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#Countdown: केवल 2 हफ्ते....वरना ये सुपरस्टार फिल्म हो जाएगी डिब्बाबंद!!!
संजय दत्त अपनी फिल्म भूमि के साथ कमबैक करने को तैयार हैं। लेकिन अब उनकी कमबैक फिल्म पर तलवार लटक रही है। हालांकि संजय दत्त बैक 2 बैक फिल्में साइन कर रहे हैं। उनके फैन्स, उनके धमाकेदार कमबैक का इंतज़ार कर रहे हैं।
इन खुशियों पर अब ग्रहण लगने वाला है क्योंकि संजय दत्त के पुराने ज़ख्म फिर से हरे होने वाले हैं। दरअसल, संजय दत्त की 1983 बम्बई बम ब्लास्ट सिलिसिले में जेल की सज़ा जल्दी क्यों खत्म की, इसका कारण देने के लिए महाराष्ट्र सरकार के पास केवल 2 हफ्ते हैं।
एक याचिका में बम्बई हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से कारण मांगा है कि संजय दत्त की जेल की सज़ा क्यों कम हुई और किस अच्छे बर्ताव की वजह से उन्हें जेल से छुट्टी मिली। गौरतलब है कि संजय दत्त एक 'अच्छे इंसान' हैं और इसी बिनाह पर उन्हें जेल की सज़ा से 6 महीने की रिवायत दी गई थी।

दरअसल, एक नियम के अनुसार, जो कैदी जेल में अच्छा बर्ताव करता है उसे हर महीने करीब 7 दिन की छुट्टी मिल जाती है। कहीं अगर उसका बर्ताव साल भर काफी अच्छा रहा तो फिर उसे 30 दिन की छुट्टी मिल जाती है। और यही गणित लगाकर उनके पास करीब 6 महीने की छुट्टियां हो गईं जिसे उनके सज़ा की अवधि से काट लिया गया।
अब हाईकोर्ट ने इसी अच्छे बर्ताव पर रोशनी डालने को कहा है। वैसे संजय दत्त भले ही आज़ाद हो गए हैं लेकिन देश के 10 सवाल उन्हें आज भी शर्मिंदा करते हैं -
एक संजय और एक नीरजा
दिलचस्प है कि एक लड़की थी नीरजा, जिसकी कहानी हाल ही में लोगों ने देखी, 23 साल की उम्र में उसने लगभग 360 लोगों की जान बचाई थी और 33 साल की उम्र में संजय दत्त की एक नादानी बंबई को काला कर गई थीं...धमाकों के धुंए से! 257 लोगों की मौत के साथ!
इतने थे नादान
संजय दत्त ने 33 साल की उम्र में बंबई बम ब्लास्ट से ठीक पहले काफी बड़ा कांड किया। ध्यान दीजिएगा संजय दत्त की उम्र उस वक्त 33 साल थी, तो क्या वो इतने नादान थे कि उन्हें समझ नहीं आया कि ऐसे वक्त में एके 56 राइफल वो किससे खरीद रहे हैं!
असलहा से राइफल तक
संजय दत्त ने अपने बयान में कहा था कि जब वो राइफल खरीद रहे तो कुछ लोगों ने उन्हें हैंड ग्रेनेड भी दिखाए। और पूछा भी कि क्या वो बारूद के गोले खरीदेंगे। इतने के बाद भी संजय ने पुलिस को इत्तिला करना ज़रूरी क्यों नहीं समझा!
257 जान गईं
संजय दत्त ने एक डीटेल छिपाई जिसका असर 12 मार्च को पूरी बंबई ने देखा जब 13 सिलसिलेवार बम धमाकों में 257 लोगों को जान चली गई और करीब 750 लोग घायल हो गए।
क्यों नहीं किया कुबूल
जब संजय दत्त ने राइफल खरीदी थी और उन्हें पता चला कि वही लोग ब्लास्ट के दोषी हैं तो उन्होंने इस बात को कुबूल करने की बजाय चुप रहना बेहतर समझा। जबकि उनसे पूछा गया, तब भी!
कैसे दोस्त बनाए थे
संजय दत्त ने राइफल और उसके बाद एक गन अपने दोस्त से खरीदी थी। वो अबू सलेम से भी मिले। उन्होंने अपने घर के गराज में एक स्मगलिंग का आया माल भी रखवाया...किस तरह के लोगों से संजय दत्त की दोस्ती थी!
डर बड़ा था या फर्ज़
संजय दत्त को जब पता चला कि उनके 'दोस्तों' के पास इतनी भारी मात्रा में असलहे और बारूद है तो भी उन्होंने पुलिस को इत्तिला करना ज़रूरी नहीं समझा। जबकि बंबई पहले ही दंगों में सुलग रही थी। क्या डर एक 33 साल के आदमी के फर्ज़ से बड़ा था?
काम में कैसे लगे थे
इतना बड़ा कांड हो जाने के बाद, 257 लोगों की जान चली जाने के बाद संजय दत्त आराम से किसी आतिश नाम की फिल्म की शूटिंग कर रहे थे, मॉरीशस में! कैसे?
आज भी मुंबई के हीरो!
कहते हैं ना कि इस देश की जनता का दिल बहुत बड़ा है। तभी तो इतने कांड करने के बावजूद संजय दत्त इस देश के हीरो हैं। लोगों के हीरो हैं। मुंबई के हीरो हैं। उस मुंबई के जिसके 257 लोगों की जान उनकी एक 'नादानी' ने ली थी! क्या ये स्टारडम संजय दत्त को काटती नहीं!
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