twitter
    For Quick Alerts
    ALLOW NOTIFICATIONS  
    For Daily Alerts

    कश्मीर पर फ़िल्म टोरंटो फ़िल्म मेले में

    By Super
    |
    कश्मीर पर फ़िल्म टोरंटो फ़िल्म मेले में

    मोहसिन अब्बास

    टोरंटो, कनाडा से

    कनाडा के शहर टोरंटो में 35वें इंटरनेश्नल फ़िल्म फ़ेस्टिवल में पहली बार उर्दू भाषा में बनाई गई फ़िल्म 'हरुद' यानी पतझड़ पेश की गई.

    ये फ़िल्म भारत प्रशासित कश्मीर पर बनाई गई है. डेढ़ घंटे की इस फ़िल्म के तीन शो पेश किए गए. इस फ़िल्म के लेखक और निर्देशक 40 वर्षीय कश्मीरी अदाकार आमिर बशीर हैं.

    इस मेले में सात बॉलिवुड फ़िल्मों को पेश किया जा रहा है जबकि दुनिया भर के 59 देशों की कुल 339 फ़िल्में इस मेले में शामिल हैं. इस फ़िल्मी मेले में हॉलिवुड और बॉलिवुड के मश्हूर अदाकारों के अलावा दुनिया भर से लगभग 600 फ़िल्मी सितारे शामिल हो रहे हैं.

    भारत के मशहूर फ़िल्म अभिनेता आमिर ख़ान भी अपनी फ़िल्म 'धोबी घाट' के प्रदर्शन के लिए यहां पहुंचे हैं.

    आमिर बशीर बॉलीवुड फ़िल्मों में पिछले 13 वर्षों से अपने अभिनय के जौहर दिखा रहे हैं. लेकिन यह उनकी लिखी और निर्देश की हुई पहली फ़िल्म है.

    अभिनय से पहले आमिर बशीर एक पत्रकार के तौर पर एक टीवी चैनल के साथ काम कर रहे थे.

    इस फ़िल्म में मश्हूर ईरानी अदाकार रज़ा नाजी के अलावा शाहनवाज़ भट, शमीम बशारत और मुदस्सर ख़ान ने अभिनय किया है.

    रज़ा नाजी को सॉंग ऑफ़ स्पैरो यानी गौरय्ये के गीत में अदाकारी के लिए सिल्वर बियर पुरस्कार मिल चुका है.

    फ़िल्म की कहानी एक कश्मीरी ख़ानदान के गिर्द घूमती है जिसका बड़ा बेटा रहस्यमय ढंग से ग़ायब हो जाता है और फिर उसकी मां उसे तलाश करती फिरती है और छोटा भाई जिन हालात से गुज़रता है उसका चितरण हुआ है.

    फ़िल्म दर्शकों ने इस फ़िल्म के पहले शो में काफ़ी दिल्चस्पी ली और एक घंटे तक फ़िल्म निर्माता से प्रश्न करते रहे.

    पिछले बीस वर्षों में बहुत कम फ़िल्में कश्मीर पर बनी हैं और कुल मिलाकर इस विषय पर कोई पांच फ़िल्में नज़र आती हैं. हरुद की कहानी पारंपरिक हीरो और विलेन से थोड़ी अलग है.

    इस फ़िल्म को श्रीनगर और उसके आसपास के इलाक़ों में फ़िल्माया गया है.

    फ़िल्म के निर्देशक और लेखक आमिर बशीर ने बीबीसी से बात करते हुए कहा, "कश्मीर ख़बरों में इतना ज़्यादा रहता है लेकिन दुनिया इस समस्या पर ध्यान नहीं दे रही है."

    उनका कहना है, "अब तक 80 हज़ार से ज़्यादा लोग वहां मारे जा चुके हैं. ये एक ऐसा इलाक़ा है जो दुनिया को बर्बाद कर सकता है मगर आंतरराष्ट्रीय बिरादरी इस पर बिल्कुल ध्यान नहीं दे रही है."

    उन्होंने कहा, "मैंने इस फ़िल्म में कश्मीर की असली कहानी दिखाने की कोशिश की है ताकि लोग कश्मीर के बारे में बात तो करना शुरू करें."

    इस फ़िल्म को लंदन और हॉलैंड के फ़िल्मी मेलों में भी प्रदर्शन के लिए चुना गया है. इसे अक्तूबर में मुंबई फ़िल्म फ़ेस्टिवल में भी दिखाया जा रहा है.

    टोरंटो फ़िल्म फ़ेस्टिवल के डायरेक्टर कैमरन बेली ने इस फ़िल्म के बारे में कहा कि इस फ़िल्म में अदाकारों ने कश्मीरी ख़ानदान के हालात को अपनी आदाकारी के ज़रिए बहुत वास्तविक्ता के साथ पेश करके कश्मीर में जारी संघर्ष और उसके प्रभाव पर रौशनी डाली है.

    तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
    Enable
    x
    Notification Settings X
    Time Settings
    Done
    Clear Notification X
    Do you want to clear all the notifications from your inbox?
    Settings X
    X