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भारत पर आधारित धारावाहिक की 'धूम'
सफ़ेद कुर्ता पायजामा पहने तिलक लगाए घर के मालिक के सामने खड़ा एक दलित लड़का. ये लड़का उस घर में पहुँचा है जहाँ उसकी प्रेमिका रहती है मगर वो प्रेमिका ब्राह्मण है.
प्रेम की ये कहानी बिल्कुल किसी भारतीय फ़िल्म या हर शाम टेलीविज़न पर आने वाले न जाने कितने ही धारावाहिकों जैसी लगती है मगर ऐसा है नहीं क्योंकि वो नायक, वो नायिका या इस प्रेम के विरोधी उसके परिवार वाले सभी पुर्तगाली भाषा बोल रहे हैं.
दरअसल भारत में जाति व्यवस्था को आधार बनाकर लिखी गई ये प्रेम कहानी ब्राज़ील में एक धारावाहिक के रूप में दिखाई जा रही है और वहाँ ये धारावाहिक काफ़ी लोकप्रिय भी हो चुका है. धारावाहिक का नाम है 'क़मीन्यो डास इंडियास' या हिंदी में कह लें तो भारत की एक झलक.
धारावाहिक के निर्देशकों में से एक एलेक्स क्लेंपरर का भारत को ही विषयवस्तु के रूप में चुनने के बारे में कहना था, "भारत हमारे लिए तो एक अलग दुनिया की तरह है, वहाँ की संस्कृति हमसे काफ़ी अलग है. भारत काफ़ी ख़ूबसूरत है कि लगता है मानो हम कोई सपना देख रहे हों या हम किसी परीलोक में पहुँच गए हों."
क्लेंपरर के मुताबिक़ इसीलिए प्रेम कहानी के लिए भारतीय पृष्ठभूमि बिल्कुल उचित थी. इस धारावाहिक के बाद ब्राज़ीलियाई लोगों में भारत को लेकर काफ़ी उत्सुकता बढ़ी है. इस उत्सुकता के बारे में बताते हुए ब्राज़ील में भारत के राजदूत बीएस प्रकाश कहते हैं, "लोग जानना चाहते हैं कि भारत में शादियाँ सिर्फ़ परिवार वाले लोगों के तय किए हुए हिसाब से होती है या दूसरी तरह की भी शादियाँ होती हैं. लोग जाति प्रथा के बारे में जानना चाहते हैं."
इसके अलावा प्रकाश के अनुसार लोगों को भारतीय परिवार की व्यवस्था भी बहुत भा रही है कि अगर कोई संकट हो तो सभी मिलकर उसे सुलझाने की कोशिश करते हैं या छोटे लोग बड़ों की इज़्ज़त करते हैं.
यूँ तो धारावाहिक के सभी पात्र पुर्तगाली भाषा में बोलते हैं मगर बीच-बीच में कुछ हिंदी के जुमले भी डाले गए हैं और वे जुमले वहाँ काफ़ी लोकप्रिय भी हो गए हैं. साओ पाओलो में मौजूद बीबीसी संवाददाता पावलो कहते हैं कि ब्राज़ील में रात साढ़े आठ बजे प्रसारित होने वाले धारावाहिक आम तौर पर लोकप्रिय होते हैं मगर इस धारावाहिक से ब्राज़ीलियाई संस्कृति में नई चीज़ें भी जुड़ रही हैं.
उनके अनुसार, "लोग अब- अच्छा, अरे बाबा या अरे भगवान जी जैसे जुमलों का इस्तेमाल करने लगे हैं. लोग भारतीय कपड़ों की ओर आकर्षित हो रहे हैं. यानी कुल मिलाकर कहें तो लोग धारावाहिक आम तौर पर देखते हैं मगर साथ ही उससे उनका रहन-सहन भी प्रभावित होता है."
ब्राज़ील में भारत के राजदूत बीएस प्रकाश के अनुसार इस तरह के धारावाहिक से दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंध और मज़बूत होंगे, "लोग अब साड़ियाँ पहनना चाहते हैं, बिंदी लगाना चाहते हैं या भारतीय रेस्तराँ में जाने लगे हैं. राजनीतिक रूप से तो संबंध दोनों देशों के अच्छे थे ही मगर अब आम लोगों के बीच भी संपर्क और मज़बूत हो रहा है."
यानी भारत और ब्राज़ील के रिश्ते राजनीतिक स्तर पर तो मधुर हैं ही मगर इस धारावाहिक के बाद ब्राज़ील जाने वाले भारतीयों को वहाँ शायद और बेहतर पहचान मिलेगी.