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    वीकेंड के लिए अच्छी है चलो दिल्ली

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    Challo Dilli
    लाईफ को कूल बनाने का मैसेज देती है लारा की चलो दिल्ली। दिल्ली का सफर के जरिये निर्देशक ये बताने की कोशिश में है कि लाइफ को बहुत ज्यादा संजिदा होकर जीने की जरूरत नहीं है, या तो आप अपने हिसाब से जिंदगी को बदल लीजिये या फिर जिंदगी के हिसाब अपने आपको ढ़ाल लीजिये। क्योंकि शायद इसी की वजह से आपके जिंदगी के कड़वे पल हसीन बन जाते हैं।

    ये ही कहानी कहती है लारा की चलो दिल्ली। जिसमें दो विपरीत प्रवृत्ति के मानव आपस में मिलते हैं और फिर उन्हें एक ही सफर तय करना पड़ता है, जिसके चलते ना चाहते हुए भी वो दुश्मन बनते हुए दोस्त बन जाते हैं। लारा की एक्टिंग ठीक ठाक है, लेकिन ऊन पर भारी है विनय पाठक का देसी अंदाज। चलो दिल्ली यानी दिल्ली पहुचने तक की दास्तां कहती इस फिल्म में कई हैरत अंगेज और रोचक किस्से जुड़ते है, जो दर्शकों को हंसने पर मजबूर करते हैं।

    याना पर फिल्माया गया गीत लैला ओ लौला... लोगों को अपनी सीट से बांधे रखता है। गांवो और शहरों के बीच की असमानता को दर्शाती इस फिल्म में शशांत शाह का निर्देशन ठीक ठाक है। कहना प़डेगा कि अपने प्रथम प्रयास में लारा दत्ता ने बतौर निर्मात्री बॉलीवुड में सशक्त कदम रखा है। उम्मीद करते हैं आगे भी वे इसी तरह से फिल्मों का निर्माण करेंगी।

    English summary
    'Chalo Dilli' a refreshing film with a lot of heart . Once in a while you come away from a film with a lot more than you expected.
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