल्में बनाते हैं. यह कहना ऐसा ही है जैसे पूरी पश्चिमी दुनिया को हॉलीवुड कहा जाए.

    तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
    Enable
    x
    Notification Settings X
    Time Settings
    Done
    Clear Notification X
    Do you want to clear all the notifications from your inbox?
    Settings X
    X