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मशहूर रंगकर्मी हबीब तनवीर का निधन
आगरा बाज़ार और चरनदास चोर जैसे नाटकों के लिए मशहूर हबीब तनवीर ने भोपाल में अंतिम साँस ली.
पिछले एक महीने से हबीब तनवीर काफ़ी बीमार थे. बीच में उनकी तबीयत में सुधार हुआ था. लेकिन एक सप्ताह पहले अचानक उनकी तबीयत फिर बिगड़ गई.
उन्हें भोपाल के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया. वहाँ उन्हें जीवन रक्षक उपकरणों पर रखा गया था. लेकिन सोमवार तड़के उनका निधन हो गया.
एक सितंबर 1923 को रायपुर में जन्मे हबीब तनवीर को पद्म भूषण, पद्म श्री और संगीत नाटक अकादमी जैसे पुरस्कार मिले थे.
करियर
मशहूर नाटककार होने के साथ-साथ हबीब तनवीर निर्देशक, कवि और अभिनेता भी थे. हबीब तनवीर को कविता लिखने का शौक था और वर्ष 1945 में मुंबई पहुँचकर उन्होंने अपने शौक का भरपूर फ़ायदा उठाया.
हबीब तनवीर ने ऑल इंडिया रेडियो, मुंबई के लिए काम भी किया और साथ ही हिंदी फ़िल्मों के लिए गाने भी लिखे. कुछ फ़िल्मों में उन्हें अभिनय का भी मौक़ा मिला.
यहीं वे प्रगतिशील लेखक संघ से जुड़े और फिर भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) में भी शामिल हुए.
वर्ष 1954 में हबीब दिल्ली आ गए और हिंदुस्तान थियेटर से जुड़े और कई नाटक लखे. इसी साल उन्होंने अपने मशहूर नाटक आगरा बाज़ार का मंचन किया.
इसके बाद हबीब तनवीर ने मुड़ कर नहीं देखा. इंग्लैंड जाकर निर्देशन और अभिनय का प्रशिक्षण लिया. वहाँ से लौटकर उन्होंने भोपाल में नया थियेटर बनाया.
इस थियेटर के माध्यम से उन्होंने लोक कलाकारों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच प्रदान किया.