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    दिल तो बच्चा है जी: कॉमेडी के नाम पर धोखा

    By जया निगम
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    Dil To Bachcha Hai Ji
    कॉमेडी के नाम पर धोखा

    जिन दर्शकों ने मधुर भंडारकर की चांदनी बार, पेज थ्री, कॉरपोरेट जैसी फिल्में देखी हैं, वे भंडारकर की कॉमेडी फिल्म को लेकर रोमांचित जरूर होंगे। लेकिन ये रोमांच फिल्म के शुरुआत के दो-तीन सीन्स को देख कर ही खत्म हो जाता है। भंडारकर की कॉमेडी फिल्म दिल तो बच्चा है जी ना तो अपने नाम में ओरिजनल है और ना ही कहानी से लेकर ट्रीटमेंट तक उसमें कुछ नई बात नजर आती है। दिल तो बच्चा है जी को कॉमेडी के नाम पर बेचा जा रहा है लेकिन ये एक धोखा है।

    स्त्री सशक्तिकरण का पाठ

    फिल्म की कहानी असल में सेक्स और लड़की के लिए डेस्पेरेट लड़कों को स्त्री सशक्तिकरण का पाठ पढ़ाती है। लेकिन भंडारकार काफी समझदार हैं, उन्हे ये पता है कि लड़कों को ये पाठ किसी डाक्यूमेंट्री और गंभीर फिल्म के नाम पर नहीं पढ़ाया जा सकता। इसलिए उन्होने फिल्म को हल्के-फुल्के अंदाज में पेश किया है। कई जगह फिल्म के डायलॉग्स और विशेषकर मिलिंद केलकर यानी ओमी वैद्य की छोटी-छोटी आधुनिक कविताएं ही कॉमेडी पैदा कर पाते हैं।

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    बचकानापन हमेशा रहेगा जारी

    भंडारकर ये भी जानते हैं कि फिल्म देखने वाले ज्यादातर दर्शक उनकी फिल्म को कॉमेडी मान कर देखने आ रहे हैं, इसलिए वो समझ भी नहीं पाएंगे कि कॉमेडी के नाम पर उन्हे क्या पाठ पढ़ाया जा रहा है। भंडारकर ने दर्शकों के गुस्से से बचने के लिए फिल्म के अंचत में एक और सीन डाल दिया है कि चाहे लड़कों को जितने कड़वे अनुभव मिल जाएं जिंदगी में वे लड़की और सेक्स दोनों को कभी नहीं भूल सकते बल्कि अपना बचकानापन हमेशा जारी रखेंगे।

    लड़कियों के आगे लड़के बेवकूफ

    बस इसी सीन से उन्होने फिल्म का टाइटल जोड़ दिया कि दिल तो बच्चा है जी। दिल तो बच्चा है जी असलियत में कॉमेडी के नाम पर लड़कों के कान मरोड़ती है। पूरी फिल्म लड़कों को संबोधित करते हुए बनाई गई है लेकिन महिला किरदार इतने सशक्त हैं कि लड़के, लड़कियों के आगे बेवकूफ और बचकाने नजर आते हैं। जून पिंटो के रूप में शाजान पद्मसी और निक्की के रूप में श्रुति हसन फिल्म के सबसे सशक्त किरदार हैं। अभिनेताओं में मिलिंद केलकर के रूप में ओमी वैद्य लोगों को हंसाते हैं और रुलाते भी हैं, अपने भोलेपन से।

    कमजोर अभिनय

    अभिनय के लिहाज से फिल्म काफी कमजोर है। अबिनेत्रियां और अभिनेता सभी ने अभिनय के लिहाज से अपनी फिछले काम को दोहराया है। हालांकि अजय देवगन के लिए ये फिल्म और भी बेकार साबित हुई है क्योंकि अजय देवगन आमतौर पर बेकार फिल्मों में भी अच्छा अभिनय कर लेते हैं। लेकिन यहां भंडारकर का सारा कन्फ्यूजन , देवगन के अभिनय में दिखता है। फिर भी सब कुछ ठीक-ठाक लगता है।

    भंडारकर ने एक गंभीर फिल्म को कॉमेडी के रूप में दिखाने के लिए दर्शकों को जो झांसा दिया है, उस में वह खुद भी फंस गए हैं। इसलिए फिल्म का अंत बेहद कमजोर है। फिर भी फिल्म चूंकि ऐसे विषय पर बनाई गई है जो सिनेमा हॉल जाने वाले ज्यादातर दर्शकों की सबसे बड़ी कमजोरी है। इसिए ये तो तय है कि फिल्म लोगों को ठीक लगेगी।

    English summary
    Dil To Bachcha Hai Ji is a well saled serious film on the name of Comedy. Madhur Bandarkar presents a woman empowerment lesson to male dominated society but vision of the film is Male-dominated. So, Title of the film Dil To Bachcha Hai Ji suits on the story.
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