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    जिंदगी की कुश्‍ती हार गये 'हनुमान' दारा सिंह

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    आज सुबह सूरज निकला मगर हर जगह सिर्फ अंधेरा और शोक के साथ। देश ने आज एक अनमोल रत्‍न को खो दिया। जी हां आज सुबह 7:30 बजे बॉलीवुड के आयरनमैन और देश के गौरव दारा सिंह जिंदगी की कुश्‍ती हार गये। देश में हिम्‍मत का नाम बन चुके दारा सिंह की मौत से पूरा देश और बॉलीवुड गमगीन हो गया है। दारा सिंह ने अपनी अंतिम सांस अपने घर पर अपनों के बीच ली। आज शाम 5 बजे उनका अंतिम संस्‍कार किया जायेगा।

    Dara Singh

    रूस्‍तम ए हिंद की मौत पर बॉलीवुड के जानीमानी हस्‍तियों ने शोक जताया है। तो आईए हम भी दारा सिंह के अबतक के सफरनामे पर चर्चा करते हैं। दारा सिंह का पूरा नाम दारा सिंह रन्धावा था। उनका जन्‍म 19 नवम्बर 1928 को पंजाब प्रांत के अमृतसर के गाँव धरमूचक में श्रीमती बलवन्त कौर और श्री सूरत सिंह रन्धावा के यहां हुआ था। दारा सिंह अपने जमाने के विश्व प्रसिद्ध फ्रीस्टाइल पहलवान थे। उन्होंने 1959 में पूर्व विश्व चैम्पियन जार्ज गारडियान्को को पराजित करके कामनवेल्थ की विश्व चैम्पियनशिप जीती थी। बाद में वे अमरीका के विश्व चैम्पियन लाऊ थेज को पराजित कर फ्रीस्टाइल कुश्ती के विश्व चैम्पियन बन गये।

    1983 में उन्होंने अपराजेय पहलवान के रूप में कुश्ती से सन्यास लिया। 1960 के दशक में पूरे भारत में उनकी फ्री स्टाइल कुश्तियों का बोलबाला रहा। बाद में उन्होंने अपने समय की मशहूर अदाकारा मुमताज के साथ हिन्दी की स्टंट फ़िल्मों में प्रवेश किया और कई फिल्मों के अभिनेता निर्देशक एवं निर्माता भी रहे। उन्हें टीवी धारावाहिक रामायण में हनुमानजी के अभिनय से अपार लोकप्रियता मिली। वे भारतीय जनता पार्टी से राज्य सभा के सांसद भी रहे।

    कम आयु में ही घर वालों ने उनकी मर्जी के बिना उनसे आयु में बहुत बड़ी लड़की से शादी कर दी। माँ ने इस उद्देश्य से कि पट्ठा जल्दी जवान हो जाये उसे सौ बादाम की गिरियों को खाँड और मक्खन में कूटकर खिलाना व ऊपर से भैंस का दूध पिलाना शुरू कर दिया। नतीजा यह हुआ कि सत्रह साल की नाबालिग उम्र में ही दारा सिंह प्रद्युम्न नामक बेटे के बाप बन गये। दारा सिंह का एक छोटा भाई सरदारा सिंह भी था जिसे लोग रन्धावा के नाम से ही जानते थे। दारा सिंह और रन्धावा दोनों ने मिलकर पहलवानी करनी शुरू कर दी और धीरे-धीरे गाँव के दंगलों से लेकर शहरों तक में ताबड़तोड़ कुश्तियाँ जीतकर अपने गाँव का नाम रोशन किया।

    अखाड़े का विजय रथ

    1947 में दारा सिंह सिंगापुर आ गये। वहाँ रहते हुए उन्होंने भारतीय स्टाइल की कुश्ती में मलेशियाई चैम्पियन तरलोक सिंह को पराजित कर कुआला लंपुर में मलेशियाई कुश्ती चैम्पियनशिप जीती। उसके बाद उनका विजय रथ अन्य देशों की चल पड़ा और एक पेशेवर पहलवान के रूप में सभी देशों में अपनी धाक जमाकर वे 1952 में भारत लौट आये। भारत आकर सन 1954 में वे भारतीय कुश्ती चैम्पियन बने।

    उसके बाद उन्होंने कामनवेल्थ देशों का दौरा किया और विश्व चैम्पियन किंगकांग को परास्त कर दिया। बाद में उन्हें कनाडा और न्यूजीलैण्ड के पहलवानों से खुली चुनौती मिली। अन्ततः उन्होंने कलकत्ता में हुई कामनवेल्थ कुश्ती चैम्पियनशिप में कनाडा के चैम्पियन जार्ज गार्डियान्को एवं न्यूजीलैण्ड के जान डिसिल्वा को धूल चटाकर यह चैम्पियनशिप भी अपने नाम कर ली। यह 1959 की घटना है।

    दारा सिंह ने उन सभी देशों का एक-एक करके दौरा किया जहाँ फ्रीस्टाइल कुश्तियाँ लड़ी जाती थीं। आखिरकार अमरीका के विश्व चैम्पियन लाऊ थेज को 29 मई 1968 को पराजित कर फ्रीस्टाइल कुश्ती के विश्व चैम्पियन बन गये। 1983 में उन्होंने अपराजेय पहलवान के रूप में कुश्ती से सन्यास ले लिया। जिन दिनों दारा सिंह पहलवानी के क्षेत्र में अपार लोकप्रियता प्राप्त कर चुके थे उन्हीं दिनों उन्होंने अपनी पसन्द से दूसरा और असली विवाह सुरजीत कौर नाम की एक एमए पास लड़की से किया। आज दारा सिंह के भरे-पूरे परिवार में तीन बेटियाँ और दो बेटे हैं।

    English summary
    Former athlete, actor and famous Hanuman character in film industry Dara Singh passed away today Thursday morning. Here is the profile of Dara Singh.
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